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Data Protection Bill: नया डाटा संरक्षण बिल तैयार, मानसून सत्र में होगा पेश, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विशाल मैथिल Updated Tue, 11 Apr 2023 01:33 PM IST
सार

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि बिल के पेश होने का इंतजार करने में कोई हर्ज नहीं है और "आसमान नहीं गिरने वाला है"।

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New data protection bill to be introduced in Monsoon session of Parliament Centre said to SC
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि नया डाटा संरक्षण बिल तैयार कर लिया गया है और इसे संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी है। शीर्ष अदालत दो छात्रों कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बता दें कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि बिल के पेश होने का इंतजार करने में कोई हर्ज नहीं है और "आसमान नहीं गिरने वाला है"।

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अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ को बताया कि विधेयक तैयार है। पीठ में जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सी टी रविकुमार भी शामिल थे, जिन्होंने सबमिशन पर ध्यान दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि मामले को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष रखा जाए ताकि एक नई पीठ का गठन किया जा सके क्योंकि न्यायमूर्ति जोसेफ 16 जून को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। कोर्ट न इस मामले की अगली सुनवाई को अगस्त 2023 के पहले सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया है।
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क्या है पूरा मामला
दरअसल, हाल ही में मेटा के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप ने अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी जारी की थी, जिसमें तहत यूजर्स को बेहतर सुविधा देने के लिए उनकी निजी जानकारी को फैमिली एप फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म के साथ शेयर किया जा सकता है। जिसके बाद दो छात्रों कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी ने व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी में यूजर का पर्सनल डाटा फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म को साझा करने को गलत, उनकी गोपनीयता और फ्री स्पीच का उल्लंघन बताकर इसे न्यायालय में चुनौती दी है।याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि अदालत को अदालत की सुनवाई को विधायी प्रक्रिया से नहीं जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायी प्रक्रिया जटिल है और इसे फिर से कुछ समितियों को भेजा जा सकता है।

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