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Haldwani: वांटेड ने सात राज्यों में पुलिस को भगाया, फिर सोते समय दबोचा गया; जानें 21 दिन मोईद ने क्या किया

अमर उजाला नेटवर्क, नैनीताल Published by: हीरा मेहरा Updated Fri, 01 Mar 2024 04:20 PM IST
सार

आठ फरवरी को हुई हिंसा के आखिरी वांटेड अब्दुल मोईद को पुलिस ने बृहस्पतिवार तड़के दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है। पांच राज्यों की दौड़ लगाकर इंतजार में बैठी पुलिस को हिंसा के 21वें दिन सफलता मिली। अब्दुल मोईद को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया।

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Haldwani Today News: police arrested wanted Abdul Moeed from Delhi After 21 days
अब्दुल मोईद - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बनभूलपुरा क्षेत्र में आठ फरवरी को हुई हिंसा के आखिरी वांटेड अब्दुल मोईद को पुलिस ने बृहस्पतिवार तड़के दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है। पांच राज्यों की दौड़ लगाकर इंतजार में बैठी पुलिस को हिंसा के 21वें दिन सफलता मिली। बृहस्पतिवार देर रात अब्दुल मोईद को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया।

मलिक का बगीचा स्थित नजूल भूमि पर कब्जा कर अवैध रूप से बनाए गए मदरसा और धार्मिक स्थल के ध्वस्तीकरण के दौरान आठ फरवरी को हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान पथराव, आगजनी भी हुई। बनभूलपुरा थाना फूंक दिया गया। बनभूलपुरा थाने को फूंकने, तोड़फोड़, पथराव आदि मामले में लाइन नंबर-8 आजाद नगर निवासी अब्दुल मोईद पर हिंसा भड़काने के आरोप हैं। उस पर यूएपीए भी लगा है। घटना के बाद से ही मलिक का बेटा अब्दुल मोईद फरार था। उसकी तलाश में पुलिस की छह टीमें दिल्ली, यूपी, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की खाक छानती रहीं।

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बृहस्पतिवार सुबह तड़के अब्दुल मोईद को पुलिस और एसओजी की टीम ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। उसे हल्द्वानी लाया गया। एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर उसे देर रात जेल भेज दिया गया है। वहीं अब्दुल मलिक से पूछताछ पूरी होने के बाद अब्दुल मोईद की रिमांड के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई जाएगी। एसएसपी ने बताया कि अब्दुल मोईद को गिरफ्तार करने वाली टीम को डीआईजी की ओर से 5000 और एसएसपी की ओर से 2500 रुपये इनाम की घोषणा की गई है।

मुस्लिम बहुल क्षेत्र में छिपा था मोईद, दो दिन से एसओजी के पास थी सूचना
अब्दुल मोईद दिल्ली में मुस्लिम बहुल्य क्षेत्र में घनी आबादी के बीच छिपा था। दो दिन से एसओजी और पुलिस की टीम दिल्ली में उस इलाके में डेरा डाले हुई थी। अगर बृहस्पतिवार तड़के पुलिस उसे नहीं पकड़ती तो आठ बजे वह अपना अड्डा बदल लेता।

पुलिस सूत्र बताते हैं कि वह एक अड्डे पर दो दिन से अधिक नहीं ठहरता था। दूसरे दिन वह वहां से चल पड़ता था। वह एक जगह से दूसरी जगह जिस कार से जाता था, उस कार को दोबारा इस्तेमाल नहीं कर रहा था। मोईद अपने रिश्तेदार, परिजन और जानने वाले मित्रों के वहां रहता था। उन्हीं की कार का प्रयोग करता था।

सूत्र बताते हैं कि एसओजी को मुखबिर से सूचना मिली थी कि मोईद दिल्ली में छिपा है। टीम उस इलाके में दो दिन से डेरा डाले हुई थी। इस बीच मोईद बालकनी में खड़ा दिखाई दिया, तब उसे रात में उसे पकड़ने की योजना बनाई गई।

मोईद को पुलिस ने बृहस्पतिवार तड़के करीब चार से छह बजे के बीच गिरफ्तार किया और हल्द्वानी के लिए चल दी। सूत्रों के अनुसार अब्दुल मोईद आठ बजे अपना अड्डा बदल देता। उसने इसकी तैयारी भी पूरी कर ली थी।

