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IMC 2025: भारत में 47% लोग अब भी इंटरनेट से दूर, महिलाओं की डिजिटल भागीदारी कम, GSMA ने पेश की रिपोर्ट
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Fri, 10 Oct 2025 05:31 PM IST
सार
GSMA Report: भारत की डिजिटल इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2025 में पेश GSMA की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 47% आबादी अब भी इंटरनेट से वंचित है और महिलाओं की डिजिटल भागीदारी चिंताजनक रूप से कम है।
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बड़ी आबादी इंटरनेट की पहुंच से दूर
- फोटो : AI
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विस्तार
भारत की डिजिटल इकोनॉमी ने पिछले एक दशक में जबरदस्त उछाल दर्ज किया है, लेकिन अब भी ऐसी कई चुनौतियां हैं देश की डिजिटल इकोनॉमी में कमजोर कड़ी बनी हुई हैं। इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2025 में ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस एसोसिएशन (GSMA) ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। GSMA की रिपोर्ट साफ कहती है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो भारत को एक "ब्रेन ड्रेन डिविडेंड" का सामना करना पड़ सकता है। इसका मतलब यह है कि देश के बेहतरीन दिमाग का फायदा घरेलू विकास के बजाय वैश्विक प्रतिद्वंद्वी उठाएंगे।
बड़ी आबादी नहीं कर रही इंटरनेट का इस्तेमाल
डिजिटल असमानता भी भारत की समावेशी वृद्धि के राह में रोड़ा है। GSMA की रिपोर्ट बताती है कि भारत की 47% आबादी अब भी इंटरनेट की पहुंच से दूर है। रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चिंता का विषय है डिजिटल जेंडर गैप को बताया गया है। भारत में पुरुषों के मुकाबले 33% कम महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करती हैं। यदि इस गहरी खाई को नहीं पाटा गया, तो समावेशी विकास का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है।
GSMA को इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 में ग्लोबल इंडस्ट्री पार्टनर के तौर पर शामिल किया गया है। एसोसिएशन का लक्ष्य मोबाइल कनेक्टिविटी और इनोवेशन के जरिए भारत की डिजिटल यात्रा को और तेज करने के तरीकों पर चर्चा और सहयोग को बढ़ावा देना है।
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बड़ी आबादी नहीं कर रही इंटरनेट का इस्तेमाल
डिजिटल असमानता भी भारत की समावेशी वृद्धि के राह में रोड़ा है। GSMA की रिपोर्ट बताती है कि भारत की 47% आबादी अब भी इंटरनेट की पहुंच से दूर है। रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चिंता का विषय है डिजिटल जेंडर गैप को बताया गया है। भारत में पुरुषों के मुकाबले 33% कम महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करती हैं। यदि इस गहरी खाई को नहीं पाटा गया, तो समावेशी विकास का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है।
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GSMA को इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 में ग्लोबल इंडस्ट्री पार्टनर के तौर पर शामिल किया गया है। एसोसिएशन का लक्ष्य मोबाइल कनेक्टिविटी और इनोवेशन के जरिए भारत की डिजिटल यात्रा को और तेज करने के तरीकों पर चर्चा और सहयोग को बढ़ावा देना है।
इनोवेशन में कमी सबसे बड़ी चुनौती
- फोटो : IMC 2025
इनोवेशन में कमी सबसे बड़ी चुनौती
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की इस डिजिटल कहानी में इनोवेशन एक कमजोर कड़ी बनकर उभरा है। हालांकि, देश डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) और मोबाइल कनेक्टिविटी के विस्तार में आगे है, लेकिन यह रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) निवेश, निजी क्षेत्र में इनोवेशन और कुशल पेशेवरों को देश में रोके रखने में पीछे रह रहा है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था की छलांग, पर 2047 के लक्ष्य पर खतरा
भारत की डिजिटल इकोनॉमी ने पिछले एक दशक में शानदार प्रदर्शन किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में यह जहां महज $108 अरब थी, वहीं 2023 में यह तीन गुना बढ़कर लगभग $370 अरब तक पहुंच गई है। देश का लक्ष्य है 2030 तक इस आंकड़े को $1 ट्रिलियन (एक लाख करोड़ डॉलर) के पार ले जाना है। हालांकि, इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) में GSMA की इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट ने इस गति पर चिंता जताई है। रिपोर्ट में गहरी चिंता जताई गई है कि अगर देश ने इनोवेशन और डिजिटल समावेशन के मोर्चे पर मौजूद कमियों को जल्द दूर नहीं किया, तो 2047 तक 'डिजिटल संप्रभुता' हासिल करने का भारत का सपना अधूरा रह सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की इस डिजिटल कहानी में इनोवेशन एक कमजोर कड़ी बनकर उभरा है। हालांकि, देश डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) और मोबाइल कनेक्टिविटी के विस्तार में आगे है, लेकिन यह रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) निवेश, निजी क्षेत्र में इनोवेशन और कुशल पेशेवरों को देश में रोके रखने में पीछे रह रहा है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था की छलांग, पर 2047 के लक्ष्य पर खतरा
भारत की डिजिटल इकोनॉमी ने पिछले एक दशक में शानदार प्रदर्शन किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में यह जहां महज $108 अरब थी, वहीं 2023 में यह तीन गुना बढ़कर लगभग $370 अरब तक पहुंच गई है। देश का लक्ष्य है 2030 तक इस आंकड़े को $1 ट्रिलियन (एक लाख करोड़ डॉलर) के पार ले जाना है। हालांकि, इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) में GSMA की इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट ने इस गति पर चिंता जताई है। रिपोर्ट में गहरी चिंता जताई गई है कि अगर देश ने इनोवेशन और डिजिटल समावेशन के मोर्चे पर मौजूद कमियों को जल्द दूर नहीं किया, तो 2047 तक 'डिजिटल संप्रभुता' हासिल करने का भारत का सपना अधूरा रह सकता है।