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लालढांग मार्ग निर्माण के लिए कोई तकनीकी दिक्कत नहीं : रावत
संवाद न्यूज एजेंसी, कोटद्वार
Updated Thu, 20 Nov 2025 06:36 PM IST
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कोटद्वार। प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि राजाजी नेशनल पार्क एवं वन अधिनियम लागू होने से पहले से ही 11 किलोमीटर लंबा लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग पक्का था। इसके निर्माण में कोई तकनीकी दिक्कत नहीं है। उनके वन मंत्री रहते सही पैरवी होने से सुप्रीम कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई। प्रदेश सरकार मामले में सही ढंग से पैरवी करे।
कोटद्वार में प्रेस वार्ता के दौरान डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने यह सड़क मुख्यमंत्री और राज्य वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृत कराई। इसके बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति के लिए भेजा। मंत्रालय ने पुल की ऊंचाई 10 मीटर रखने की बात कही थी। वह वाइल्ड लाइफ बोर्ड की मीटिंग से जुड़े। इस मामले में सही तर्क रखे, जिन्हें मान लिया गया। लालढांग की ओर से तीन किमी. मार्ग का पक्का भी हो चुका था। एक पुल व शेष आठ किमी. का डामरीकरण होना था।
कण्वाश्रम महोत्सव के दौरान वह तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के साथ हेलीकाप्टर से कण्वाश्रम मेले में आ रहे थे। तब उनसे इस बारे में चर्चा की गई। इसके चार पांच दिन बाद ही तत्कालीन मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने पत्र भेजकर निर्माण पर रोक लगा दी। कहा कि पहले उन्होंने लोनिवि ने नौ करोड़ का बजट स्वीकृत कराया था। जबकि दूसरे शासनादेश में उन्होंने मार्ग निर्माण के लिए वन विभाग से छह करोड़ स्वीकृत कराए थे। उन्होंने कहा वाइल्ड लाइफ बोर्ड के मिनट समेत सही तथ्य सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखने की जरूरत है। इस मौके पर पूर्व जिलाध्यक्ष विनोद डबराल, रंजना रावत, गोपाल सिंह गुसाईं, बलवीर सिंह रावत आदि मौजूद रहे।
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पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने दिया आंदोलन को समर्थन
कण्वघाटी। पूर्व वन मंत्री बृहस्पतिवार को चिल्लरखाल में लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग निर्माण के लिए चल रहे धरने को समर्थन देने चिल्लरखाल पहुंचे। उन्होंने कहा कि जनहित से जुड़े कुछ फैसले राजनीति से ऊपर उठकर किए जाने चाहिए। कहा कि उन्होंने बैरियर पर शुल्क भी माफ करवा दिया था, लेकिन अब फिर से स्थानीय लोगों से शुल्क वसूला जा रहा है, जो गलत है। वन मंत्री के संबोधन के दौरान आंदोलनकारी भड़क उठे और कोटद्वार को नगर निगम बनाने के फैसले को गलत बताया।
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कोटद्वार में प्रेस वार्ता के दौरान डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने यह सड़क मुख्यमंत्री और राज्य वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृत कराई। इसके बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति के लिए भेजा। मंत्रालय ने पुल की ऊंचाई 10 मीटर रखने की बात कही थी। वह वाइल्ड लाइफ बोर्ड की मीटिंग से जुड़े। इस मामले में सही तर्क रखे, जिन्हें मान लिया गया। लालढांग की ओर से तीन किमी. मार्ग का पक्का भी हो चुका था। एक पुल व शेष आठ किमी. का डामरीकरण होना था।
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कण्वाश्रम महोत्सव के दौरान वह तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के साथ हेलीकाप्टर से कण्वाश्रम मेले में आ रहे थे। तब उनसे इस बारे में चर्चा की गई। इसके चार पांच दिन बाद ही तत्कालीन मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने पत्र भेजकर निर्माण पर रोक लगा दी। कहा कि पहले उन्होंने लोनिवि ने नौ करोड़ का बजट स्वीकृत कराया था। जबकि दूसरे शासनादेश में उन्होंने मार्ग निर्माण के लिए वन विभाग से छह करोड़ स्वीकृत कराए थे। उन्होंने कहा वाइल्ड लाइफ बोर्ड के मिनट समेत सही तथ्य सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखने की जरूरत है। इस मौके पर पूर्व जिलाध्यक्ष विनोद डबराल, रंजना रावत, गोपाल सिंह गुसाईं, बलवीर सिंह रावत आदि मौजूद रहे।
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पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने दिया आंदोलन को समर्थन
कण्वघाटी। पूर्व वन मंत्री बृहस्पतिवार को चिल्लरखाल में लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग निर्माण के लिए चल रहे धरने को समर्थन देने चिल्लरखाल पहुंचे। उन्होंने कहा कि जनहित से जुड़े कुछ फैसले राजनीति से ऊपर उठकर किए जाने चाहिए। कहा कि उन्होंने बैरियर पर शुल्क भी माफ करवा दिया था, लेकिन अब फिर से स्थानीय लोगों से शुल्क वसूला जा रहा है, जो गलत है। वन मंत्री के संबोधन के दौरान आंदोलनकारी भड़क उठे और कोटद्वार को नगर निगम बनाने के फैसले को गलत बताया।