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Karwa Chauth Moon Time Today: करवा चौथ आज, जानिए आपके शहर में शाम को कब निकलेगा चांद
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sun, 20 Oct 2024 04:06 PM IST
सार
Karwa Chauth Moon Time Today: पंचांग के मुताबिक आज करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम करीब 07 बजकर 53 मिनट पर रहेगा। देशभर में चंद्रमा आज शाम करीब 7 बजकर 53 मिनट से लेकर तकरीबन 9 बजे के बीच दिखाई देगा।
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करवा चौथ की शुभकामनाएं
- फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
Karwa Chauth Moon Time Today: आज सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्दि के लिए निर्जला व्रत रखते हुए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। करवा चौथ का यह व्रत सूर्योदय के साथ शुरू हो चुका है जो रात को चंद्रोदय तक चलेगा। हर साल यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जिसमें सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखेंगी। शाम को महिलाएं 16 श्रृंगार करके सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश की आराधना करेंगी, फिर चौथ माता की पूजा और करवा चौथ की कथा सुनेंगी। आखिरी में आज रात को चंद्रमा के दर्शन करते हुए अर्घ्य देंगा और अपने पति की हाथ से पानी पीकर व्रत को पूरा करेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ का व्रत रखने पति की सेहत अच्छी होती है और वैवाहिक जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
शुभ योग में करवा चौथ
कार्तिक माह में आने वाला चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। इसमें व्रत रखते हुए भगवान गणेश और करवा माता की पूजा करने से पति-पत्नी का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इस बार करवा चौथ पर ग्रहों का बहुत ही सुंदर संयोग बना हुआ है। 20 अक्तूबर को करवा चौथ पर चंद्रमी रोहिणी नक्षत्र में देवगुरु बृहस्पति के साथ रहेगा। इस तरह से चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी राजयोग का शुभ योग बन रहा है। वहीं इसके अलावा आज बुधादित्य, शश, पारिजात और लक्ष्मी योग भी बन रहा है।
आज करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
हिंदू पंचांग के मुताबिक आज करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम करीब 07 बजकर 53 मिनट पर रहेगा। देशभर में चंद्रमा आज शाम करीब 7 बजकर 53 मिनट से लेकर तकरीबन 9 बजे के बीच दिखाई देगा। हालांकि देश के कुछ हिस्सों में मौसम के चलते चंद्रमा कहीं जल्दी तो कहीं देर से दिखाई दे सकता है। अगर मौसम के चलते चंद्रमा न दिखाई दे तो पूर्व-उत्तर दिशा में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा कर सकते हैं।
करवा का महत्व
करवा चौथ पर मिट्टी के करवा का विशेष महत्व होता है। करवा के बिना करवा चौथ की पूजा का कोई मतलब नहीं है। करवा का अर्थ है,'करवा' यानी मिट्टी का वह बर्तन जिसे अग्रपूज्य गणेशजी का स्वरूप माना गया है। गणेशजी जल तत्व के कारक हैं और करवा में लगी हुई टूंटी गणेशजी की सूंड का प्रतीक मानी गई है। इस दिन मिट्टी के करवा में जल भरकर पूजा में रखना मंगलकारी माना गया है। एक और मान्यता के अनुसार करवा उस नदी का प्रतीक भी है,जिसमें मगरमच्छ ने मां करवा के पति को पकड़ लिया था। उसी करवा माता की तस्वीर की पूजा की जाती है। तस्वीर में माता का चित्र बना होता है। उनके अलावा इसमें पत्नी के व्रत की कहानी भी दर्शाई गई है।
दीपक और छलनी का महत्व
करवा चौथ की पूजा में दीपक की ज्योतिष का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उसकी मौजूदगी में की गई पूजा अवश्य सफल होती है। दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है एवं पूजा में ध्यान केंद्रित होता है जिससे एकाग्रता बढ़ती है। इसके अलावा कुछ महिलाएं छलनी में दीपक रखकर चांद को देखती हैं और फिर पति का चेहरा देखती हैं। इसकी वजह करवा चौथ में सुनाई जाने वाली वीरवती की कथा से जुड़ा हुआ है। बहन वीरवती को भूखा देख उसके भाइयों ने चांद निकलने से पहले एक पेड़ की आड़ में छलनी में दीप रखकर चांद बनाया और बहन का व्रत खुलवाया।
