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Shimla News: ऊन और रेशम के सामान से कारोबार में आएगी गरमाहट
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शहर में 19 मई को होगा एकता प्रदर्शनी का आगाज, गेयटी, पदमदेव कांप्लेक्स और रिज तक सजेंगी दुकानें
ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए प्रेरणादायक होंगी प्रदर्शनी : डीसी
संवाद न्यूज एजेंसी
शिमला। राजधानी के मालरोड, गेयटी थियेटर, पदमदेव कांप्लेक्स और रिज मैदान पर 19 मई से एकता प्रदर्शनी का आयोजन होगा। इसमें जूट, ऊन और रेशम के बनाया सामान बिकेगा। कपड़ा मंत्रालय और प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित होने वाली यह प्रदर्शनी 26 मई तक चलेगी। एकता (एक्सबिशन कम नॉलज शेयरिंग फाॅर टेक्सटाइल एडवाॅटेज) प्रदर्शनी में प्रदेशभर से स्वयं सहायता समूह अपने स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी लगाएंगे।
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने राष्ट्रीय जूट बोर्ड कोलकाता के पटसन आयुक्त मलय चंदन चक्रवर्ती के साथ बैठक में यह जानकारी दी। अनुपम कश्यप ने कहा कि शिमला में खुशाला क्लस्टर फेडरेशन जूट के क्षेत्र में पिछले लंबे समय से कार्य कर रही है, उन्हें भी इस प्रदर्शनी में मुफ्त स्टाॅल लगाने की अनुमति दी जाएगी। राष्ट्रीय जूट बोर्ड के माध्यम से खुशाला क्लस्टर फेडरेशन के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि शिमला में जूट के अत्याधुनिक उत्पादों को तैयार करके बेच सकें। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए इस तरह की प्रदर्शनियां प्रेरणादायक साबित होती हैं। स्वयं सहायता समूहों के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन 19 से 21 मई को गेयटी थियेटर में किया जाएगा। आयुक्त मलय चंदन चक्रवर्ती ने बताया कि एकता मंच का उद्देश्य ऊन, जूट और रेशम शिल्प में हिमाचल की उभरती ताकत को प्रदर्शित करके, स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना है। इस दौरान राष्ट्रीय जूट बोर्ड के किशन सिंह और सचिव शशि भूषण विशेष तौर पर मौजूद रहे।
ईको सिस्टम को बढ़ा रही केंद्र
आयुक्त, मलय चंदन चक्रवर्ती ने बताया कि पीएम मित्र, समर्थ, रेशम समग्र और राष्ट्रीय जूट और हस्त शिल्प विकास कार्यक्रमों जैसी प्रमुख पहलों के माध्यम से केंद्र सरकार फाइबर आधारित ग्रामीण उद्यमिता के लिए ईको सिस्टम को बढ़ा रही है। हिमाचल प्रदेश में समृद्ध कपड़ा परंपराओं के भंडार हैं। इसमें ऊन, जूट और रेशम प्रमुख रूप से शामिल हैं। यह प्राकृतिक रेशे न केवल सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ और आर्थिक रूप से भी सशक्त हैं। ऊन में प्रतिष्ठित कुल्लू, किन्नौरी और चंबा शॉल सहित कई अन्य उत्पाद संस्कृति का अहम हिस्सा है।
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ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए प्रेरणादायक होंगी प्रदर्शनी : डीसी
संवाद न्यूज एजेंसी
शिमला। राजधानी के मालरोड, गेयटी थियेटर, पदमदेव कांप्लेक्स और रिज मैदान पर 19 मई से एकता प्रदर्शनी का आयोजन होगा। इसमें जूट, ऊन और रेशम के बनाया सामान बिकेगा। कपड़ा मंत्रालय और प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित होने वाली यह प्रदर्शनी 26 मई तक चलेगी। एकता (एक्सबिशन कम नॉलज शेयरिंग फाॅर टेक्सटाइल एडवाॅटेज) प्रदर्शनी में प्रदेशभर से स्वयं सहायता समूह अपने स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी लगाएंगे।
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने राष्ट्रीय जूट बोर्ड कोलकाता के पटसन आयुक्त मलय चंदन चक्रवर्ती के साथ बैठक में यह जानकारी दी। अनुपम कश्यप ने कहा कि शिमला में खुशाला क्लस्टर फेडरेशन जूट के क्षेत्र में पिछले लंबे समय से कार्य कर रही है, उन्हें भी इस प्रदर्शनी में मुफ्त स्टाॅल लगाने की अनुमति दी जाएगी। राष्ट्रीय जूट बोर्ड के माध्यम से खुशाला क्लस्टर फेडरेशन के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि शिमला में जूट के अत्याधुनिक उत्पादों को तैयार करके बेच सकें। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए इस तरह की प्रदर्शनियां प्रेरणादायक साबित होती हैं। स्वयं सहायता समूहों के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन 19 से 21 मई को गेयटी थियेटर में किया जाएगा। आयुक्त मलय चंदन चक्रवर्ती ने बताया कि एकता मंच का उद्देश्य ऊन, जूट और रेशम शिल्प में हिमाचल की उभरती ताकत को प्रदर्शित करके, स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना है। इस दौरान राष्ट्रीय जूट बोर्ड के किशन सिंह और सचिव शशि भूषण विशेष तौर पर मौजूद रहे।
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ईको सिस्टम को बढ़ा रही केंद्र
आयुक्त, मलय चंदन चक्रवर्ती ने बताया कि पीएम मित्र, समर्थ, रेशम समग्र और राष्ट्रीय जूट और हस्त शिल्प विकास कार्यक्रमों जैसी प्रमुख पहलों के माध्यम से केंद्र सरकार फाइबर आधारित ग्रामीण उद्यमिता के लिए ईको सिस्टम को बढ़ा रही है। हिमाचल प्रदेश में समृद्ध कपड़ा परंपराओं के भंडार हैं। इसमें ऊन, जूट और रेशम प्रमुख रूप से शामिल हैं। यह प्राकृतिक रेशे न केवल सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ और आर्थिक रूप से भी सशक्त हैं। ऊन में प्रतिष्ठित कुल्लू, किन्नौरी और चंबा शॉल सहित कई अन्य उत्पाद संस्कृति का अहम हिस्सा है।