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Swastika Discovered: 2300 साल पुराने स्वास्तिक चिन्ह वाली तलवारें मिलीं, जानिए पूरी कहानी

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रदीप पाण्डेय Updated Tue, 06 May 2025 11:40 AM IST
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सार

स्वास्तिक प्रतीक कम से कम 10,000 साल पुराना है और यह यूरोप, एशिया, अफ्रीका और अमेरिका की प्राचीन सभ्यताओं में पाया गया है। भारत में, यह सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500 ईसा पूर्व) की मुहरों पर देखा गया है। "स्वास्तिक" शब्द संस्कृत से आया है, जो "सु" (अच्छा) और "अस्ति" (होना) से मिलकर बना है, अर्थात "शुभ" या "कल्याणकारी"।

2300 year old Swords with Swastika Discovered in France Everything You Need to Know
Swords with Swastika Discovered - फोटो : www.aol.com
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फ्रांस में पुरातत्वविदों की एक टीम ने हाल ही में दो 2300 साल पुरानी सेल्टिक तलवारें खोजी हैं, लेकिन इस खोज की खास चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि इन तलवारों पर स्वास्तिक चिन्ह पाए गए हैं। लाइव साइंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्रिवेंटिव आर्कियोलॉजिकल रिसर्च (INRAP) ने यह जानकारी साझा की है। इन तलवारों के अलावा खुदाई के दौरान कई दफन कलाकृतियाँ और ब्रोच भी मिले हैं, जिनमें कुछ पर पॉलिश किए गए रत्न जड़े हुए हैं।

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तलवारों के बारे में

इन दोनों तलवारों को उनके म्यान के साथ सही हालत में पाया गया। एक तलवार की म्यान तांबे की मिश्र धातु से बनी हुई है और कमर पर पहनने के लिए डिजाइन की गई थी। म्यान के किनारों में सुंदर रत्न जड़े हुए थे, जिनमें से दो पर स्वास्तिक का डिजाइन उकेरा गया था।
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स्वास्तिक का महत्व

स्वास्तिक प्रतीक कम से कम 10,000 साल पुराना है और यह यूरोप, एशिया, अफ्रीका और अमेरिका की प्राचीन सभ्यताओं में पाया गया है। भारत में, यह सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500 ईसा पूर्व) की मुहरों पर देखा गया है। "स्वास्तिक" शब्द संस्कृत से आया है, जो "सु" (अच्छा) और "अस्ति" (होना) से मिलकर बना है, अर्थात "शुभ" या "कल्याणकारी"।

स्वास्तिक वैदिक काल से हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। इसे गणेश, विष्णु और अन्य देवताओं से जोड़ा जाता है। जैन धर्म में, यह चार तीर्थंकरों के चार अवस्थाओं का प्रतीक है और बौद्ध धर्म में बुद्ध के चरण चिह्नों का हिस्सा है। स्वास्तिक प्राचीन यूनानी, रोमन, और मूल अमेरिकी संस्कृतियों में भी पाया गया है, जहां यह सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक था। INRAP के पुरातत्वविद विन्सेंट जॉर्जेस ने लाइव साइंस को ईमेल के जरिए बताया कि उस काल में स्वास्तिक का प्रयोग सजावटी और प्रतीकात्मक रूप से होता था।

खुदाई से जुड़ी जानकारी

यह ऐतिहासिक खुदाई वर्ष 2022 में फ्रांस के छोटे से कस्बे Creuzier-le-Neuf में की गई थी, जिसकी आबादी लगभग 1,500 है। यह क्षेत्र द्वितीय लौह युग (450 से 52 ईसा पूर्व) के दौरान तीन प्रमुख सेल्टिक जनजातियों अर्वेर्नु, एडुई और बिटुरिजेस का प्रभाव क्षेत्र था। INRAP की टीम ने लगभग 7,000 वर्ग फीट क्षेत्र में खुदाई की, जहां 100 से अधिक कब्रें मिलीं, लेकिन अत्यधिक अम्लीय मिट्टी के कारण वहां कोई भी मानव कंकाल नहीं बच पाया।
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