सींक का महत्व
करवा चौथ की पूजा में सींक के बिना व्रत अधूरा माना गया है। दरअसल सींक मां करवा की शक्ति का प्रतीक है। कथा के अनुसार मां करवा के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। करवा ने यमराज से पति की रक्षा मांगी,तब उन्होंने मगरमच्छ को मारकर करवा के पति के प्राणों की रक्षा कर उसे दीर्घायु प्रदान की।
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शुभ योग में करवा चौथ
कार्तिक माह में आने वाला चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। इसमें व्रत रखते हुए भगवान गणेश और करवा माता की पूजा करने से पति-पत्नी का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इस बार करवा चौथ पर ग्रहों का बहुत ही सुंदर संयोग बना हुआ है। 20 अक्तूबर को करवा चौथ पर चंद्रमी रोहिणी नक्षत्र में देवगुरु बृहस्पति के साथ रहेगा। इस तरह से चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी राजयोग का शुभ योग बन रहा है। वहीं इसके अलावा आज बुधादित्य, शश, पारिजात और लक्ष्मी योग भी बन रहा है।
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आज करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
हिंदू पंचांग के मुताबिक आज करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम करीब 07 बजकर 53 मिनट पर रहेगा। देशभर में चंद्रमा आज शाम करीब 7 बजकर 53 मिनट से लेकर तकरीबन 9 बजे के बीच दिखाई देगा। हालांकि देश के कुछ हिस्सों में मौसम के चलते चंद्रमा कहीं जल्दी तो कहीं देर से दिखाई दे सकता है। अगर मौसम के चलते चंद्रमा न दिखाई दे तो पूर्व-उत्तर दिशा में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा कर सकते हैं।
| शहर | समय |
| दिल्ली | रात 07:53 |
| नोएडा | रात 07:52 |
| मुंबई | रात 08:36 |
| कोलकाता | रात 07:22 |
| चंडीगढ़ | रात 07:48 |
| पंजाब | रात 07:48 |
| जम्मू | रात 07:52 |
| लुधियाना | रात 07:52 |
| देहरादून | रात 07:24 |
| शिमला | रात 07:47 |
| पटना | रात 07:29 |
| लखनऊ | रात 07:42 |
| कानपुर | रात 07:47 |
| प्रयागराज | रात 07:42 |
| इंदौर | रात 08:15 |
| भोपाल | रात 08:07 |
| अहमदाबाद | रात 08:27 |
| चेन्नई | रात 08:18 |
| बंगलूरू | रात 08:30 |
| जयपुर | रात 08:05 |
| रायपुर | रात 07:43 |
करवा का महत्व
करवा चौथ पर मिट्टी के करवा का विशेष महत्व होता है। करवा के बिना करवा चौथ की पूजा का कोई मतलब नहीं है। करवा का अर्थ है,'करवा' यानी मिट्टी का वह बर्तन जिसे अग्रपूज्य गणेशजी का स्वरूप माना गया है। गणेशजी जल तत्व के कारक हैं और करवा में लगी हुई टूंटी गणेशजी की सूंड का प्रतीक मानी गई है। इस दिन मिट्टी के करवा में जल भरकर पूजा में रखना मंगलकारी माना गया है। एक और मान्यता के अनुसार करवा उस नदी का प्रतीक भी है,जिसमें मगरमच्छ ने मां करवा के पति को पकड़ लिया था। उसी करवा माता की तस्वीर की पूजा की जाती है। तस्वीर में माता का चित्र बना होता है। उनके अलावा इसमें पत्नी के व्रत की कहानी भी दर्शाई गई है।
दीपक और छलनी का महत्व
करवा चौथ की पूजा में दीपक की ज्योतिष का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उसकी मौजूदगी में की गई पूजा अवश्य सफल होती है। दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है एवं पूजा में ध्यान केंद्रित होता है जिससे एकाग्रता बढ़ती है। इसके अलावा कुछ महिलाएं छलनी में दीपक रखकर चांद को देखती हैं और फिर पति का चेहरा देखती हैं। इसकी वजह करवा चौथ में सुनाई जाने वाली वीरवती की कथा से जुड़ा हुआ है। बहन वीरवती को भूखा देख उसके भाइयों ने चांद निकलने से पहले एक पेड़ की आड़ में छलनी में दीप रखकर चांद बनाया और बहन का व्रत खुलवाया।
सींक का महत्व
करवा चौथ की पूजा में सींक के बिना व्रत अधूरा माना गया है। दरअसल सींक मां करवा की शक्ति का प्रतीक है। कथा के अनुसार मां करवा के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। करवा ने यमराज से पति की रक्षा मांगी,तब उन्होंने मगरमच्छ को मारकर करवा के पति के प्राणों की रक्षा कर उसे दीर्घायु प्रदान की।

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