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Scam: आपके बिजनेस को चूना लगा सकते हैं विशिंग और डीपफेक वॉइस, जानिए अपने बिजनेस को बचाने का अल्टीमेट गाइड

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Mon, 10 Nov 2025 05:37 PM IST
सार

डीपफेक वॉइस फ्रॉड अब विशिंग यानी वॉइस फिशिंग को एक नए स्तर पर लेके जा रहा है। पहले जो साधारण स्कैम कॉल होते थे, वो अब एआई की मदद से हाइपर-रियलिस्टिक सीईओ की आवाज में बदल गए हैं।

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Vishing and Deepfake voice can replicate voice
Cyber Attack - फोटो : Freepik
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विस्तार
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सोचिए आपको एक कॉल आता है। आवाज आपके सीईओ की है, वही टोन, वही स्टाइल। सीईओ कह रहे हैं कि एक सीक्रेट डील क्लोज करने के लिए तुरंत पैसे ट्रांसफर करो। सब कुछ असली जैसा लग रहा है। लेकिन ये सच नहीं है। ये एआई संचालित वॉइस सोशल इंजीनियरिंग है जो वॉइस फ्रॉड का नया रूप है।

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अब जोखिम की प्रकृति बदल गई है। पहले फिशिंग (किसी को अपने जाल में फंसाने का तरीका) सिर्फ टेक्स्ट तक सीमित थी, अब उसकी पहुंच वॉइस तक हो गई है। एआई की वजह से हमलावर्स किसी की आवाज को बेहद सटीकता से क्लोन कर सकते हैं। ये डीपफेक वॉइस फ्रॉड आज के सबसे खतरनाक साइबर ट्रेंड्स में से एक है। ये हमले सामूहिक हमले नहीं होते, बल्कि टारगेटेड होते हैं। ऐसे कर्मचारियों को निशाना बनाया जाता है जो भुगतान के लिए अधिकृत हों या संवेदनशील जानकारी साझा कर सकते हों।
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हमलावर सीईओ की आवाज में बात करके सारे संदेह खत्म कर देता है। इस लेख का उद्देश्य आपको विस्तार से समझाना है कि ये हमले कैसे होते हैं और कौन सी मानव और तकनीकी रक्षा आपको अपनानी चाहिए। हमले को रोकने के लिए पहले समझना जरूरी है कि इसकी शुरुआत कैसे होती है। वॉइस फ्रॉड अब साधारण दबाव की रणनीति से निकलकर मल्टी चैनल प्रतिरूपण तक पहुंच गया है।

ये पुराना तरीका है। हमलावर कर्मचारी को कॉल करता है और जरूरी काम होने का दबाव डालता है। जैसे अकाउंट में दिक्कत, टेक सहायता कॉल, या सिक्योरिटी अलर्ट। हमलावर का उद्देश्य इतना दबाव डालना होता है कि पीड़ित बिना सोचे-समझे जानकारी साझा कर दे। क्लासिक विशिंग एक पुराना तरीका है जिसमें हमलावर कर्मचारी को कॉल करता है और जरूरी काम होने का दबाव डालता है। जैसे अकाउंट में दिक्कत, टेक सहायता कॉल, या सिक्योरिटी अलर्ट। इसका उद्देश्य होता है कि इतना दबाव डालना कि पीड़ित बिना सोचे समझे जरूरी जानकारी साझा कर दे।

अब साइबर हमलों का स्तर काफी बढ़ गया है। एआई की मदद से हमलावर पॉडकास्ट, कॉन्फ्रेंस, या मीटिंग से सिर्फ कुछ सेकंड की ऑडियो से किसी की आवाज की नकल कर सकता है। ये क्लोन वॉइस सिर्फ टोन नहीं, बल्कि कैडेंस और पिच भी कॉपी करती है। जिससे ये जानना मुश्किल हो जाता है कि सामने वाला हमलावर है या आपका बॉस। सबसे खतरनाक हमलें वो है जो ईमेल और कॉल दोनों को मिलाकर किए जाते हैं। जिसमें सबसे पहले 'अर्जेंट और कॉन्फिडेंशियल' स्पीयर फिशिंग ईमेल आता है और फिर सीईओ की नकल की गई आवाज से कॉल आता है। जिससे पीड़ित हमलावर के जाल में फंस जाता है।

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