Uk: सिस्टम का स्टेयरिंग फेल : हादसों से सबक लिया होता तो बच सकती थीं सात जानें, इस साल सड़कों पर 950 मौतें
अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण में मंगलवार सुबह हुआ भीषण बस हादसा उस सिस्टम की विफलता की कहानी है जो बड़े हादसों के बाद भी सबक नहीं लेता।
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अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण में मंगलवार सुबह हुआ भीषण बस हादसा उस सिस्टम की विफलता की कहानी है जो बड़े हादसों के बाद भी सबक नहीं लेता। दुर्घटना में जीवित बचे यात्रियों के अनुसार बस का स्टेयरिंग अचानक फेल हो गया जिसके बाद वाहन अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरा। यदि समय रहते वाहनों की फिटनेस, सड़कों की हालत और सुरक्षा मानकों पर गंभीरता दिखाई गई होती तो इस हादसे में गईं सात जानें शायद बचाई जा सकती थीं।
प्रदेश में खस्ताहाल बसें, पहाड़ी सड़कों पर मौजूद डेंजर प्वाइंट और कमजोर निगरानी व्यवस्था हर साल सैकड़ों लोगों की जान पर भारी पड़ रही है। वर्ष 2025 में अब तक सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या लगभग 950 तक पहुंच चुकी है जबकि सड़क हादसों के मामले 1600 के पार हो गए हैं। यह आंकड़े बीते साल की तुलना में कहीं अधिक हैं।
उत्तराखंड पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में प्रदेश में 1311 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गई थीं जो 2025 में बढ़कर 1369 हो गईं। हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या भी 2024 में 770 से बढ़कर 2025 में 917 तक पहुंच गई है। वहीं घायलों की संख्या में सबसे ज्यादा उछाल देखा गया है जो 1145 से बढ़कर करीब 1600 हो चुकी है। पुलिस और यातायात विभाग की ओर से चलाए जा रहे चेकिंग अभियान और जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद हादसों का ग्राफ नीचे नहीं आ रहा है।
वाहनों की फिटनेस की अनदेखी बड़ा कारण
विशेषज्ञों और विभागीय रिपोर्टों के अनुसार वाहनों की फिटनेस की अनदेखी सड़क हादसों का बड़ा कारण बनी हुई है। इसके साथ ही यातायात नियमों की खुलेआम अनदेखी, ओवरस्पीडिंग, शराब पीकर वाहन चलाना और गलत तरीके से ड्राइविंग करना दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा है। इन लापरवाहियों की कीमत अक्सर निर्दोष लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है।
सुप्रीम सख्ती भी बेअसर
भिकियासैंण बस हादसा एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर कब तक सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा आम लोग अपनी जान देकर चुकाते रहेंगे। बढ़ते सड़क हादसों पर सुप्रीम कोर्ट भी सख्त रुख अपना चुका है और संबंधित विभागों को प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दे चुका है। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव ने भी ओवरस्पीड और रेड लाइट जंप करने वाले वाहन चालकों के लाइसेंस के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। बावजूद इसके जमीनी स्तर पर हालात नहीं बदल पा रहे हैं।
इन जिलों में हालात चिंताजनक...
अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, नैनीताल, पिथौरागढ़, पौड़ी और रुद्रप्रयाग में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ी है। वहीं पिथौरागढ़, चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग, टिहरी और देहरादून में हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। नैनीताल, बागेश्वर, पौड़ी, अल्मोड़ा, चमोली, टिहरी, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी में घायलों की संख्या भी पिछले वर्ष की तुलना में अधिक दर्ज की गई है।

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