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E-Commerce: अब ग्राहकों को बरगला नहीं सकेंगी ई-कॉमर्स कंपनियां, जानें डार्क पैटर्न पर क्यों लगा प्रतिबंध?

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Mon, 04 Dec 2023 06:58 PM IST
सार
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा 30 नवंबर को ‘डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन के लिए दिशानिर्देश’ के रूप में एक गजट अधिसूचना जारी की गई थी। यह नियम भारत में सामान देने अथवा सेवाओं को प्रदान करने वाले सभी प्लेटफार्म्स, विज्ञापनदाताओं और विक्रेताओं पर लागू है...
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E-Commerce: Now e-commerce companies will not be able to trick customers, know why dark pattern were banned?
E-commerce - फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar

विस्तार
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केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स पर ‘डार्क पैटर्न’ के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने मंत्रालय की इस अधिसूचना को ग्राहक हित में बताया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, इससे ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा ग्राहकों को बरगलाने की प्रवृति पर रोक लगेगी। ई-कॉमर्स कंपनियों के मनमाने रवैये के ख़िलाफ़ कैट द्वारा गत चार वर्षों से लगातार किए जा रहे संघर्ष में इस अधिसूचना को सरकार का एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

ई-कॉमर्स पॉलिसी एवं नियम लागू हों

कैट द्वारा इस संबंध में केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय एवं उपभोक्ता मंत्रालय से लगातार इस बात का आग्रह किया जा रहा था कि ई-कॉमर्स कंपनियां अपने भ्रामक बिज़नेस मॉडल के ज़रिए न केवल व्यापारियों का उत्पीड़न कर रही थीं, बल्कि ग्राहकों के हितों को भी बड़ी हानि पहुंचा रही थीं। इस पर रोक लगाने के लिए ज़रूरी कदम उठाए जाने बेहद आवश्यक हैं। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का इस कदम के लिए आभार जताया है। अब ई-कॉमर्स पॉलिसी एवं नियमों को भी तुरंत लागू किया जाए। इससे भारत में ई-कॉमर्स व्यापार एक बेहद व्यवस्थित तरीक़े से चल सकेगा। ई- कॉमर्स पोर्टल की ज़िम्मेदारी तय होगी। व्यापारी नेताओं के मुताबिक, डार्क पैटर्न उसे कहा जाता है, जिसके ज़रिए ग्राहकों को धोखा अथवा उनकी पसंद में हेरफेर करने का प्रयास किया जाता है।

डार्क पैटर्न का सहारा लेने वालों पर जुर्माना

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा 30 नवंबर को ‘डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन के लिए दिशानिर्देश’ के रूप में एक गजट अधिसूचना जारी की गई थी। यह नियम भारत में सामान देने अथवा सेवाओं को प्रदान करने वाले सभी प्लेटफार्म्स, विज्ञापनदाताओं और विक्रेताओं पर लागू है। अभिसूचना के मुताबिक़, डार्क पैटर्न का सहारा लेना, भ्रामक विज्ञापन देना या अनुचित व्यापार करना, उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन होगा। इसमें कहा गया है कि जुर्माना, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार लगाया जाएगा। भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा, उभरते डिजिटल व्यवसाय में, उपभोक्ताओं को उनकी खरीदारी के विकल्पों और व्यवहार में हेरफेर करके गुमराह करने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स द्वारा डार्क पैटर्न का तेजी से उपयोग किया जा रहा है।

ये बातें होंगी अनुचित व्यापार में शामिल

इस अधिसूचना के दिशानिर्देश से सभी स्टेकहोल्डर्स खरीदारों, विक्रेताओं, बाज़ारों और नियामकों को यह ज्ञात होगा कि किस कार्य को अनुचित व्यापार प्रथाओं के रूप में माना जाएगा। उसके उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। अधिसूचना के अनुसार, डार्क पैटर्न को किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस, उपयोगकर्ता अनुभव इंटरैक्शन का उपयोग करके किसी भी अभ्यास या भ्रामक डिज़ाइन पैटर्न के रूप मे उपयोगकर्ताओं को कुछ ऐसा करने के लिए गुमराह करने व धोखा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके माध्यम से उपभोक्ता की स्वायत्तता, निर्णय लेने की स्वतंत्रता या उनकी पसंद को प्रभावित कर रहा है। डार्क पैटर्न का एक उदाहरण ‘बास्केट स्नीकिंग' है, जिसमें ग्राहकों की सहमति के बिना किसी प्लेटफ़ॉर्म से चेकआउट करते समय उत्पादों, सेवाओं, के लिए अतिरिक्त राशि चार्ज करना, जो ग्राहक की ख़रीद की राशि से अधिक है।

डार्क पैटर्न में जबरन कार्रवाई भी

एक अन्य डार्क पैटर्न जिसे ‘जबरन कार्रवाई’ कहा जाता है, इसका अर्थ है किसी ग्राहक को ऐसी कार्रवाई करने के लिए मजबूर करना, जिसके लिए उसको कोई अतिरिक्त सामान खरीदने या किसी असंबंधित सेवा के लिए सदस्यता लेने या साइन अप करने या सामान अथवा सेवा खरीदने या सदस्यता लेने के लिए व्यक्तिगत जानकारी साझा करने के लिए बाध्य किया जाता है। इसी तरह, सीसीपीए ने केवल उद्योग के लिए मार्गदर्शन के रूप में 13 डार्क पैटर्न जारी किए हैं। कैट ने उम्मीद जताई है कि इस अधिसूचना से ई-कॉमर्स व्यापार में पारदर्शिता आएगी और ग्राहकों का हित भी सुरक्षित रहेगा। ई-कॉमर्स कंपनियों के मनमाने रवैये आदि पर कुछ हद तक लगाम लग सकेगी।

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