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Karva Chauth: शिमला में सूट सिलाने के लिए दर्जियों के पास लंबा इंतजार

संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला Published by: Krishan Singh Updated Fri, 18 Oct 2024 11:21 AM IST
सार

शिमला के बाजारों में करवाचौथ पर सूट सिलवाने के लिए महिलाओं में होड़ लगी हुई है, लेकिन अब करवाचौथ पर सूट सिलने के लिए दर्जी तैयार नहीं हैं। 

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Karva Chauth: Long wait at tailors in Shimla to get suits stitched
शिमला में करवाचौथ के लिए खरीदारी करतीं महिलाएं। - फोटो : संवाद
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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के बाजारों में करवाचौथ पर सूट सिलवाने के लिए महिलाओं में होड़ लगी हुई है, लेकिन अब करवाचौथ पर सूट सिलने के लिए दर्जी तैयार नहीं हैं।  दर्जियों के अनुसार 15 दिन पहले बुक किए गए सूटों को ही करवाचौथ पर सिलकर दिया जाएगा। त्योहारी सीजन और शादियों के चलते दिवाली तक बुकिंग फुल हो गई है। आमतौर पर एक से दो दिन में महिलाओं को सूट सिलकर दे दिया जाता थालेकिन अब सूट सिलाने के लिए महिलाओं को लंबा इंतजार करना पड़ेगा। 

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शहर के मिडल और लोअर बाजार में महिलाओं को सूट सिलाने के लिए अब कोई दर्जी नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही करवाचौथ पर पहनने वाली साड़ी, लहंगा, शरारा को भी स्टिच करने को कोई दर्जी तैयार नहीं है। लोअर बाजार के दर्जी चरणजीत ने बताया कि करवाचौथ पर सूट सिलाने की बुकिंग फुल हो गई है। अब सूटों की बुकिंग नहीं की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं ने 15 दिन पहले सूट सिलाने के लिए बुकिंग की थी उनको ही करवाचौथ पर सूट सिलकर दिए जाएंगे। 
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कारोबारी हितेश शर्मा ने बताया कि करवाचौथ पर सूट सिलने के लिए कपड़ों के ढेर लग गए हैं। अब बुक किए गए सूट देना मुश्किल हो रहा है। एक अन्य कारोबारी ने बताया कि करवाचौथ पर महिलाओं को सूट देने के लिए शादियों के सूटों को होल्ड किया है। इसके बाद शादियों और दिवाली तक सूटों की बुकिंग हो गई है। बाजार में सिंपल सूट की सिलाई 400, 450 और 500 रुपये तक है। वहीं लाइनिंग और प्लाजो सूट 800 से 1200 रुपये तक सिले जा रहे हैं।  

करवाचौथ व्रत पर सुहागिनों को शिमला में शाम 7:47 बजे होगा चांद का दीदार
 कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर 20 अक्तूबर रविवार को करवाचौथ का व्रत रखा जाएगा। पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सुहागिनें करवाचौथ व्रत रखेंगीं। दिनभर निर्जला व्रत रखकर रात को चंद्रमा पूजन के बाद ही व्रत खोला जाएगा। शिमला में करवाचौथ पर शाम 7:47 बजे चांद का दीदार होगा। ढिंगू माता मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि करवाचौथ पर इस साल चतुर्थी तिथि क्षय है। उन्होंने बताया कि तृतीया तिथि 19 अक्तूबर शनिवार को सुबह 09:48 बजे लगेगी और 20 अक्तूबर रविवार को सुबह 06:45 बजे तक रहेगी। सुबह 06:46 बजे चतुर्थी तिथि लगेगी जो अगले दिन सुबह तक रहेगी। उन्होंने बताया कि सूर्योदय के बाद चतुर्थी तिथि लगने से क्षय मानी जाती है। हालांकि इसका व्रत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। कहा कि अगर करवाचौथ पर शुक्र और गुरु ग्रह अस्त हों तब व्रत का उद्यापन नहीं किया जा सकता है। 

वहीं व्रत शुभ नहीं माना जाता है। उन्होंने बताया कि चतुर्थी तिथि में व्रत का उद्यापन किया जा सकता है। इस दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और चंद्रदेव की पूजा करें। चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही व्रत खोला जाएगा। शिमला में चंद्रोदय शाम 07:47 बजे होगा। राम मंदिर के पुजारी पंडित रमेश शर्मा ने बताया कि करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले तारों की छांव में सुहागिनों को सरगी खानी चाहिए। इसमें ड्राई फ्रूट्स, नारियल, फैनियां, दूध व फलाहार करना चाहिए। सायंकाल में करवा पूजन और नवविवाहिता अपनी सास को वस्त्र व सुहागी दें। शाम को 07:47 बजे चंद्रोदय पर ही व्रत को खोलें।

करवा चौथ की कथा
राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित उमेश नौटियाल ने बताया कि करवाचौथ पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4: 44 बजे से सुबह 5:35 बजे तक रहेगा। इस दौरान सुहागिनें सरगी ले सकती हैं। सायंकाल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:46 से शाम 7:02 बजे तक रहेगा। इसमें माता करवा की कथा पढ़ने से व्रत का फल प्राप्त होता है। बताया कि शिमला में चंद्रोदय शाम 7:47 बजे होगा। करवाचौथ का व्रत रखने वाली सुहागिनों को सायंकाल में व्रत की कथा पढ़नी चाहिए। कथा करवा नामक एक पतिव्रता महिला को समर्पित है। अपने पति की जान बचाने के लिए करवा ने चंद्रदेव को प्रसन्न किया था। इस कथा को सुनने से व्रत का फल मिलता है।

 

करवाचौथ व्रत का महत्व
करवाचौथ व्रत में सुहागिनें निर्जल रहकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि जब देवताओं और राक्षसों में युद्ध चल रहा था, तब राक्षस देवताओं पर भारी पड़ रहे थे। ऐसे में देवताओं की पत्नियां अपने सुहाग की रक्षा के लिए ब्रह्मा जी के पास गईं। तब ब्रह्मा ने उन्हें निर्जल करवाचौथ का व्रत रखने का सुझाव दिया। बताए अनुसार देवियों ने निर्जल व्रत रखा। इससे देवताओं की रक्षा हुई। इसके बाद करवाचौथ व्रत रखने की परंपरा चली। मान्यता है कि करवाचौथ के दिन चंद्रमा से अमृतवर्षा होती है। इसलिए सुहागिनें निर्जल व्रत रखती है और चंद्रमा का पूजन करती हैं। माता पार्वती ने भी भगवान शिव के लिए यह व्रत रखा था।

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