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ChatGPT Image: आधार और पैन कार्ड भी बना रहा है ChatGPT, नहीं लगी लगाम तो बुरा होगा अंजाम

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रदीप पाण्डेय Updated Fri, 04 Apr 2025 05:53 PM IST
सार

ChatGPT जैस टूल का इस्तेमाल अब फर्जीवाड़े और साइबर ठगी के लिए होने लगा है। खासतौर पर ChatGPT के इमेज जेनरेशन फीचर के जरिए नकली आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसी पहचान संबंधी महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स बनाए जा सकते हैं, जिससे लोगों के साथ धोखाधड़ी करना बेहद आसान हो गया है।

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ChatGPT is also making Aadhaar and PAN cards if not controlled then the consequences will be bad
fake aadhar card - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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आज के डिजिटल युग में टेक्नोलॉजी ने हमारी जिंदगी को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है, लेकिन जिस तेजी से टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है, उसी तेजी से इसका दुरुपयोग भी बढ़ता जा रहा है। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स जैसे ChatGPT, जो सामान्यतः जानकारी देने और कंटेंट जनरेट करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, उनका भी इस्तेमाल अब फर्जीवाड़े और साइबर ठगी के लिए होने लगा है। खासतौर पर ChatGPT के इमेज जेनरेशन फीचर के जरिए नकली आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसी पहचान संबंधी महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स बनाए जा सकते हैं, जिससे लोगों के साथ धोखाधड़ी करना बेहद आसान हो गया है।

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कैसे हो सकता है दुरुपयोग?

ChatGPT is also making Aadhaar and PAN cards if not controlled then the consequences will be bad
fake Aadhar and PAN - फोटो : अमर उजाला

ChatGPT का इमेज जेनरेशन टूल इतनी रियलिस्टिक तस्वीरें बना सकता है कि असली और नकली पहचान पत्रों में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। कोई भी व्यक्ति किसी का नाम, पता और फोटो डालकर एक नकली आधार कार्ड या पैन कार्ड बनवा सकता है। इस फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल करके, बैंक अकाउंट खोला जा सकता है, फर्जी लोन लिया जा सकता है, मोबाइल सिम कार्ड एक्टिवेट किया जा सकता है, किसी व्यक्ति की पहचान का दुरुपयोग कर उसे मुसीबत में डाला जा सकता है।

ये तस्वीरें हमारी टीम द्वारा चैटजीपीटी से बनवाई गई हैं

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आने वाले समय में क्या हो सकते हैं नुकसान?

  • साइबर क्राइम में बढ़ोतरी: फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए ऑनलाइन ठगी और धोखाधड़ी के मामलों में तेजी आ सकती है।
  • आधार और पैन की विश्वसनीयता पर असर: जब फर्जी पहचान पत्र आसानी से बनाए जा सकते हैं, तो इनकी वैधता और विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगते हैं।
  • डेटा सिक्योरिटी खतरे में: लोगों की पर्सनल जानकारी गलत हाथों में जाकर उनका दुरुपयोग हो सकता है।
  • सामाजिक और कानूनी समस्याएं: किसी के नाम से अपराध किया जा सकता है, जिससे बेगुनाह लोग कानूनी पचड़ों में फंस सकते हैं।

समाधान क्या हो सकता है?

  • इमेज जेनरेशन टूल्स पर सख्त निगरानी और नियम बनाए जाने चाहिए।
  • यूजर्स को जागरूक किया जाए कि वे अपनी पहचान से जुड़े दस्तावेज़ ऑनलाइन शेयर करते समय सतर्क रहें।
  • सरकार और टेक कंपनियों को मिलकर एआई के उपयोग और दुरुपयोग के बीच एक स्पष्ट रेखा खींचनी होगी।


अगर समय रहते इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आने वाले वक्त में यह टेक्नोलॉजी जितनी फायदेमंद हो सकती है, उससे कहीं ज्यादा नुकसानदेह भी साबित हो सकती है।

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