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Free Electricity: वैज्ञानिकों का अनोखा अविष्कार, कामयाब हुआ तो जीरो होगा बिजली बिल, जानिए फ्री पावर का साइंस

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: जागृति Updated Mon, 22 Dec 2025 11:32 AM IST
सार

Zero Electricity Bill: अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के घूमने और उसके मैग्नेटिक फील्ड से बिजली बनाने का प्रयोग किया है। अभी बहुत कम वोल्टेज मिला है, लेकिन अगर तकनीक सफल रही तो भविष्य में बिना बैटरी और लगभग मुफ्त बिजली संभव हो सकती है।
 

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सांकेतिक तस्वीर - फोटो : freepik
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विस्तार
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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बिजली उत्पादन का एक अनोखा तरीका खोजने का दावा किया है। अगर ये तकनीक कामयाब हो गई तो बिजली का बिल जीरो हो सकता है। इसकी खासियत है कि इस प्रक्रिया में पृथ्वी के घूमने और उसके प्राकृतिक मैग्नेटिक फील्ड का इस्तेमाल किया गया है, जिससे उत्पादन लागत भी बेहद कम हो सकती है। 

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ये प्रयोग अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी की अगुवाई में किया गया है। इसमें नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। वैज्ञानिक एक छोटी मशीन तैयार करके प्रयोग कर रहे हैं। फिलहाल ये पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड में घूमते हुए कुछ माइक्रोवोल्ट बिजली ही पैदा कर रही है, लेकिन इसपर काम जारी है।  
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कैसे काम करेगी ये मशीन?

देखिए पृथ्वी के भीतर गर्म धातुओं की हलचल से एक बड़ा मैग्नेटिक फील्ड बनता है। ये पूरे ग्रह को घेरे रहता है और जब पृथ्वी घूमती है तो मैग्नेटिक फील्ड स्थिर रहता है, जबकि धरती पर मौजूद चीजें उसके अंदर से गुजरती हैं। आमतौर पर ऐसे प्रक्रिया होने पर इलेक्ट्रॉन खुद को समाजोयित कर लेते हैं, लेकिन इससे बिजली नहीं पैदा हो पाती। वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने ऐसा मटीरियल चुना है जो मैग्नेटिक फील्ड को मोड़ देता है, इससे निरंतर थोड़ी-थोड़ी बिजली बनती रहती है। 

कैसे किया गया परीक्षण?

इसकी सटीकता जांचने के लिए सबसे पहले इसका प्रयोग एक शांत अंडरग्राउंड कमरे में किया गया, जहां बाहरी इलेक्ट्रिकल शोर न के बराबर था। इसके बाद इसका सामान्य वातावरण में भी परीक्षण किया गया, लेकिन दोनों  जगह नतीजे लगभग एक समान थे। हालांकि उत्पन्न करंट बेहद कम था और आम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चलाने के लिए भी ये लाखों गुना कम है। इससे ये साबित होता है कि बिजली पैदा की जा सकती है।

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फिलहाल ये तकनीक शुरुआती चरण में है। पर इसे लेकर वैज्ञानिकों के बीच बहस भी जारी है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है ये सिद्धांत गलत भी साबित हो सकता है। प्रोफेसर क्रिस्टोफर एच चिबा के मुताबिक, सबसे जरूरी है कि कोई दूसरे स्वतंत्र वैज्ञानिक टीम इस प्रयोग को दाेहराकर इसकी पुष्टि करें या इसे गलत साबित करें। 

भविष्य की संभावनाएं

भविष्य में अगर ये तकनीक बड़े स्तर पर कामयाब हो गई तो इससे कई फायदें मिल सकेंगे। जैसे दूर दराज के सेंसर और वैज्ञानिक उपकरण बिना बैटरी चल पाएंगे। कई छोटे सिलेंडर जोड़कर ज्यादा वोल्टेज पैदा किया जा सकेगा। इसके साथ ही ये एक साफ, निरंतर उपलब्ध और फ्री एनर्जी सोर्स बन सकता है। 

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