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नैनी झील को बचाने के लिए सूखाताल से हटाएंगे अतिक्रमण
अमर उजाला ब्यूरो, नैनीताल।
Updated Thu, 14 Dec 2017 02:13 AM IST
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नैनीताल एटीआई में नैनी झील संरक्षण को लेकर हुई बैठक में भाग लेकर लौटते मुख्य सचिव उत्पल कुमार व अन्य अधिकारीगण।
- फोटो : अमर उजाला
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मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने नैनीझील के गिरते जलस्तर को बचाने के लिए बुधवार को एटीआई में अधिकारियों एवं पर्यावरणविदों के साथ बैठक करते हुए सुझाव लिए। उन्होंने कहा कि नैनीझील के संरक्षण एवं जलस्तर को बनाये रखने के लिए सूखाताल झील कैचमेंट क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया जाएगा।
अवैध निर्माण पर पूर्ण रोक लगाई जायेगी जिससे बरसात में सूखाताल झील से पानी नैनीझील में आ सके। यहां जल स्रोतों के संरक्षण के लिए वन विभाग द्वारा वृहद पौधरोपण किया जाएगा। मुख्य सचिव ने मुख्य अभियंता सिंचाई डीके पचौरी को निर्देश दिए कि वे शहर में अवैध रुप से वर्षा जल को सीवरेज में डालने वालों को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई करें।
उन्होंने जिलाधिकारी दीपेन्द्र कुमार चौधरी से कहा कि वह सिंचाई, जलनिगम, जलसंस्थान, लोक निर्माण और नगरपालिका द्वारा किए गए झील संरक्षण के कार्यों की समय-समय पर समीक्षा एवं मूल्यांकन करें।
बैठक में पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत ने सुझाव दिया कि नैनीझील को बचाने के लिए सूखाताल झील क्षेत्र में विलुप्त एवं बंद नालियों को खोलना होगा। साथ ही नैनीताल में सीसी सड़क निर्माण कार्य बंद करने होंगे ताकि वर्षा जल जमीन के भीतर होते हुए नैनीझील में आ सके। कहा कि नैनीताल में पूर्व में 30 जलस्रोत चिन्हित थे जो अब मात्र 8 रह गए हैं।
पर्यावरणविद् प्रो. जीएल साह और होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश साह ने कहा कि नैनीताल शहर के लगभग सभी भवनों के छतों का वर्षा पानी सीवरेज से होते हुए शहर से बाहर चला जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी घरों के वर्षा के पानी को नालियों द्वारा नैनीझील में लाया जाय जिससे नैनीझील का 20 फीसदी जलस्तर बढ़ेगा।
नैनी झील के संरक्षण के लिए जनसहयोग भी जरुरी
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि नैनी झील के संरक्षण व संवर्धन के लिए सरकारी स्तर पर तो हरसंभव प्रयास किए ही जा रहे हैं अलबत्ता इसमें जन सहयोग भी जरुरी है। सिंह बुधवार को एटीआई में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एक समान प्रकृति के विभिन्न विभागों को आपस में विलय किये जाने के लिए एक कमेटी का गठन किया जा चुका है इस कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले में ठोस फैसला ले लिया जाएगा।
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अवैध निर्माण पर पूर्ण रोक लगाई जायेगी जिससे बरसात में सूखाताल झील से पानी नैनीझील में आ सके। यहां जल स्रोतों के संरक्षण के लिए वन विभाग द्वारा वृहद पौधरोपण किया जाएगा। मुख्य सचिव ने मुख्य अभियंता सिंचाई डीके पचौरी को निर्देश दिए कि वे शहर में अवैध रुप से वर्षा जल को सीवरेज में डालने वालों को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई करें।
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उन्होंने जिलाधिकारी दीपेन्द्र कुमार चौधरी से कहा कि वह सिंचाई, जलनिगम, जलसंस्थान, लोक निर्माण और नगरपालिका द्वारा किए गए झील संरक्षण के कार्यों की समय-समय पर समीक्षा एवं मूल्यांकन करें।
बैठक में पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत ने सुझाव दिया कि नैनीझील को बचाने के लिए सूखाताल झील क्षेत्र में विलुप्त एवं बंद नालियों को खोलना होगा। साथ ही नैनीताल में सीसी सड़क निर्माण कार्य बंद करने होंगे ताकि वर्षा जल जमीन के भीतर होते हुए नैनीझील में आ सके। कहा कि नैनीताल में पूर्व में 30 जलस्रोत चिन्हित थे जो अब मात्र 8 रह गए हैं।
पर्यावरणविद् प्रो. जीएल साह और होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश साह ने कहा कि नैनीताल शहर के लगभग सभी भवनों के छतों का वर्षा पानी सीवरेज से होते हुए शहर से बाहर चला जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी घरों के वर्षा के पानी को नालियों द्वारा नैनीझील में लाया जाय जिससे नैनीझील का 20 फीसदी जलस्तर बढ़ेगा।
नैनी झील के संरक्षण के लिए जनसहयोग भी जरुरी
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि नैनी झील के संरक्षण व संवर्धन के लिए सरकारी स्तर पर तो हरसंभव प्रयास किए ही जा रहे हैं अलबत्ता इसमें जन सहयोग भी जरुरी है। सिंह बुधवार को एटीआई में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एक समान प्रकृति के विभिन्न विभागों को आपस में विलय किये जाने के लिए एक कमेटी का गठन किया जा चुका है इस कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले में ठोस फैसला ले लिया जाएगा।

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