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SIR 2.O Update: From today, SIR, TMC and DMK started protest in 12 states including UP and West Bengal.
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SIR 2.O Update: आज से UP, पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों में SIR, TMC और DMK ने शुरू किया विरोध।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Tue, 04 Nov 2025 10:22 AM IST
देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मंगलवार से शुरू होगा। इनमें नौ राज्य जबकि तीन केंद्रशासित प्रदेश हैं। एसआईआर 4 तारीख को गणना चरण के साथ शुरू होगा और 4 दिसंबर तक चलेगा। चुनाव आयोग 9 दिसंबर को मसौदा सूची जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी, 2026 को प्रकाशित की जाएगी। बिहार के बाद यह एसआईआर का दूसरा दौर है।उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़, गोवा, राजस्थान, गुजरात, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में से चार तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल व प. बंगाल में अगले साल मार्च से मई के बीच विधानसभा चुनाव होने हैं। बाकी में भी दो से तीन वर्षों में चुनाव होंगे। इन सभी में कुल 51 करोड़ मतदाता हैं।एक अन्य राज्य असम में भी मार्च-अप्रैल में चुनाव होने हैं, लेकिन वहां मतदाता सूची के संशोधन की घोषणा अलग से की जाएगी क्योंकि राज्य में नागरिकता सत्यापन के लिए सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में प्रक्रिया चल रही है। साथ ही, नागरिकता अधिनियम का एक प्रावधान असम पर लागू था। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने एसआईआर के इस चरण की घोषणा करते हुए कहा था, नागरिकता अधिनियम के तहत असम में नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं। तमिलनाडु में एसआईआर के खिलाफ सत्तारूढ़ द्रमुक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
द्रमुक ने फैसले को चुनौती देते हुए इस प्रक्रिया को असांविधानिक, मनमाना और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए खतरा बताया।द्रमुक के संगठन सचिव आरएस भारती की ओर से दायर याचिका में राज्य में एसआईआर के लिए चुनाव आयोग की 27 अक्तूबर की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है।इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 यानी समानता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार समेत अन्य प्रावधानों, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और 1960 के मतदाता पंजीकरण नियमों का उल्लंघन बताया गया है। याचिका पर इसी सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है।केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन परीक्षण (SIR) का एलान किया है। इस पर प्रदेश की राजनीति में उबाल के संकेत दिख रहे हैं। सत्ताधारी दल- तृणमूल कांग्रेस ने इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए निर्वाचन आयोग और भाजपा से तीखे सवाल किए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने बताया कि टीएमसी कार्यकर्ता और पार्टी नेता मंगलवार को कोलकाता में इस प्रक्रिया के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। कोलकाता में सोमवार देर शाम अभिषेक बनर्जी ने कहा, 'मैं सभी से अपील करता हूं... चाहे कोई भी धर्म या पार्टी हो, हमें बंगाल को नुकसान पहुंचाने, लोगों को सम्मान से वंचित करने और बांग्लादेशी करार देने की भाजपा की साजिश के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। मैं हर बंगाली से एकजुट रहने और 2026 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को बंगाल की ताकत दिखाने की अपील करता हूं।' उन्होंने कहा कि बंगाल के मतदाताओं से समर्थन लेने के बावजूद यहां के लोगों को बांग्लादेशी बताया जाता है।
ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ ये लड़ाई सिर्फ तृणमूल की नहीं, सभी 10 करोड़ बंगालियों की है।अभिषेक बनर्जी ने कहा, तृणमूल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर ये जानकारी साझा की है कि मंगलवार को एसआईआर के विरोध में एक मार्च निकाला जाएगा। नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बुलाया गया है। मंगलवार से ही निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी गणना फॉर्म मतदाताओं को वितरित किए जाने की शुरुआत होगी। इसका ध्यान रखते हुए पार्टी ने पड़ोसी जिलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं से कोलकाता नहीं आने की अपील की है। एसआईआर के कारण पनपने वाले तनाव और इससे निपटने के लिए सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस की रणनीति को लेकर पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, 'हमने शुरू से ही कहा है कि अगर एक भी योग्य मतदाता सूची से हटाया गया, तो टीएमसी इस लड़ाई को दिल्ली तक ले जाएगी। जो लोग केंद्र सरकार की कठपुतली बनकर बंगाल को उसकी पहचान से वंचित करने और बांग्ला बोलने पर हमें बांग्लादेशी कहने का तमगा देते हैं, उन्हें राष्ट्रीय राजधानी तक चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा, 'भाजपा और चुनाव आयोग में उनके दोस्तों से मेरा सवाल सीधा है: जो 5-6 लोग पहले ही मर चुके हैं: वे वैध मतदाता थे या अवैध?' जनता से डटकर विरोध करने की अपील करते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा, 'मैं आपसे आग्रह करता हूं कि बंगाल में स्थापित किए जा रहे सीएए शिविरों का शिकार न बनें; अगर कोई उन शिविरों में जाता है, तो उसका हश्र असम के पीड़ितों जैसा ही होगा, जहां लोगों को डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया था। किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है।'
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