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SIR 2.O Update: How different is SIR 2.O from Bihar SIR, what steps should be taken if the name is removed fro
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SIR 2.O Update: बिहार SIR से कितना अलग SIR 2.O, वोटर लिस्ट से कट जाए नाम तो उठाएं क्या कदम ?
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Tue, 04 Nov 2025 02:54 PM IST
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वोटर लिस्ट में नाम कटा है या नहीं, ये कैसे पता करें? वोटर लिस्ट से नाम कट गया है तो क्या करें? किसके नाम कट सकते हैं? SIR की पूरी प्रक्रिया जानिए। चुनाव आयोग ने बिहार में हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद अब देश के बारह राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में भी यही प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है. इस प्रक्रिया का उद्देश्य है वोटर लिस्ट को एक बार फिर से जांचना, उसमें मौजूद गलत जानकारी को ठीक करना और उन नामों को शामिल करना जो किसी कारण से छूट गए थे. यह महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि मतदाता सूची की शुद्धता लोकतंत्र की नींव मानी जाती है. गलत नामों का हटना और सही नागरिकों का शामिल होना यह सुनिश्चित करता है कि आगामी चुनाव निष्पक्ष और विवाद-मुक्त हों. यह विशेष गहन पुनरीक्षण 4 नवंबर 2025 से शुरू होगा और 7 फरवरी 2026 को समाप्त होगा, जिस दिन अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी. इसके पहले, 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक प्रिंटिंग और प्रशिक्षण का काम किया गया. इस दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) और संबंधित कर्मचारियों को यह सिखाया जा रहा है कि वोटर लिस्ट में सुधार किस तरह किया जाए और किस तरह घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी की पुष्टि की जाए.इस प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, गोवा, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. इनके साथ पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप जैसे केंद्र शासित प्रदेश भी शामिल हैं. इस बड़े अभियान को चलाने के लिए पांच लाख से अधिक बूथ लेवल अधिकारियों और लगभग साढ़े सात लाख राजनीतिक दलों से जुड़े कार्यकर्ताओं की भूमिका तय की गई है.
अगर आप जानना चाहते हैं कि आपका नाम वोटर लिस्ट में है या नहीं, तो इसे घर बैठे ऑनलाइन जांचा जा सकता है. इसके लिए आप चुनाव आयोग की वेबसाइट जैसे https://www.eci.gov.in https://voters.eci.gov.in...यहां अपना नाम या EPIC नंबर डालकर सर्च करें. इसके बाद अपना जिला और विधानसभा क्षेत्र चुनें. अगर इंटरनेट की सुविधा न हो, तो आप अपने बूथ लेवल ऑफिसर यानी BLO से मिल सकते हैं या नजदीकी निर्वाचन कार्यालय जाकर ड्राफ्ट लिस्ट देख सकते हैं. वहां से भी आप आसानी से पता कर सकते हैं कि आपका नाम सूची में है या नहीं.
वोटर लिस्ट से नाम कट गया है तो क्या करें?
अगर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान आपका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है. चुनाव आयोग ने पहले ही साफ कर दिया है कि जिन योग्य मतदाताओं के नाम गलती से हटे हैं, वे दोबारा अपना नाम जोड़वा सकते हैं. इसके लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 के बीच आवेदन किया जा सकता है. नाम जुड़वाने के दो तरीके हैं, ऑनलाइन और ऑफलाइन.
ऑनलाइन प्रक्रिया: अगर आप घर बैठे आवेदन करना चाहते हैं, तो मोबाइल या कंप्यूटर पर NVSP पोर्टल या Voter Helpline App खोलें. वहां Form 6 उपलब्ध होगा. यह वही फॉर्म है, जिसे नए मतदाता बनने या नाम वापस जुड़वाने के लिए भरा जाता है. इसमें आपको अपनी मूल जानकारी भरनी होगी और जरूरी दस्तावेज अपलोड करने होंगे. फॉर्म सबमिट करने के बाद आपको एक आवेदन संख्या मिल जाएगी, जिससे आप यह देख सकते हैं कि आपका आवेदन कहां तक पहुंचा;
ऑफलाइन प्रक्रिया: अगर आप ऑनलाइन तरीका नहीं अपनाना चाहते, तो आप सीधे अपने क्षेत्र के BLO के पास जा सकते हैं. वह आपको Form 6 देगा. आप उसे भरकर जमा कर दें. BLO आपके दस्तावेजों और जानकारी को निर्वाचन अधिकारी तक भेज देगा. जांच पूरी होने के बाद आपका नाम दोबारा वोटर लिस्ट में जोड़ दिया जाएगा और आपको इसकी जानकारी भी मिल जाएगी. बिहार में जब यह प्रक्रिया चलाई गई थी, तब दस्तावेजों को लेकर बड़ा विवाद हुआ था. पहचान के लिए आधार कार्ड को शामिल नहीं किए जाने पर सवाल उठे. मामला इतना बढ़ा कि यह सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. कोर्ट ने आदेश दिया कि आधार कार्ड को भी पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता दी जाए. इसके बाद चुनाव आयोग ने दस्तावेज़ों की सूची में आधार कार्ड को शामिल कर लिया है. अब इस नई प्रक्रिया में शुरुआत से ही आधार को स्वीकार किया जाएगा, जिससे आम नागरिकों को किसी तरह की असुविधा न हो. बिहार में यह प्रक्रिया लगभग ढाई महीने में पूरी हो गई थी. लेकिन इस बार इसे तीन महीनों से भी अधिक समय दिया गया है. चुनाव आयोग का मानना है कि अधिक समय देने से सत्यापन की प्रक्रिया बेहतर ढंग से की जा सकेगी और गलती की संभावना कम होगी.
यह बदलाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जिन राज्यों में अब यह प्रक्रिया होनी है, वहां मतदाताओं की संख्या भी अधिक है और भौगोलिक परिस्थितियां भी अलग-अलग हैं. पहले, बिहार में उन सभी मतदाताओं से दस्तावेज मांगे गए थे जिनके नाम 2003 के बाद सूची में शामिल हुए थे. इससे कई लोगों को परेशानी हुई. इस बार यह प्रावधान आसान किया गया है. यदि किसी व्यक्ति के पिता या परिवार के किसी सदस्य का नाम अंतिम सूची में पहले से मौजूद है, तो उस व्यक्ति के नाम को बिना अतिरिक्त दस्तावेज दिए भी मान्य किया जा सकता है. इससे लाखों लोगों को राहत मिलेगी, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां दस्तावेज़ जुटाना एक चुनौती होती है.जो लोग पहले किसी अन्य राज्य में रहते थे और अब किसी नए राज्य में वोटर लिस्ट में नाम जोड़वाना चाहते हैं, उन्हें अब अपने रिश्तेदारों या अभिभावकों की ओर से प्रमाण-पत्र जमा नहीं करना पड़ेगा. पहले ऐसा होता था कि दूसरे राज्य में रहने वाले व्यक्ति को साबित करना होता था कि उसका मूल घर कहीं और है. इस नए प्रावधान से प्रवासी मजदूरों और नौकरी की वजह से शहर बदलने वाले लोगों को काफी सुविधा मिलेगी.
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