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Himachal: मशरूम के साथ मिलेगा मसालों का जायका और ओषधीय गुण, खुंब अनुसंधान निदेशालय ने किया शोध

ललित कश्यप, संवाद न्यूज एजेंसी, सोलन Published by: Krishan Singh Updated Tue, 13 May 2025 10:07 AM IST
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सार

खुब अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों की ओर से पहले औषधीय पौधों के अपशिष्टों पर ढिंगरी मशरूम उगाने का सफल प्रशिक्षण किया जा चुका है। इसमें अदरक और तुलसी पर सफल शोध रहा है।

Spices and medicinal properties will be available with mushrooms, Mushroom Research Directorate did research
ढिंगरी मशरूम। - फोटो : संवाद
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विस्तार
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मशरूम के साथ अब मसालों का जायका भी मिलेगा। इसमें खुंब अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) की ओर से मसालों के अपशिष्टों पर ढिंगरी मशरूम उगाने का शोध किया जा रहा है। लोगों को मशरूम खाने के साथ प्रोटीन ही नहीं, बल्कि जीरा, सौंफ और धनिया के औषधीय गुण भी मिलेंगे। इसका शोध डीएमआर के विशेषज्ञ एनआरसीएसएस (राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र) अजमेर के साथ कर रहे हैं। सफल शोध के बाद इसका प्रशिक्षण देशभर के मशरूम उत्पादकों और किसानों को भी दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार खुब अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों की ओर से पहले औषधीय पौधों के अपशिष्टों पर ढिंगरी मशरूम उगाने का सफल प्रशिक्षण किया जा चुका है।

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इसमें अदरक और तुलसी पर सफल शोध रहा है। लैब में जांच के बाद इसमें औषधीय गुण आए हैं। वहीं अब मसालों के अवशेषों पर शोध शुरू कर दिया गया है। इस शोध पर डीएमआर सोलन के वैज्ञानिक डॉ. बृज लाल अत्री काम कर रहे हैं। देशभर में वर्तमान में डिंगरी मशरूम गेहूं के भूसे, गन्ने की खोई समेत पराली पर भी तैयार की जा रही है। खुंब निदेशालय की ओर से पहली बार औषधीय पौधों पर मशरूम तैयार करने का शोध किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि मशरूम स्वाद के साथ यह औषधीय गुणों से भरपूर होगी। इस बार मसालों पर शोध के लिए एनसीआर अजमेर को भी साथ जोड़ा गया है। 
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पोषक तत्वों से भरपूर मशरूम
डींगरी मशरूम को ऑवस्टर मशरूम भी कहते हैं। इसके दाम 100 से 200 रुपये प्रति किलो तक रहते हैं। इस में प्रोटीन, फाइबर, नियासिन, पैंटोथेनिक एसिड जैसे पोषक तत्व और विटामिन डी भी पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। ढींगरी मशरूम की खेती के कई फायदे हैं, जैसे कम समय में फसल और इसे सुखाना आसान होता है।

डिंगरी मशरूम में अदरक और तुलसी के गुण पाए गए हैं। अब मसालों के अपशिष्टों पर डिंगरी को तैयार किया जा रहा है। इसे जीरा, धनिया और सौंफ पर उगाने का कार्य किया जा रहा है। हिमाचल में मसालों की कम खेती होती  है, लेकिन एनआरसीएसएस मसालों पर ही कार्य किया जा रहा है। सफल शोध के बाद मशरूम में मसालों के गुण भी आएंगे। डॉ. वीपी शर्मा, निदेशक, खुंब अनुसंधान निदेशालय


 
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