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गुरजीत का रंग में लौटना भारत के लिए सुखद, पेनल्टी कॉर्नर ब्रह्मास्त्र
सत्येन्द्र पाल सिंह, नई दिल्ली
Published by: अंशुल तलमले
Updated Sat, 22 Jun 2019 10:31 PM IST
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सार
- पेनल्टी कॉर्नर पर गोल के लिए ड्रैग फ्लिक गुरजीत का ब्रह्मास्त्र
- ओलंपिक क्वॉलिफायर्स से पहले ड्रैग फ्लिकर
- पेनल्टी कॉर्नर पर गोल के लिए ड्रैग फ्लिक गुरजीत का ब्रह्मास्त्र
- मराइन और हरेन्द्र का गुरजीत पर मेहनत और भरोसा रंग लाया

गुरजीत कौर
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
भारत की 23 बरस की ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर भारत की सीमा पर अमृतसर के मियांदियां कलां गांव की हैं। उनके गांव से पाकिस्तान की सीमा महज दस किलोमीटर दूर हैं। ऐसे में गांव के हर बाशिंदे को हर वक्त सजग रहना है।

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भारत के लिए हिरोशिमा में एफआईएच सीरीज फाइनल्स में सेमीफाइनल में चिली के खिलाफ शनिवार को दो गोल कर जीत दिलाने के साथ अब तक कुल चार मैचों में कुल नौ गोल कर उसे फाइनल में स्थान दिला कर उसका 2019 एफआईएच ओलंपिक क्वॉलिफायर्स मे स्थान पक्का कर दिया।
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यह भी एक संयोग है कि भारत का हिरोशिमा में एफआईएच सीरीज फाइनल्स के फाइनल में मुकाबला अपनी पुरुष टीम की तरह पहले ही जकार्ता एशियाई खेलों के चैंपियन और मेजबान के रूप में टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर चुकी जापान की महिला टीम से होगा।
ओलंपिक क्वॉलिफायर्स से पहले गुरजीत कौर का रंग में लौटना भारत के लिए सुखद है। गुरजीत कौर आज जिस मुकाम पहुंची है उसमें भारत की महिला हॉकी टीम के मौजूदा कोच शुएर्ड मराइन और पूर्व कोच हरेन्द्र सिंह का उन पर भरोसा और मेहनत रंग लाया है। हॉकी के धुरंधर गुरजीत कौर को बतौर ड्रैग फ्लिकर इसीलिए भारत की भविष्य की बड़ी स्टार बता रहे हैं।
भारत को जापान में 2017 में जापान में महिला हॉकी एशिया कप जितवाने, 2018 में इंग्लैंड में महिला विश्व कप के क्वॉर्टर फाइनल और जकार्ता एशियाई खेलों के फाइनल में स्थान बनाने बतौर ड्रैग फ्लिकर पेनल्टी कॉर्नर का गोल करने के लिए ’ब्रह्मास्त्र’ के रूप में इस्तेमाल किया।
पिछले साल जकार्ता एशियाई खेलों का सेमीफाइनल और फाइनल घुटने में चोट के बावजूद गुरजीत भारत के लिए खेली। एशियाई खेलों के बाद घुटने के ऑपरेशन के कारण हॉकी से कई महीने दूर रहने और दक्षिण कोरिया के खिलाफ उसके घर में हॉकी टेस्ट भारतीय टीम में कामयाबी वापसी करने वाली गुरजीत कौर के ओलंपिक क्वॉलिफायर्स से पहले रंग में लौटने से भारत के मौजूदा कोच मराइन खासी राहत महसूस करेंगे।
ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर के रंग में लौटने पर भारत की स्टार स्ट्राइकर और कप्तान रानी रामपाल पर गोल करने का दबाव जरूर कम हुआ। सबसे रोचक बात यह है कि रानी रामपाल, वंदना कटारिया , ललरेमसियामी , नवनीत कौर के बनाए पेनल्टी कॉर्नरों पर गुरजीत के ड्रैग फ्लिक गोल करने के चलते भारत के लिए ’ब्रह्मास्त्र’ साबित हो रहे हैं।
गुरजीत बतौर ड्रैग फ्लिकर आज जहां पहुंची उसमें भारत के मौजूदा कोच मराइन के साथ पूर्व कोच हरेन्द्र सिंह, नीदरलैंड के ड्रैग फ्लिक कोच टून सीपमैन के साथ अपने जमाने के बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर और टीम के साथ सहायक कोच के रूप में कुछ समय जुड़े ड्रैग फ्लिकर जुगराज सिंह की सलाह और मार्गदर्शन खासी अहम रही है।
गुरजीत कौर शुरू में बहुत कम बोलती थी। तब भारत के कोच हरेन्द्र सिंह ने उसे खुलकर अपनी बात कहने के साथ बतौर ड्रैग फ्लिकर उसके फ्लिक के कोण को सही करने पर जो मेहनत की वह रंग आई। सीपमैन की गुरजीत को भारी हॉकी से खेलने की सलाह के साथ ड्रैग फ्लिक लगाते समय सिर और शरीर को सही दिशा में रखने की सलाह खासी कारगर रही।
दादा मक्खन सिंह ने बढ़ाया गुरजीत का खेलने के लिए हौसला
गुरजीत के पिता सरदार सतनाम सिंह किसान हैं, लेकिन घर में %हुकूमत’ उनके खेल प्रेमी दादा बड़े ’सरदार’ साहब मक्खन सिंह की ही चलती है। गांव में पढने के लिए बहुत अच्छा स्कूल नहीं था तो दादा मक्खन सिंह ने कहा कि गुरजीत और उनकी बड़ी बहन कैरों, तारनतरन जाकर वहां रहकर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढने के साथ खेलेंगी भी। दादा मक्खन सिंह जी ने दोनों बहनों की हौसलाअफजाई की। वहीं स्कूल में सरदार रणबीर सिंह ने बतौर हॉकी कोच गुरजीत का मार्गदर्शन कर अपना खेल मांझने में मदद की। सोएर्ड मराइन ज्यादा अंग्रेजी में बात करते हैं तो उनकी बात सहजता से समझने में गुरजीत और अन्य लड़कियों को जो दिक्कत आती थी उसे इशारों से समझने की कोशिश करती हैं। जब हरेन्द्र सिंह भारत की महिला हॉकी टीम के कोच थे वह हिन्दी और पंजाबी में समझाते थे तो उनकी बात लड़कियां आसानी से समझ जाती थीं।