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Karwa Chauth 2024: करवा चौथ पर छलनी से क्यों देखते है पति का चेहरा ? कैसे देना चाहिए अर्घ्य
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता सिंह
Updated Mon, 14 Oct 2024 07:37 AM IST
सार
हिंदू धर्म में करवाचौथ व्रत का बड़ा महत्व है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को पड़ रहा है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना से दिनभर निर्जला व्रत करती हैं।
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करवा चौथ 2024
- फोटो : amar ujala
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विस्तार
Karwa Chauth 2024 : हिंदू धर्म में करवाचौथ व्रत का बड़ा महत्व है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को पड़ रहा है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना से दिनभर निर्जला व्रत करती हैं। वैसे तो इस पूजा के लिए एक मिट्टी का बर्तन, एक छलनी, सींक और कांस के तृण होना बहुत जरूरी है। कम ही लोग जानते हैं कि ये चीजें कितनी महत्वपूर्ण हैं और पूजा में इनकी आवश्यकता क्यों होती है।
करवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह 4 बजे उठकर सबसे पहले स्नान करती हैं और फिर भगवान की पूजा करती हैं। इसके बाद रात को चंद्रमा निकलने पर उन्हें अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। मिट्टी के बर्तन में कई कांसे के तिनके रखे जाते हैं, पानी भरा जाता है और चंद्रमा को अर्पित किया जाता है।
छलनी से क्यों देखते हैं पति का चेहरा?
मान्यता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के दर्शन करने से छेदों की संख्या जितनी प्रतिबिंब दिखते हैं। अब छलनी से पति को देखते हैं तो पति की आयु भी उतनी ही गुना बढ़ जाती है। इसलिए करवा चौथ का व्रत करने के बाद चांद को देखने और पति को देखने के लिए छलनी प्रयोग की जाती है इसके बिना करवा चौथ अधूरा है।
पुराणों में भी मिलता है उल्लेख
करवा चौथ के व्रत को पुराणों में करक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। करवा चतुर्थी के दिन, माताएं अपने पतियों की लंबी आयु की प्रार्थना करने के लिए उपवास रखती हैं, भोजन और पानी से परहेज करती हैं और यह व्रत रखती हैं।
पुराणों में एक कथा है: जब प्रजापति दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया तो वह कमजोर हो गये। राजा दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दिया की जो भी कोई उसे देखेगा उस पर कलंक आएगा। तब चंद्रमा रोते हुए भगवान शंकर के पास पहुंचे और सभी स्थिति उन्हें बताई। तब भगवान शंकर ने कहा-कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की जो चतुर्थी आएगी उस दिन जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा, उसके जीवन के जो सारे दोष, कलंक सब मिट जाएंगे।
करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दें?
करवा चौथ व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही किया जाता है। ऐसे में आपको बता दें कि चंद्रमा को अर्घ्य देते समय आपकी दिशा उत्तर-पश्चिम की ओर होनी चाहिए। इस दिशा में मुख करके चंद्रदेव को अर्घ्य देने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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करवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह 4 बजे उठकर सबसे पहले स्नान करती हैं और फिर भगवान की पूजा करती हैं। इसके बाद रात को चंद्रमा निकलने पर उन्हें अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। मिट्टी के बर्तन में कई कांसे के तिनके रखे जाते हैं, पानी भरा जाता है और चंद्रमा को अर्पित किया जाता है।
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छलनी से क्यों देखते हैं पति का चेहरा?
मान्यता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के दर्शन करने से छेदों की संख्या जितनी प्रतिबिंब दिखते हैं। अब छलनी से पति को देखते हैं तो पति की आयु भी उतनी ही गुना बढ़ जाती है। इसलिए करवा चौथ का व्रत करने के बाद चांद को देखने और पति को देखने के लिए छलनी प्रयोग की जाती है इसके बिना करवा चौथ अधूरा है।
पुराणों में भी मिलता है उल्लेख
करवा चौथ के व्रत को पुराणों में करक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। करवा चतुर्थी के दिन, माताएं अपने पतियों की लंबी आयु की प्रार्थना करने के लिए उपवास रखती हैं, भोजन और पानी से परहेज करती हैं और यह व्रत रखती हैं।
पुराणों में एक कथा है: जब प्रजापति दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया तो वह कमजोर हो गये। राजा दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दिया की जो भी कोई उसे देखेगा उस पर कलंक आएगा। तब चंद्रमा रोते हुए भगवान शंकर के पास पहुंचे और सभी स्थिति उन्हें बताई। तब भगवान शंकर ने कहा-कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की जो चतुर्थी आएगी उस दिन जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा, उसके जीवन के जो सारे दोष, कलंक सब मिट जाएंगे।
करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दें?
करवा चौथ व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही किया जाता है। ऐसे में आपको बता दें कि चंद्रमा को अर्घ्य देते समय आपकी दिशा उत्तर-पश्चिम की ओर होनी चाहिए। इस दिशा में मुख करके चंद्रदेव को अर्घ्य देने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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