सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Sports ›   Rakesh Kumar Story of becoming para archer from plumber after accident wants to win Paralympic gold medal

Samvad 2023: 33 साल की उम्र में प्लंबर से तीरंदाज बने राकेश, लगाई स्वर्णिम हैट्रिक; अब दुनिया जीतने का लक्ष्य

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, जम्मू Published by: शक्तिराज सिंह Updated Thu, 30 Nov 2023 03:07 PM IST
सार

राकेश ने भारत के लिए लगातार तीन स्वर्ण पदक जीते हैं। 38 साल के राकेश पैरा तीरंदाजी में देश के लिए पैरालिंपिक स्वर्ण जीतना चाहते हैं। वह अपनी उम्र को पीछे छोड़ते हुए दुनिया जीतने का जज्बा रखते हैं। 
 

विज्ञापन
Rakesh Kumar Story of becoming para archer from plumber after accident wants to win Paralympic gold medal
राकेश कुमार - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

जम्मू-कश्मीर में अमर उजाला संवाद 2023 में देश के बेहतरीन पैरा तीरंदाज में से एक राकेश कुमार शामिल हुए। 38 साल के राकेश देश के लिए लगातार तीन स्वर्ण पदक जीते हैं और पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतना चाहते हैं। वह 33 साल की उम्र में पैरा तीरंदाजी में आए और एक साल बाद पहला स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद से वह लगातार कमाल कर रहे हैं। उनका मानना है कि पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद ही उनका सपना पूरा होगा। 
Trending Videos


राकेश ने बताया कि वह किसान के बेटे हैं, शुरुआत में वह प्लंबर हुआ करते थे और सामान्य रूप से अपना जीवन-यापन करते थे। इसके बाद हादसे का शिकार हो गए और उनके पैरों ने काम करना बंद कर दिया। शुरुआत में उन्हें बहुत परेशानी होती थी, लेकिन बाद में उन्होंने यह मान लिया कि उनका जीवन व्हीलचेयर पर ही कटना है। इसके बाद उनकी मुलाकात मां वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से जुड़े तीरंदाजी कोच से हुई। यहां से उनका जीवन बदल गया। 
विज्ञापन
विज्ञापन




राकेश ने 33 साल की उम्र में तीरंदाजी शुरू की और एक साल बाद पहला स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। राकेश की उम्र काफी ज्यादा है। वह अन्य खिलाड़ियों से काफी बड़े हैं, लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। वह रोज सुबह पांच बजे उठ जाते हैं, चाहे कितनी देर से सोए हों। सामान्य दिनों में वह 9-10 बजे तक सो जाते हैं। सुबह उठकर वह 1-2 किलोमीटर व्हीलचेयर चलाते हैं और कुछ योगासन करते हैं। वह अपनी डाइट का भी ध्यान रखते हैं और मीठा नहीं खाते हैं। इसी वजह से उनका पसंदीदा खाना वेज बिरयानी है। 

राकेश देश के लिए पैरा तीरंदाजी में लगातार तीन स्वर्ण जीत चुके हैं और उनका सपना देश के लिए पैरालंपिक स्वर्ण जीतना है। शुरुआत में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं था और पहले राष्ट्रीय खेलों में वह 17वें स्थान पर थे। इसके बाद उन्हें पता चला कि कितनी मेहनत करनी है और उन्होंने जी जान लगाकर मेहनत की। इसी वजह से वह अब कमाल कर रहे हैं और उनसे देश को पैरालंपिक स्वर्ण की आस है। 

राकेश का कहना है कि जब आप स्वर्ण पदक जीतते हैं और तिरंगा लेकर आप वहां पहुंचते हैं। ऐसे में राष्ट्रगान बजता है तो यह सबसे ज्यादा गर्व की बात होती है। श्री माता देवी वैष्णो श्राइन बोर्ड पहला ऐसा ट्रस्ट है, जिसने खेलों को इतना बढ़ावा दिया है। इस ट्रस्ट के खिलाड़ी 200 से ज्यादा पदक जीत चुके हैं। हमारे कोच न को छुट्टी लेते हैं और न ही लेने देते हैं। साल में 365 दिन अभ्यास करने का नतीजा है कि हम लगातार अच्छा कर रहे हैं।

विश्व तीरंदाजी रैंकिंग में तीसरे स्थान पर मौजूद राकेश ने कहा कि उनका सपना अभी शुरू हुआ है, जब वह देश के लिए पैरालंपिक स्वर्ण जीत लेंगे, तभी उनका सपना पूरा होगा।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all Sports news in Hindi related to live update of Sports News, live scores and more cricket news etc. Stay updated with us for all breaking news from Sports and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed