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चांद देखकर चलनी से किया पति का दीदार
ब्यूरो/अमर उजाला/गाजीपुर
Updated Fri, 30 Oct 2015 10:44 PM IST
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पति के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ का पर्व शुक्रवार को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। महिलाओं ने विश्वास और प्रेम के साथ इस पर्व को मनाया। पूजा-पाठ की सामग्री की खरीद को लेकर दोपहर बाद तक बाजारों में चहल-पहल बनी रही। इसके बाद शाम को महिलाओं के सजने-संवरने का क्रम शुरू हुआ।
रात में व्रती महिलाओं ने चांद देखकर चलनी से पति का दीदार किया। बाद में पति ने अरघे से पत्नी को पानी पिलाया और मुंह मीठा कराया। इस पर्व के चलते जहां घरों में उत्सव का माहौल रहा, वहीं महिलाओं की भी व्यस्तता बनी रही।
इस पर्व पर व्रती महिलाएं सोलह शृंगार करती है। संज-संवरकर सुहागिनें अपने पति के सम्मुख होतीं हैं। इस क्रम में शाम को पांच बजे के बाद से ही घरों में व्रती महिलाओं के संजने-संवरने का क्रम शुरू हो गया। कई महिलाएं ब्यूटी पार्लरों में पहुंची। मेंहदी रचाने की होड़ आज भी बनी रही।
इस तैयारी में घर की अन्य महिलाएं भी हाथ बंटाती रही। दिनभर व्रत रहने के बाद रात में आखिरकार वह समय आ ही गया, जिसका सौभाग्यवती महिलाओं को बेकरारी से इंतजार था।
मुर्हुत के अनुसार रात आठ बजे के बाद व्रत रखी महिलाओं ने छलनी में चांद को देख पति का दीदार किया। इसके लिए वह अपने घरों की छतों पर खड़ी रही। कई महिलाओं ने अपने आंगन या घर के बाहर खड़ी होकर चांद का दीदार किया। चांद के दर्शन के बाद परंपरागत ढंग से इस पर्व को मनाया गया। व्रती महिलाओं के उत्साह के चलते घरों का माहौल खुशगवार बना रहा।
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रात में व्रती महिलाओं ने चांद देखकर चलनी से पति का दीदार किया। बाद में पति ने अरघे से पत्नी को पानी पिलाया और मुंह मीठा कराया। इस पर्व के चलते जहां घरों में उत्सव का माहौल रहा, वहीं महिलाओं की भी व्यस्तता बनी रही।
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इस पर्व पर व्रती महिलाएं सोलह शृंगार करती है। संज-संवरकर सुहागिनें अपने पति के सम्मुख होतीं हैं। इस क्रम में शाम को पांच बजे के बाद से ही घरों में व्रती महिलाओं के संजने-संवरने का क्रम शुरू हो गया। कई महिलाएं ब्यूटी पार्लरों में पहुंची। मेंहदी रचाने की होड़ आज भी बनी रही।
इस तैयारी में घर की अन्य महिलाएं भी हाथ बंटाती रही। दिनभर व्रत रहने के बाद रात में आखिरकार वह समय आ ही गया, जिसका सौभाग्यवती महिलाओं को बेकरारी से इंतजार था।
मुर्हुत के अनुसार रात आठ बजे के बाद व्रत रखी महिलाओं ने छलनी में चांद को देख पति का दीदार किया। इसके लिए वह अपने घरों की छतों पर खड़ी रही। कई महिलाओं ने अपने आंगन या घर के बाहर खड़ी होकर चांद का दीदार किया। चांद के दर्शन के बाद परंपरागत ढंग से इस पर्व को मनाया गया। व्रती महिलाओं के उत्साह के चलते घरों का माहौल खुशगवार बना रहा।
