AI Deathbots: क्या वाकई एआई से मरे हुए लोगों से बात की जा सकती है? जानिए पूरी सच्चाई
एआई अब मरे हुए लोगों की आवाज, बातें और यादें भी दोबारा जिंदा कर सकता है। कुछ कंपनियां ऐसे एआई चैटबॉट बना रही हैं, जिनसे लोग अपने गुजर चुके प्रियजनों का डिजिटल वर्जन बना सकते हैं। इस तकनीक को अब 'डिजिटल आफ्टरलाइफ' या 'डेथबॉट्स' कहा जा रहा है।
विस्तार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब इतना आगे बढ़ गया है कि यह मरे हुए लोगों की आवाज, बातें और यादें भी दोबारा जिंदा कर सकता है। जी हां सही सुना आपने, कुछ कंपनियां ऐसे एआई चैटबॉट बना रही हैं, जिनसे लोग अपने गुजर चुके प्रियजनों का डिजिटल वर्जन बना सकते हैं और उनके जीवित होने जैसा अनुभव पा सकते हैं। इस तकनीक को अब 'डिजिटल आफ्टरलाइफ' या 'डेथबॉट्स' कहा जा रहा है।
क्या हैं 'डेथबॉट्स'?
डेथबॉट्स ऐसे एआई सिस्टम हैं जो किसी व्यक्ति के बोलने का तरीका, आवाज और व्यक्तित्व को दोबारा बना सकते हैं। ये किसी इंसान के आवाज की रिकॉर्डिंग, टेक्स्ट मेसेज, ईमेल और सोशल मीडिया पोस्ट्स से डाटा लेकर एक ऐसा डिजिटल अवतार तैयार करते हैं जो मरने के बाद भी बोल सकता है। पहले ऐसी बातें सिर्फ कल्पना लगती थीं, लेकिन अब एआई ने इसे हकीकत में बदलना शुरू कर दिया है।
डेथबॉट्स का अनुभव दिलचस्प लेकिन थोड़ा डराने वाला भी
वैज्ञानिकों ने जो प्रयोग किया उसका अनुभव मिला-जुला रहा। कुछ सिस्टम सिर्फ आपकी यादें जैसे बचपन की कहानियां, पारिवारिक बातें या सलाह सहेजते हैं । एआई इन्हें व्यवस्थित करके एक तरह की डिजिटल डायरी या आर्काइव बना देता है, जिसे आप बाद में देख या सुन सकते हैं। लेकिन कुछ सिस्टम्स इसे परे जाकर किसी गुजर चुके व्यक्ति के डाटा से चैटबॉट बनाते हैं जो उसी लहजे और आवाज में आपसे बात करते हैं। समय के साथ ये चैटबॉट और स्मार्ट होते जाते हैं क्योंकि इनमें मशीन लर्निंग का इस्तेमाल होता है।
क्या सच में लगता है अपनों से बात हो रही है बात?
पहली बार बात करते समय यह अनुभव भावनात्मक और अजीब लगता है। कभी-कभी एआई बिल्कुल सही बात करता है लेकिन कई बार उसके जवाब नकली या रोबोट जैसे लगते हैं। उदाहरण के लिए, एक प्रयोग में जब व्यक्ति ने कहा "मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है" को एआई ने जवाब दिया, "मैं यहीं हूं हमेशा तुम्हारा साथ देने के लिए तैयार। चलो आज की शुरुआत मुस्कुराहट के साथ करें।" यह जवाब सुनने में तो अच्छा लगता है, लेकिन उसमें वो असली भावनाएं नहीं थीं जो किसी इंसान में होती हैं। कभी-कभी तो एआई मौत पर भी हंसते हुए इमोजी भेज देता था, जिससे परिस्थिति और भी अजीब हो जाती है।
मौत की अर्थव्यवस्था की तरह हैं ऐसे एआई सिस्टम
यह तकनीक अब एक बड़ा बिजनेस बन चुकी है। कई स्टार्टअप्स 'डिजिटल आफ्टरलाइफ सर्विस' के नाम पर लोगों से पैसे ले रहे हैं। उनका कहना है कि "यह एक ऐसी तकनीक है जिससे आप अपनी कहानी हमेशा के लिए सहेज सकते हैं" लेकिन असलियत में वो आपका डाटा इकट्ठा करके उससे कमाई करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, कंपनियों ने इसे नई "मौत की अर्थव्यवस्था" बना ली है जो किसी इंसान की मौत के बाद भी उसके डाटा के जरिए पैसे कमाने का तरीका बन रहा है।