दिल्ली पहुंचते ही मोईद ने बदल ली गाड़ी
बनभूलपुरा हिंसा के बाद अब्दुल मोईद दिल्ली भाग गया। दिल्ली भागने के बाद उसने अपना वाहन दिल्ली में खड़ा कर दिया। यहां से अपने मित्र, परिजनों की कार में घूमता रहा। उसने अपने बच्चों को पहले ही कहीं छोड़ दिया था। उसने अपना मोबाइल भी बंद कर दिया था। अपने मुखबिर तंत्र के माध्यम से वह पुलिस की जानकारी लेता रहा।

गिरफ्तारी के तुरंत बाद वकीलों ने एसएसपी को कर दिया फोन
अब्दुल मोईद को यह भी डर था कि पुलिस उसका एनकाउंटर करवा सकती है। इस कारण वह वकीलों के संपर्क में था, वो जहां जाता उसका मुखबिर तंत्र सक्रिय हो जाता। वह वकीलों के संपर्क में भी था। उसने पूरा चक्रव्यूह रचा था कि उसे अगर पुलिस पकड़ ले तो वकीलों को क्या करना है। पुलिस की गाड़ी का कैसे पीछा करना है। पुलिस सूत्र बताते हैं कि जैसे ही दिल्ली से एसओजी और पुलिस की टीम ने मोईद को गिरफ्तार किया। उसके आधा घंटे बाद ही वकीलों के फोन एसएसपी के पास घनघनाने लगे। उन्होंने एसएसपी से मोईद के पकड़े जाने के बाबत भी बात की। दिल्ली और हल्द्वानी की मीडिया के कुछ लोगों को भी मोईद के पकड़े जाने की सूचना वकीलों ने ही दी।

फोन का नहीं, अपने मुखबिरों और मित्रों के माध्यम से बात करते थे पिता-पुत्र
अब्दुल मलिक और उसका बेटा अब्दुल मोईद बहुत शातिर हैं। उन्हें पता था कि पुलिस को कैसे चकमा देना है। पुलिस उन्हें कैसे गिरफ्तार कर सकती है। इस कारण बाप-बेटा मोबाइल पर बात नहीं कर रहे थे। वह अपनी बात एक-दूसरे तक पहुंचाने के लिए मुखबिर और मित्रों की मदद ले रहे थे। मोईद के ठिकानों पर पुलिस की दबिश पड़ने के आधे घंटे में ही मोईद को इसकी जानकारी मिल जाती थी। मोईद इस दौरान अपना फोन इस्तेमाल नहीं करता था। वह मित्रों और ऐसे रिश्तेदारों का फोन प्रयोग करता था जिसके बारे में पुलिस उम्मीद भी नहीं कर सकती।

अकेले भाग रहा था मोईद
मोईद अपने परिवार को किसी रिश्तेदार के वहां छोड़ गया। वह अकेले ही भाग रहा था। पिता से भी वह इस बीच नहीं मिला। भागने के दौरान मोईद अपने साथ एक दोस्त को रखता था। उस दोस्त के नंबर से वह बात करता था। सूत्र बताते हैं कि किसी अन्य के नाम से भी उसने सिम लिया हुआ था।

मोईद के नाम पर है लाइसेंसी असलहा
मोईद के नाम लाइसेंसी असलहा है। एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने बताया कि डीएम ने उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया है। बताया कि पुलिस जल्द ही उसका लाइसेंसी असलाह बरामद करेगी और उसकी बैलेस्टिक जांच होगी।

गिरफ्तारी टीम में यह रहे शामिल
अब्दुल मोईद को गिरफ्तार करने वाली टीम में एसओजी प्रभारी अनीश अहमद, एसआई गौरव जोशी, हेड कांस्टेबल हेमंत लुंठी, कांस्टेबल चंदन नेगी शामिल रहे। टीम दो दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए थी।

आठ दिन दिल्ली और अन्य दिन पंजाब, हिमाचल में छुपा रहा मोईद
हल्द्वानी लाए जाने पर एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने मोईद से पूछताछ की। पता चला कि मोईद हल्द्वानी से दिल्ली गया। इसके बाद सात दिन पंजाब में अलग-अलग जगह रहा। फिर हिमाचल चला गया। वहां करीब तीन दिन रहा। इसके बाद फिर दिल्ली में अलग-अलग जगह रहने लगा। सूत्र बताते हैं कि आठ दिन से मोईद दिल्ली में ही रहा था। वह बार-बार दिल्ली एनसीआर में ही घूमता रहा। मोईद ने होटल नहीं लिया। वह अपने रिश्तेदार और मित्रों के वहां रहता था।

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