Cyber Fraud: आंध्र प्रदेश पुलिस ने इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड गिरोह का भंडाफोड़, गैंग का मास्टरमांड फरार
International Cyber Gang: आंध्र प्रदेश पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया। पुलिस ने लगातार कई जगहों पर छापेमारी कर 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन गैंग का मास्टरमांड अभी भी फरार है।
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आंध्र प्रदेश में साइबर क्राइम की एक बड़ी साजिश बेनकाब हुई है। पुलिस ने कंबोडिया स्थित स्कैम ऑपरेशन से जुड़े एक इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड सिंडिकेट के 14 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई 75 वर्षीय एक रिटायर्ड प्रोफेसर के साथ 78 लाख रुपये से अधिक की ऑनलाइन ठगी की शिकायत के बाद शुरू हुई थी। इसकी जानकारी वेस्ट गोदावरी जिले के सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसपी) अदनान नईम अस्मी ने बृहस्पतिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी।
पुलिस के अनुसार, यह ठगी 17 नवंबर को एक व्हाट्सएप कॉल के जरिए की दी गई थी, जिसमें स्कैमर्स ने खुद को बेंगलुरु पुलिस का अधिकारी बताकर पीड़ित से संपर्क किया था। कॉल पर आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट के नकली दस्तावेज दिखाए थे। साथ ही पीड़ित के एक अपराधिक मामलें में संलिप्त होने का दावा किया था। इसी डर में पीड़ित 78.6 लाख रुपये दे दिए थे।
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विदेशों में भी नेटवर्क
इसके बाद जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि स्कैमर्स इसे कार्ड डील का नाम देते हैं। आरोपियों का एक गिरोह है और वह इस तकनीक के तहत भारत में मौजूद साथियों के माध्यम से बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करते थे। फिर आगे विदेशी नेटवर्क में भेजते थे, जिससे रकम का ट्रैक ट्रेस न किया जा सके।
मुख्य आरोपी अभी भी फरार
मामले के खुलासे के बाद भीमावरम सब-डिवीजन की पुलिस टीमों ने कई जिलों में छापेमारी की और गन्नवरम और विजयवाड़ा के पास 14 आरोपियों को दबोच लिया। जांच में 42 लाख रुपये नकद बरामद किए गए, साथ ही कई बैंक खातों से करीब 20 लाख रुपये भी फ्रीज किए गए। पुलिस ने 15 मोबाइल फोन, इंटरनेशनल सिम कार्ड, बैंक दस्तावेज, पासपोर्ट और टेलीग्राम पर इस्तेमाल किए गए डिजिटल सबूत भी जब्त किए हैं। एसपी अस्मी ने कहा कि गिरफ्तार हुए आरोपी में कई लोग कंबोडिया में संचालित स्कैम कंपाउंड से सीधे जुड़े थे। इन्हें 26 नवंबर को हिरासत में लिया गया, लेकिन गिरोह को मुखिया रहाटे अभी भी फरार है। पुलिस मुंबई निवासी रहाटे की तलाश जारी है।
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पुलिस के अनुसार, गिरोह बैंक अकाउंट कमीशन पर खरीदता था और उनकी जानकारी विदेशी हैंडलर्स को सौंपता था। इसके बाद इन्हीं खातों के जरिए डिजिटल गिरफ्तारी, इन्वेस्टमेंट और फर्जी लीगल नोटिस जैसे हाई-प्रेशर साइबर फ्रॉड चलाए जाते थे, जिससे पीड़ित डरकर तुरंत पैसे ट्रांसफर कर देता था। बताया कि इस अपराध में शामिल आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।