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Shashi Tharoor on Dynasty Politics: RJD-Congress's troubles increase, a strong attack on dynasty politics.
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Shashi Tharoor on Dynasty Politics: RJD-कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी, वंशवाद पर करारा प्रहार।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Tue, 04 Nov 2025 11:17 AM IST
वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि राजनीतिक परिदृश्य में वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। नेहरू-गांधी परिवार ने यह सिद्ध किया कि राजनीतिक नेतृत्व जन्मसिद्ध अधिकार हो सकता है। थरूर ने कहा कि अब वक्त आ गया कि भारत वंशवाद की जगह योग्यतावाद अपनाए। तिरुवनंतपुरम के सांसद ने एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान के लिए लिखे लेख में कहा, नेहरू-गांधी परिवार कांग्रेस से जुड़ा हुआ है, लेकिन राजनीतिक परिदृश्य में वंशवाद हावी है। जब राजनीतिक सत्ता का निर्धारण योग्यता, प्रतिबद्धता या जमीनी स्तर पर जुड़ाव के बजाय वंशवाद से होता है, तो शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
थरूर की यह टिप्पणी भारत-पाकिस्तान संघर्ष और पहलगाम हमले के बाद कूटनीतिक प्रयासों पर उनकी टिप्पणियों को लेकर उठे विवाद के कुछ हफ्ते बाद आई है। उनकी टिप्पणियां कांग्रेस के रुख़ से बिल्कुल अलग थीं और पार्टी के कई नेताओं ने उनकी मंशा पर सवाल उठाते हुए उन पर निशाना साधा था। थरूर ने लेख में लिखा, सच कहें तो, ऐसी वंशवादी राजनीति पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित है। उन्होंने पाकिस्तान में भुट्टो और शरीफ, बांग्लादेश में शेख और जिया परिवार, और श्रीलंका में भंडारनायके और राजपक्षे परिवार का उदाहरण दिया।भारतीय राजनीति एक पारिवारिक व्यवसाय शीर्षक वाले लेख में थरूर ने कहा, दशकों से एक परिवार भारतीय राजनीति पर हावी रहा है। नेहरू-गांधी परिवार (जिसमें स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी और वर्तमान विपक्षी नेता राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ा हुआ है। लेकिन इसने इस विचार को भी पुख्ता किया है कि राजनीतिक नेतृत्व जन्मसिद्ध अधिकार हो सकता है। थरूर ने कहा, यह विचार भारतीय राजनीति में हर पार्टी, हर क्षेत्र और हर स्तर पर व्याप्त है।
थरूर ने राजनीतिक परिदृश्य में वंशवाद के प्रचलन की ओर इशारा करते हुए कहा, बीजू पटनायक के निधन के बाद, उनके बेटे नवीन ने अपने पिता की खाली लोकसभा सीट जीती। महाराष्ट्र में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने यह पद अपने बेटे उद्धव को सौंप दिया, जिनके अपने बेटे आदित्य स्पष्ट रूप से कतार में इंतजार कर रहे हैं।
यही बात समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव पर भी लागू हुई, मुलायम यूपी के पूर्व सीएम रहे, उनके बेटे अखिलेश यादव भी मुख्यमंत्री बने। अखिलेश अब सांसद और पार्टी के अध्यक्ष हैं।
बिहार में, लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान के बाद उनके बेटे चिराग पासवान ने पदभार संभाला। थरूर ने कहा, जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार की तीन पीढि़यों ने सत्ता संभाली। पंजाब में भी शिरोमणि अकाली दल में प्रकाश सिंह बादल के बाद सुखबीर बादल ने मोर्चा संभाला।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने थरूर के लेख के बाद कांग्रेस और राजद पर तंज कसते हुए कहा, थरूर ने यह लेख अपने अनुभव के आधार पर लिखा है। मैं शशि थरूर के बयान का स्वागत करता हूं। उनकी टिप्पणी से कांग्रेस और राजद को निश्चित रूप से ठेस पहुंचेगी क्योंकि उनकी राजनीति एक परिवार तक सीमित है। वे अपने परिवार से बाहर सोच ही नहीं सकते। थरूर के लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि लोकतंत्र में, अंततः जनता ही तय करती है कि किसे सत्ता में लाया जाए। किसी को भी सिर्फ उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता। आप यह प्रतिबंध नहीं लगा सकते कि आप चुनाव नहीं लड़ सकते क्योंकि आपके पिता सांसद थे। ऐसा हर क्षेत्र में हो रहा है। आप इसका क्या रास्ता निकालेंगे?
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