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Uttarkashi News: शुरू नहीं हुआ सेब का तुड़ान, भालू पहुुंचा रहे हैं नुकसान
संवाद न्यूज एजेंसी, उत्तर काशी
Updated Fri, 19 Sep 2025 06:26 PM IST
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बगीचों में पेड़ और टहनियों को तोड़ रहे, ठेकेदार नहीं पहुंच पा रहे हैं तुड़ान के लिए
संवाद न्यूज एजेंसी
उत्तरकाशी। हर्षिल घाटी के ग्रामीणों ने पहले मानसून सीजन में आपदा की मार और अब सेब का तुड़ान शुरू नहीं हो पाया है। मंडियों से ठेकेदार नहीं आने के कारण वे सेब की तुड़ान नहीं कर पा रहे हैं। इससे भालुओं ने काश्तकारों के बगीचों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। भालू बगीचों में सेब के पेड़ और टहनियों को तोड़ रहे हैं।
जिला पंचायत सदस्य सोनिका रौतेला, अशोक सेमवाल, दीपक राणा, ग्राम प्रधान झाला अभिषेक रौतेला ने बताया कि सरकार की अनदेखी के कारण उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। पहले उनकी ओर से अब तक सेब का वर्ष 2013 की तर्ज पर समर्थन मूल्य ही निर्धारित नहीं किया गया है तो वहीं अब सड़कों की स्थिति सही नहीं होने के कारण मंडियों से बड़े वाहन भी हर्षिल घाटी में नहीं पहुंच पा रहे हैं।
पुराली निवासी दीपक राणा ने बताया कि सेब का तुड़ान नहीं हो पा रहा है। आपदा के दौरान तोतों ने क्षेत्र के काश्तकारों के सेब के उत्पादन को नुकसान पहुंचाया। वहीं अब भालू अपने बच्चों के साथ झुंड में पहुंच रहे हैं। पहले इन दिनों तक सेब की तुड़ान हो जाता था, इसलिए काश्तकार बगीचों में ही कुछ सेब छोड़ जाते थे।
वहीं इस बार तुड़ान नहीं होने के कारण फल पेड़ों पर ही है इसलिए अब भालू सीधा पेड़ों और उसकी टहनियों को तोड़कर नुकसान पहुंचा रहे हैं। जसपुर में अमित राणा, भवानी राणा, पुराली में विपिन चौहान के बगीचों को भालू ने तबाह कर दिया है। उन्होंने सरकार से सेब का जल्द समर्थन मूल्य तय कर उसकी खरीद करने की मांग की है।

संवाद न्यूज एजेंसी
उत्तरकाशी। हर्षिल घाटी के ग्रामीणों ने पहले मानसून सीजन में आपदा की मार और अब सेब का तुड़ान शुरू नहीं हो पाया है। मंडियों से ठेकेदार नहीं आने के कारण वे सेब की तुड़ान नहीं कर पा रहे हैं। इससे भालुओं ने काश्तकारों के बगीचों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। भालू बगीचों में सेब के पेड़ और टहनियों को तोड़ रहे हैं।
जिला पंचायत सदस्य सोनिका रौतेला, अशोक सेमवाल, दीपक राणा, ग्राम प्रधान झाला अभिषेक रौतेला ने बताया कि सरकार की अनदेखी के कारण उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। पहले उनकी ओर से अब तक सेब का वर्ष 2013 की तर्ज पर समर्थन मूल्य ही निर्धारित नहीं किया गया है तो वहीं अब सड़कों की स्थिति सही नहीं होने के कारण मंडियों से बड़े वाहन भी हर्षिल घाटी में नहीं पहुंच पा रहे हैं।
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पुराली निवासी दीपक राणा ने बताया कि सेब का तुड़ान नहीं हो पा रहा है। आपदा के दौरान तोतों ने क्षेत्र के काश्तकारों के सेब के उत्पादन को नुकसान पहुंचाया। वहीं अब भालू अपने बच्चों के साथ झुंड में पहुंच रहे हैं। पहले इन दिनों तक सेब की तुड़ान हो जाता था, इसलिए काश्तकार बगीचों में ही कुछ सेब छोड़ जाते थे।
वहीं इस बार तुड़ान नहीं होने के कारण फल पेड़ों पर ही है इसलिए अब भालू सीधा पेड़ों और उसकी टहनियों को तोड़कर नुकसान पहुंचा रहे हैं। जसपुर में अमित राणा, भवानी राणा, पुराली में विपिन चौहान के बगीचों को भालू ने तबाह कर दिया है। उन्होंने सरकार से सेब का जल्द समर्थन मूल्य तय कर उसकी खरीद करने की मांग की है।