Uttarakhand: बार काउंसिल की भूमि को बेचने के प्रस्ताव पर रोक, हाईकोट ने चार सप्ताह में मांगा जवाब
हाईकोर्ट को गौलापार में शिफ्ट करने की चर्चाओं के दौरान बार कांउसिल ऑफ उत्तराखंड ने अपने कार्यालय के लिए गौलापार में खरीदी गई 2 हजार स्क्वायर फिट की भूमि का प्रस्ताव पास कर अब उसे बेचे जाने के प्रस्ताव को चुनौती देनी वाली याचिका पर सुनवाई की।
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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट को हल्द्वानी गौलापार में शिफ्ट करने की चर्चाओं के दौरान बार कांउसिल ऑफ उत्तराखंड के द्वारा अपने कार्यालय के लिए गौलापार में खरीदी गई 2 हजार स्क्वायर फिट की भूमि को, एक प्रस्ताव पास कर अब उसे बेचे जाने के प्रस्ताव को चुनोती देनी वाली याचिका पर सुनवाई के बाद उस प्रस्ताव पर रोक लगाते हुए बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार अधिवक्ता उज्ज्वल व पृथ्वी लमगड़िया ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि जब उच्च न्यायालय को गौलापार हल्द्वानी में शिफ्ट करने की चर्चाएं चल रही थी और उच्च न्यायालय ने भी आदेश दिया था, केंद्र सरकार, राज्य सरकार व न्याय विभाग ने भी अपनी सहमति दे दी थी कि उच्च न्यायालय को गौलापार में शिफ्ट किया जाए। इसको देखते हुए बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड ने भी अपने कार्यालय को शिफ्ट करने के लिए गौलापार में 2 हजार स्क्वायर फिट भूमि खरीदी थी। जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया और इसे बनाने के लिए एक करोड़ स्वीकृत भी कर दिये गए।
उच्च न्यायालय के आदेश को हाईकोर्ट बार एसोशिएशन ने सर्वोच्च न्यायलय में चुनौती दी गई। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। 26 अगस्त 2024 को बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड ने एक प्रस्ताव पास कर यह निर्णय लिया कि अब इस भूमि की उन्हें आवश्यकता नही है क्योंकि अब उच्च न्यायालय शिफ्ट नही होगा। याचिका में कहा गया कि अभी मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। अंतिम निर्णय नहीं आया है। जबकि एसएलपी में राज्य सरकार की तरफ से अपने जवाब में कहा है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार व न्यायपालिका की संस्तुति है। किस आधार पर बार काउंसिल यह कह सकता है कि हाईकोर्ट शिफ्ट नही हो सकता। इसलिए बार काउंसिल की भूमि को बेचने के प्रस्ताव पर रोक लगाई जाए।