{"_id":"68cfb60c2fd33e43e80e66ca","slug":"muse-software-cyber-attack-europe-airport-return-went-back-to-decades-2025-09-21","type":"story","status":"publish","title_hn":"Cyber Attak: Muse सॉफ्टवेयर पर साइबर अटैक, दशकों पीछे पहुंच गए यूरोप के एयरपोर्ट! दिखा ऐसा मंजर","category":{"title":"Tech Diary","title_hn":"टेक डायरी","slug":"tech-diary"}}
Cyber Attak: Muse सॉफ्टवेयर पर साइबर अटैक, दशकों पीछे पहुंच गए यूरोप के एयरपोर्ट! दिखा ऐसा मंजर
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Sun, 21 Sep 2025 01:54 PM IST
सार
Muse Software Cyber Attak: यूरोप के बड़े एयरपोर्ट्स शनिवार को अचानक अतीत में लौटते नजर आए। एक साइबर अटैक ने ऑटोमैटिक सिस्टम को ठप कर दिया, जिसके चलते चेक-इन से लेकर बोर्डिंग तक का काम कर्मचारियों को हाथ से करना पड़ा।
विज्ञापन
एयरपोर्ट
- फोटो : AI
विज्ञापन
विस्तार
दुनियाभर के एयरपोर्ट्स पर काम को रेगुलेट करने के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। ये सॉफ्टवेयर मशीनों को चलाती हैं जिससे काम ऑटोमेट होते हैं और समय की बचत होती है। इससे आखिरकार पैसेंजर्स का अनुभव बेहतर होता है और फ्लाईट्स को समय पर उड़ाने में काफी मदद मिलती है। लेकिन क्या हो जब सॉफ्टवेयर के भरोसे चलने वाला यह सिस्टम ही ठप पड़ जाए?
Muse पर हुआ साइबर अटैक
दरअसल, शनिवार को यूरोप और दुनिया के कुछ बड़े एयरपोर्ट्स पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। खबर आई कि हीथ्रो, ब्रुसेल्स और बर्लिन एयरपोर्ट में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर Muse (म्यूज) को हैक कर लिया गया है। अचानक हुए साइबर अटैक ने यात्रियों और एयरलाइंस दोनों को भारी नुकसान पहुंचाया। इससे तीनों एयरपोर्ट पर ऑटोमैटिक चेक-इन सिस्टम ठप हो गया। नतीजा यह हुआ कि फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं और कई उड़ानों में घंटों की देरी हुई।
कई दशक पीछे चले गए एयरपोर्ट
एयरपोर्ट पर अधिकतर प्रक्रियाएं तकनीक के भरोसे चलती हैं। लेकिन सिस्टम क्रैश होने के बाद हालात ऐसे बन गए कि एयरपोर्ट स्टाफ को पुराने तरीके अपनाने पड़े। कर्मचारियों को हाथ से बैगेज टैग लिखने पड़े और फोन पर बोर्डिंग लिस्ट बनानी पड़ी। यह नजारा ऐसा था जैसे एयरपोर्ट अचानक दशकों पीछे चला गया हो। इस सिचुएशन को एयरपोर्ट्स पर न तो पर्याप्त कर्मचारी थे और न ही मैनुअल प्रोसेस की व्यवस्था। इस वजह से यात्रियों को लंबी कतारों और कैंसिल फ्लाइट्स की परेशानी झेलनी पड़ी।
कैसे मदद करता है Muse सॉफ्टवेयर?
