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Bageshwar News: असम के काले धान को भा रही बागेश्वर की आबोहवा
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बागेश्वर। असोम के परंपरागत काले धान को जिले की जलवायु रास आने लगी है। कृषि विभाग ने परीक्षण के लिए 15 प्रगतिशील किसानों को इसका बीज उपलब्ध कराया। वर्तमान में खेतों में लहलहा रही काले धान की फसल से काश्तकारों और कृषि विभाग की उम्मीदों को बल मिल रहा है। इसके चावल की बाजार में कीमत 250 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक है। परीक्षण के दौरान उत्पादित बीज को संरक्षित कर जिले के अन्य किसानों को इसकी खेती से जोड़ा जाएगा।
किसानों को आधुनिक तकनीकी के साथ परंपरागत खेती से जोड़ने के लिए कृषि विभाग नए-नए प्रयोग कर रहा है। विभाग ने जिले के 30 किसानों को काले धान के उत्पादन का प्रशिक्षण देकर 15 किसानों को एक-एक किलो बीज उपलब्ध कराया। इन किसानों ने इस साल 23 मई को इस धान की नर्सरी तैयार की। एक महीने बाद तैयार नर्सरी से धान की रोपाई की। वर्तमान में चौरसों, बनलेख और मनकोट गांव में काले धान की फसल तैयार है। किसानों ने फसल का उत्पादन जैविक विधि से किया। जिले की 25 नाली भूमि पर परीक्षण के तौर पर काला धान बोया गया है। इसमें दो से 2.5 क्विंटल उत्पादन होने की उम्मीद है। परीक्षण के दौरान उत्पादित बीज को संरक्षित कर जिले के अन्य किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। संवाद
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गुणकारी होने के चलते बाजार में है अधिक मांग
केवीके के वैज्ञानिक डॉ. राजकुमार ने बताया कि काले धान में एंटीऑक्सीडेंट्स, आयरन, फाइबर, खनिज और कई विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं जो मधुमेह, रक्तचाप में फायदेमंद है। यह पाचन शक्ति बढ़ाता है। शरीर को डिटॉक्स करता है। एंटी-कैंसर गुणों से युक्त होता है। कम पानी और जैविक खाद में उगाया जा सकता है।
कोट
जिले में पहली बार काले धान की खेती परीक्षण के तौर पर की गई। अक्तूबर पहले सप्ताह में इसकी कटाई की जाएगी। उत्पादित फसल से बीज को संरक्षित कर जिले के अन्य किसानों कोे भी उपलब्ध कराया जाएगा। - राजेंद्र उप्रेती, कृषि अधिकारी बागेश्वर