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Happy Birthday Nainital: खोजा नहीं बल्कि नैनीताल को विश्व की नजरों पर लाए पीटर बैरन, जानिये पूरा इतिहास

गिरीश रंजन तिवारी Published by: हीरा मेहरा Updated Tue, 18 Nov 2025 11:20 AM IST
सार

नैनीताल शहर पीटर बैरन से सैकड़ों वर्ष पूर्व से स्थानीय लोगों को ज्ञात था और प्राचीन ग्रंथों में इसका विवरण मौजूद था। बैरन स्वयं इस तथ्य से अवगत थे और उन्होंने स्वीकार किया कि वे यहां आने वाले पहले व्यक्ति नहीं थे।

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Peter Barron did not discover Nainital but brought it to the world attention
Happy Birthday Nainital - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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आज से 184 वर्ष पूर्व 18 नवंबर 1841 को नैनीताल की खोज का श्रेय पीटर बैरन को दिया जाता है, जबकि तथ्य यह है कि नैनीताल का विस्तृत विवरण सैकड़ों वर्ष पूर्व लिखित रूप में उपलब्ध था जिससे जाहिर है कि विवरण लिखने वाले ने इसका भ्रमण और अध्ययन भी किया था। स्वयं बैरन ने भी बार बार इस बात का उल्लेख किया है कि उनसे बहुत पहले से स्थानीय लोग यहां आते रहे थे जो उन्हें यहां मिले भी थे। बैरन को एक स्थानीय व्यक्ति ही यहां लेकर आया था और यहां की तमाम पहाड़ियों के नाम पहले से स्थानीय लोगों ने रखे हुए थे। बैरन ने भी खुद को यहां पहुंचने वाला पहला व्यक्ति नहीं कहा है। आधुनिक काल में नैनीताल को विश्व की नजरों में लाने का श्रेय अवश्य ही बैरन को है।

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लगभग आठवीं शताब्दी में लिखित स्कंदपुराण में देश के विभिन्न स्थानों का सटीक और विस्तृत विवरण दिया गया है। स्कंदपुराण के अंतर्गत मानसखंड में कुमाऊं के विभिन्न क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति, उन स्थानों पर स्थित नदी, नालों, झीलों, पर्वतों सहित समस्त मुख्य भौगोलिक आकृतियों का बहुत विस्तृत विवरण दिया गया है। यह उस दौर के गूगल मैप जैसा है जिसमें उस स्थान विशेष के छोटे से छोटे क्षेत्र का भी पूरा विवरण शामिल है।

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नैनीताल के निकटवर्ती स्थानों के बारे में बारे में इसमें बताया गया है कि गागर पर्वत शिखर के पास से गार्गी (वर्तमान में गौला) सहित विभिन्न नदियों का उदगम है। गार्गी नदी के उदगम सहित रानीबाग तक के बहाव का बिल्कुल वही वर्णन है जो आज है। इसमें क्षेत्र में सात सरोवरों का उल्लेख है और क्षेत्र के लिए वर्तमान में प्रचलित छखाता नाम मानसखंड में इसके लिए वर्णित षष्ठी खात से ही आया है। मानसखंड के अनुसार इन सात सरोवरों के नाम त्रिषि (नैनीताल नवकोण (नौकुचियायाताल दमन्ती (दमयंतीताल सीतासरोवर (सीताताल) भीमहृदः (भीमताल) नलहृदः (नलताल) और रामहृदः (रामताल) हैं। भीमताल इन के मध्य में स्थित बताया है।

मानसखंड में एक घने जंगल में एक सरोवर के किनारे 'महेंद्र परमेश्वरी देवी नाम के मंदिर के होने का उल्लेख भी किया गया है जो वर्तमान में नैनी झील तथा नयना देवी मंदिरके अनुरूप है। बैरन ने अपने लेखों में स्पष्ट किया है कि उन्हें अपनी यात्रा में तमाम ऐसे प्रमाण मिले कि पहाड़ी लोगों को यह स्थान पहले से ज्ञात था। पहली बार नैनीताल पहुंचने पर बैरन को बाजारस्थल के केंद्र में एक बहुत बड़ा झूला मिला था जिसमें लोहे की विशाल जंजीर लगी थीं, जैसा कुमाऊं के प्राचीन मंदिरों में देखा जाता है।


बैरन के अनुसार यहां हर वर्ष एक बेहतरीन मेला लगता था। 1843 में अपनी तीसरी यात्रा में बैरन को यहां टिड्डियों का एक विशाल झुंड मिला था जिनसे सारी झील सहित आसपास के जंगल ढक गए थे और भालू इन्हें खा रहे थे। स्थानीय लोगों ने बैरन को बताया कि 15 से 20 साल पहले भी टिड्डियों का ऐसा ही विशाल झुंड आया था। है। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि लोग बहुत पहले से यहां आते जाते रहे थे। बैरन ने पूर्व में तत्कालीन आयुक्त जी डब्लू ट्रेल की ओर से भी नैनीताल का वर्णन करने का उल्लेख किया है। हांलांकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ट्रेल स्वयं यहां आए थे।

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