इस साइबर अटैक का निशाना बना Muse सॉफ्टवेयर, जिसका इस्तेमाल आज कल कई एयरपोर् में किया जा रहा है। यह सॉफ्टवेयर एयरपोर्ट के प्रोसेसिंग सिस्टम को संभालता है। यह सॉफ्टवेयर दरअसल पैसेंजर प्रोसेसिंग सिस्टम है, जो एयरलाइंस कंपनियों को एक ही हार्डवेयर से चेक-इन और बोर्डिंग करने की सुविधा देता है। इसकी मदद से कंपनियों को अलग-अलग गेट्स और स्टाफ पर अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, RTX कंपनी ने माना कि Muse सॉफ्टवेयर में दिक्कत आई थी। RTX की सहायक कंपनी Collins Aerospace इस सिस्टम को प्रोवाइड करती है। कंपनी का कहना है कि समस्या की पहचान कर ली गई थी और थोड़े समय बाद इसे ठीक भी कर दिया गया। साथ ही, RTX ने भरोसा दिलाया है कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए काम किया जा रहा है।
साइबर अटैक से सबक
इस घटना ने यह साफ कर दिया कि तकनीक पर पूरी तरह निर्भर सिस्टम एक साइबर अटैक से कितने बड़े संकट में आ सकते हैं। जिस तरह से यूरोप के बड़े एयरपोर्ट्स को अचानक मैनुअल प्रोसेस पर लौटना पड़ा, वह इस बात की चेतावनी है कि साइबर सुरक्षा को लेकर और सख्ती जरूरी है।
Trending Videos
Muse पर हुआ साइबर अटैक
दरअसल, शनिवार को यूरोप और दुनिया के कुछ बड़े एयरपोर्ट्स पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। खबर आई कि हीथ्रो, ब्रुसेल्स और बर्लिन एयरपोर्ट में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर Muse (म्यूज) को हैक कर लिया गया है। अचानक हुए साइबर अटैक ने यात्रियों और एयरलाइंस दोनों को भारी नुकसान पहुंचाया। इससे तीनों एयरपोर्ट पर ऑटोमैटिक चेक-इन सिस्टम ठप हो गया। नतीजा यह हुआ कि फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं और कई उड़ानों में घंटों की देरी हुई।
विज्ञापन
विज्ञापन
कई दशक पीछे चले गए एयरपोर्ट
एयरपोर्ट पर अधिकतर प्रक्रियाएं तकनीक के भरोसे चलती हैं। लेकिन सिस्टम क्रैश होने के बाद हालात ऐसे बन गए कि एयरपोर्ट स्टाफ को पुराने तरीके अपनाने पड़े। कर्मचारियों को हाथ से बैगेज टैग लिखने पड़े और फोन पर बोर्डिंग लिस्ट बनानी पड़ी। यह नजारा ऐसा था जैसे एयरपोर्ट अचानक दशकों पीछे चला गया हो। इस सिचुएशन को एयरपोर्ट्स पर न तो पर्याप्त कर्मचारी थे और न ही मैनुअल प्रोसेस की व्यवस्था। इस वजह से यात्रियों को लंबी कतारों और कैंसिल फ्लाइट्स की परेशानी झेलनी पड़ी।
कैसे मदद करता है Muse सॉफ्टवेयर?
इस साइबर अटैक का निशाना बना Muse सॉफ्टवेयर, जिसका इस्तेमाल आज कल कई एयरपोर् में किया जा रहा है। यह सॉफ्टवेयर एयरपोर्ट के प्रोसेसिंग सिस्टम को संभालता है। यह सॉफ्टवेयर दरअसल पैसेंजर प्रोसेसिंग सिस्टम है, जो एयरलाइंस कंपनियों को एक ही हार्डवेयर से चेक-इन और बोर्डिंग करने की सुविधा देता है। इसकी मदद से कंपनियों को अलग-अलग गेट्स और स्टाफ पर अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, RTX कंपनी ने माना कि Muse सॉफ्टवेयर में दिक्कत आई थी। RTX की सहायक कंपनी Collins Aerospace इस सिस्टम को प्रोवाइड करती है। कंपनी का कहना है कि समस्या की पहचान कर ली गई थी और थोड़े समय बाद इसे ठीक भी कर दिया गया। साथ ही, RTX ने भरोसा दिलाया है कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए काम किया जा रहा है।
साइबर अटैक से सबक
इस घटना ने यह साफ कर दिया कि तकनीक पर पूरी तरह निर्भर सिस्टम एक साइबर अटैक से कितने बड़े संकट में आ सकते हैं। जिस तरह से यूरोप के बड़े एयरपोर्ट्स को अचानक मैनुअल प्रोसेस पर लौटना पड़ा, वह इस बात की चेतावनी है कि साइबर सुरक्षा को लेकर और सख्ती जरूरी है।