{"_id":"6908eb8eda9d80e0200b178a","slug":"if-the-health-of-the-himalayas-deteriorates-the-fertile-plains-of-the-ganga-will-become-deserts-shyam-almora-news-c-232-1-shld1002-135941-2025-11-03","type":"story","status":"publish","title_hn":"हिमालय की सेहत खराब हुई तो गंगा का उपजाऊ मैदान हो जाएगा रेगिस्तान : श्याम","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
    हिमालय की सेहत खराब हुई तो गंगा का उपजाऊ मैदान हो जाएगा रेगिस्तान : श्याम
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                अल्मोड़ा। उत्तराखंड सेवा निधि जाखनदेवी में सोमवार को पूर्व राज्यपाल बीडी पांडे स्मृति 12वां व्याख्यान आयोजित हुआ। पूर्व विदेश सचिव पद्म भूषण श्याम सरन ने हिमालय में पारिस्थितिकीय संकट विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि हिमालय की सेहत खराब हुई तो गंगा के उपजाऊ मैदान का अस्तित्व भी संकट में पड़ेगा। हिमालय के संरक्षण को प्रबल राजनीतिक इच्छा शक्ति जरूरी है।
                                
                
                
                 
                    
                                                                                                        
                                                
                        
                        
                        
                                                                                      
                   
                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य पर्यावरण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन बनावट के लिहाज से काफी कमजोर है। उन्होंने आगाह किया कि हिमालय की सेहत खराब हुई तो गंगा का उपजाऊ मैदान रेगिस्तान हो जाएगा। जीवन की जरूरतों की पूर्ति के लिए हिमालय के लोगों को भी विकास की जरूरत है। यहां का विकास पर्यावरण की कीमत पर नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि 2008 में तत्कालीन केंद्र सरकार के निर्देश पर हिमालय राज्यों में विकास के लिए राष्ट्रीय एक्शन प्लान तैयार किया गया था।    
             
                                                    
                                 
                                
                               
                                                                
                                                 
                
तब सरकार ने सैद्धांतिक तौर पर हिमालयी राज्यों को संतुलित विकास के एवज में भरपाई के तौर पर अतिरिक्त सहायता देना स्वीकार किया था। 15 साल बीतने के बाद भी इस एक्शन प्लान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने हिमालय क्षेत्र में ऑल वेदर रोड, बड़े बांध समेत अन्य बड़ी परियोजनाओं से पैदा होने वाले दुष्परिणामों को लेकर सचेत किया। कहा कि मशीनों से पहाड़ काटकर चौड़ी सड़कों और रेलवे परियोजना में सुरंगों के निर्माण, विस्फोटकों का इस्तेमाल, बांध निर्माण के दौरान मलबे की उचित निकासी नहीं होना भविष्य के लिए गंभीर संकट खड़ा कर रहा है।
सुंदर और आकर्षक होने के साथ ही हिमालय क्षेत्र पर्यावरणीय लिहाज से काफी संवेदनशील है। यहां संतुलित विकास और प्रभावी नीतियों से ही पर्यावरण संरक्षण हो सकता है। संचालन पद्मश्री डॉ. ललित पांडे ने किया। रंजन जोशी ने सभी का आभार जताया। इस मौके पर पूर्व पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, एसएसजे विवि के कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट, प्रो जेएस रावत, डॉ. रमेश पांडे राजन, डाॅ. वसुधा पंत, शेखर लखचौरा, मनोहर सिंह बृजवाल, अनुराधा, डॉ. डीपी पांडे, रमा जोशी, कमल जोशी आदि मौजूद थे।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                
                                
                
                                                                
                               
                                                        
        
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                                                                उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य पर्यावरण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन बनावट के लिहाज से काफी कमजोर है। उन्होंने आगाह किया कि हिमालय की सेहत खराब हुई तो गंगा का उपजाऊ मैदान रेगिस्तान हो जाएगा। जीवन की जरूरतों की पूर्ति के लिए हिमालय के लोगों को भी विकास की जरूरत है। यहां का विकास पर्यावरण की कीमत पर नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि 2008 में तत्कालीन केंद्र सरकार के निर्देश पर हिमालय राज्यों में विकास के लिए राष्ट्रीय एक्शन प्लान तैयार किया गया था।
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            तब सरकार ने सैद्धांतिक तौर पर हिमालयी राज्यों को संतुलित विकास के एवज में भरपाई के तौर पर अतिरिक्त सहायता देना स्वीकार किया था। 15 साल बीतने के बाद भी इस एक्शन प्लान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने हिमालय क्षेत्र में ऑल वेदर रोड, बड़े बांध समेत अन्य बड़ी परियोजनाओं से पैदा होने वाले दुष्परिणामों को लेकर सचेत किया। कहा कि मशीनों से पहाड़ काटकर चौड़ी सड़कों और रेलवे परियोजना में सुरंगों के निर्माण, विस्फोटकों का इस्तेमाल, बांध निर्माण के दौरान मलबे की उचित निकासी नहीं होना भविष्य के लिए गंभीर संकट खड़ा कर रहा है।
सुंदर और आकर्षक होने के साथ ही हिमालय क्षेत्र पर्यावरणीय लिहाज से काफी संवेदनशील है। यहां संतुलित विकास और प्रभावी नीतियों से ही पर्यावरण संरक्षण हो सकता है। संचालन पद्मश्री डॉ. ललित पांडे ने किया। रंजन जोशी ने सभी का आभार जताया। इस मौके पर पूर्व पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, एसएसजे विवि के कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट, प्रो जेएस रावत, डॉ. रमेश पांडे राजन, डाॅ. वसुधा पंत, शेखर लखचौरा, मनोहर सिंह बृजवाल, अनुराधा, डॉ. डीपी पांडे, रमा जोशी, कमल जोशी आदि मौजूद थे।