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पिता किसान आंदोलन में, बेटे ने कुश्ती में जीता स्वर्ण, खेती से निकलता है पहलवानी का खर्च

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अंशुल तलमले Updated Sun, 24 Jan 2021 11:36 AM IST
सार

  • नोएडा में खेली जा रही राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप
  • टूर्नामेंट के पहले ही दिन उड़ी कोरोना नियमों की धज्जियां
  • बिना मास्क के पहुंचे दर्शक, सोशल डिस्टेंसिंग भी भूले
  • पंजाब के संदीप ने 74 किलो में जीता स्वर्ण मेडल
  • देखते रह गए जितेंदर, नरसिंह, अमित जैसे दिग्गज

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Farmers son Sandeep singh wins gold in National wrestling championship
संदीप सिंह - फोटो : अमर उजाला
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किसी ने नहीं सोचा था कि 74 किलो भार वर्ग में नरसिंह यादव, जितेंदर कुमार, अमित धनकड़, प्रवीण राणा, गौरव बालियान जैसे दिग्गज पहलवानों के बीच पंजाब के संदीप सिंह बाजी मार ले जाएंगे। संदीप के पिता सागर सिंह सिंघु बार्डर पर किसान आंदोलन में संघर्षरत हैं वहीं ओलंपिक टीम में स्थान बनाने के लिए मानसा जिले के इस पहलवान ने नोएडा में खेली जा रही राष्ट्रीय फ्रीस्टाइल कुश्ती चैंपियनशिप में बाजी मार ली। खेल मंत्रालय की ओर से जारी दिशा निर्देशों के विपरीत चैंपियनशिप के पहले दिन कोरोना नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई गईं। खचाखच भरे इंडोर स्टेडियम में दर्शक सामाजिक दूरी के बजाय आपस में चिपकर बैठे। इनमें 60 प्रतिशत दर्शकों ने मास्क तक नहीं लगा रखा था।

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खेती उठाती है संदीप की कुश्ती का खर्च
संदीप ने फाइनल में एशियाई चैंपियनशिप में रजत जीतने वाले जितेंदर को 3-2 से पराजित किया। इससे पहले उन्होंने नर सिंह यादव को 3-4 से हराने वाले अमित धनकड़ को क्वार्टर फाइनल में परास्त किया। नर सिंह ने यूपी के गौरव बालियान को पहली बाउट में हराया, लेकिन विवादास्पद मुकाबले में अमित से हार गए। नरसिंह का कहना था कि कुश्ती का समय समाप्त होने के बाद उन्होंने दो अंक खोए। उस वक्त नरसिंह 2-3 से आगे थे। संदीप ने फाइनल जीतने के बाद खुलासा किया कि उनकी कुश्ती का सारा खर्च खेतीबाड़ी से आता है। उनके पिता सिंघु बार्डर पर आंदोलन में आते-जाते रहते हैं। वह किसानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए यह चैंपियनशिप महत्वपूर्ण थी। इस वजह से वह आंदोलन में नहीं गए।
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पिछली बार 79 किलो में जीता था स्वर्ण
संदीप ने 85 किलो वजन से शुरूआत की थी, लेकिन 74 किलो ओलंपिक में शामिल है। ओलंपिक टीम में स्थान बनाने के लिए उन्होंने वजन कम कर 74 किलो को चुना। इस वर्ग में हरियाणा के अमित, विजय को कांस्य मिला। 57 किलो में सेना के पंकज ने हरियाणा के अमन को हराकर स्वर्ण जीता। राहुल, शुभम को कांस्य मिला। 61 किलो में सेना के रविंदर ने स्वर्ण, महाराष्ट्र के सूरज ने रजत, नवीन और सोनबा ने कांस्य जीता। 125 किलो में रेलवे के सुमित ने हरियाणा के दिनेश को हराकर स्वर्ण जीता। 92 किलो में रेलवे के प्रवीण ने महाराष्ट्र के पृथ्वीराज को हरा स्वर्ण जीता।

मैट पर आने से भी नहीं चूके समर्थक
कोरोना काल में हो रही पहली सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में सामाजिक दूरी के नियमों को तोडने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। यहां तक मैट पर समर्थक खिचे चले आए। कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को खुद नीचे उतरकर उन्हें बाहर करना पड़ा। तीन रेलवे के कोचों को तो उन्होंने जुबानी सस्पेंड करने के भी आदेश दिए। कुश्ती संघ के एक अधिकारी का कहना है कि नए स्टेडियम में कुर्सिया नहीं होने के चलते समाजिक दूरी को नहीं अपनाया जा सका। सभी दर्शक इसी लिए पास होकर बैठ गए। हालांकि शुरूआत में उन्हें रोकने की कोशिश की गई।

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