UK: नक्शा पास करके नोटिस...क्या विकास प्राधिकरण का असली मकसद है जनता को परेशान करना? जानें क्या बोले लोग
जनता का आरोप है कि विकास प्राधिकरण भारी शुल्क लेकर नक्शा पास करने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू होते ही बेवजह नोटिस देकर काम रुकवा देते हैं। इससे अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, जिससे सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही नाराज हैं।
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जिला विकास प्राधिकरण हो या फिर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण। दोनों की कार्यशैली से सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता ही नहीं बल्कि आम जनता भी त्रस्त है। शहर के आम लोगों का कहना है कि यह वही प्राधिकरण है जो भारी भरकम विकास शुल्क लेकर पहले नक्शा पास करता है और जैसे ही कोई व्यक्ति निर्माण कार्य शुरू करता है तो अधिकारी उसे नोटिस भेजकर आपत्ति लगा जबरन काम बंद करा देते हैं। इससे प्राधिकरण में अधिकारियों से लेकर अभियंताओं की कार्यशैली संदेह के घेरे में आ जाती है। यहीं से उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगते हैं। सोमवार को शहर के कई लोगों ने प्राधिकरण की कार्यशैली पर अमर उजाला से अपने मन की बात साझा की।
यदि प्राधिकरण ने एक बार भवन मानचित्र स्वीकृत कर दिया तो कुछ समय बाद संस्था या उससे जुड़े उच्चाधिकारियों की ओर से उसी नक्शे को अवैध करार दिया जाता है। यह प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिह्न खड़े करता है। इससे भवन स्वामी का मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न होता है। ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। लंबे समय तक मानचित्र स्वीकृत न होना भी कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करता है। - मोहन सिंह नेगी, निलियम काॅलोनी
आम व्यक्ति अपने निर्माण का नक्शा तो स्वीकृत करा लेता है लेकिन तमाम तकनीकी दिक्कतों के चलते उसे यह पता नहीं होता कि काम कैसे कराना है। इसी में वह कहीं न कहीं कोई गलती कर देता है। इसके बाद उसके निर्माण कार्य को प्राधिकरण अवैध करार देता है। यह जनता की नहीं बल्कि प्राधिकरण की गलती है। नक्शा स्वीकृत करने के एवज में प्राधिकरण भारी भरकम शुल्क लेता है। इस धनराशि का क्या होता है। यह सार्वजनिक होना चाहिए। - दीपेश श्रीवास्तव, ईको टाउन
यदि कोई व्यक्ति अवैध निर्माण कार्य कराता है तो प्राधिकरण शुरू में ही उस पर रोक क्यों नहीं लगाता? प्राधिकरण के इंजीनियर क्यों साइटों का भ्रमण नहीं करते। निर्माण कार्य जब आधा बन जाता है तब उसकी याद आती है और पूरा बनने पर उसे गिराने पहुंच जाता है। इससे आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिला पंचायत ने जब नक्शा पास कर दिया तो फिर प्राधिकरण क्यों लोगों को परेशान करने के लिए नोटिस भेज रहा है। - विजय पाल, हल्द्वानी
प्राधिकरण की कार्यशैली तो शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है। आम आदमी की वहां कोई सुनवाई नहीं है। गरीब व्यक्ति के घर की छत भी यदि टपक रही है तो वह उसे भी ठीक नहीं करा सकता है जबकि पहुंच वाले लोगों के नक्शे हाथों हाथ पास होते हैं। पत्रकार की पिटाई के बाद ऊंचापुल में तोड़ा गया अवैध निर्माण प्राधिकरण की कार्यशैली बया करता है कि किस तरह शहर में अधिकारियों की शह पर अवैध निर्माण हो रहे हैं। - -अरशद अली निवासी हल्द्वानी।