हिंदी देश में 'नेतागिरी' की भाषा, ट्रंप भी अपनाने को हुए मजबूर
- ट्रंप ने ट्वीट में लिखा, अमेरिका और भारत अपने देशों को मजबूत बनाएंगे
- अमेरिका भारत को प्रेम करता है, अमेरिका भारत का सम्मान करता है
विस्तार
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो दिवसीय भारत यात्रा पर हैं। लेकिन भारत की जमीन पर उतरने से पहले ही हिंदी में ट्वीट कर देश का दिल जीत लिया। उन्होंने कहा कि हम भारत आने के लिए उत्सुक हैं। हम रास्ते में हैं, कुछ ही घंटों में हम सब मिलेंगे।
वहीं ट्रंप यहीं नहीं रुके। मोटेरा स्टेडियम में लोगों को संबोधित करने के समय भी उन्होंने कहा कि वे इस देश के लोगों से मिलने के लिए 8000 मील का चक्कर लगाकर आये हैं।
अमेरिका और भारत अपने देशों को मजबूत बनाएँगे, अपने लोगों को सम्पन्न बनाएँगे, बड़े सपने देखने वालों को और बड़ा बनाएँगे और अपना भविष्य पहले से कहीं अधिक उज्जवल बनाएँगे... और यह तो शुरुआत ही है।— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) February 24, 2020
कुछ ही पलों में ट्रंप के ये ट्वीट सोशल मीडिया की सुर्खियां बन गए। हिंदी के विद्वान भी ट्रंप के हिंदी ट्वीट को लेकर बहुत उत्साहित हैं। उनका मानना है कि इस तरह के प्रतीकों से हिंदी जीतती है और उसका प्रभाव बढ़ता है।
हिंदी के प्रसिद्ध व्यंगकार आलोक पुराणिक ने ट्रंप के ट्वीट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंदी हिंदुस्तान में नेतागिरी की भाषा है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हों या विदेश के नेता ट्रंप हों, अगर किसी नेता को हिंदुस्तान के दिल को छूना है तो उसे हिंदी तक पहुंचना ही पड़ेगा।
प्रथम महिला और मैं इस देश के हर नागरिक को एक सन्देश देने के लिए दुनिया का 8000 मील का चक्कर लगा कर यहां आये हैं l अमेरिका भारत को प्रेम करता है - अमेरिका भारत का सम्मान करता है - और
अमरीका के लोग हमेशा भारत के लोगों के सच्चे और निष्ठावान दोस्त रहेंगे l https://t.co/1yOmQOEnXE— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) February 24, 2020
लगभग आधा हिंदुस्तान आधिकारिक रूप से हिंदी बोलता है और लगभग पूरा हिंदुस्तान इसे समझता है। ऐसे में अगर भारत से आत्मीय संपर्क बनाना है, तो हिंदी की ताकत को स्वीकार करना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अकसर राष्ट्राध्यक्ष दूसरे देशों की भाषाओं में ट्वीट कर उनसे नजदीकी सम्बंध बनाने की कोशिश करते हैं और ट्रंप के ट्वीट को इसी नजरिये से देखा जाना चाहिए।
हिंदी भाषा के विद्वान सुभाष चंद्र ने कहा कि कुछ लोगों को हिंदी एक कमजोर होती हुई भाषा दिखाई पड़ती है, लेकिन ट्रंप के ट्वीट और उस पर हो रही टिप्पणी को देखकर समझ आ जाना चाहिए कि हिंदी में दूसरों को अपने तक खींचने की ताकत है।
इस तरह के प्रतीकों से हिंदी की अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता बढ़ती है। अगर सरकार इसे रोजगार से ज्यादा मजबूती के साथ जोड़ने के लिए जमीनी बदलाव करे तो इससे बड़ा परिवर्तन आ सकता है। इससे न सिर्फ हिंदी को ताकत मिलेगी, बल्कि इससे हिंदी भाषियों का आर्थिक विकास भी होगा।