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The saga of bravery on November 18, 1962! When Shaitan Singh stopped the Chinese army | Rezang La | India-Chi
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रेजांग-ला की लड़ाई: 18 नवंबर 1962 की शौर्य गाथा! जब मेजर शैतान सिंह ने चीनी सेना रोकी
वीडियो डेस्क Published by: प्रतीक्षा पांडेय Updated Tue, 18 Nov 2025 05:27 PM IST
1962 के भारत चीन युद्ध के दौरान 18 नवंबर 1962 के दिन लड़ी गई रेज़ांग ला की लड़ाई विश्व सैन्य इतिहास की सबसे वीरतापूर्ण सैन्य लड़ाइयों में से एक मानी जाती है। आइये उस दिन की पूरी कहानी को जानते हैं। 18 नवंबर 1962 की वो रात बेहद सर्द थी। पारा -25 के करीब पहुंच चुका था। भारत सेना लद्दाख को बचाने के लिए रेजांग ला पर तैनात की गई। क्योंकि, अगर चीन इस दुर्गम दर्रे के पार करने में सफल रहता तो वो पूरे लद्दाख पर अपना नियंत्रण बना लेता। मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में 13 कुमाऊं बटालियन की एक कंपनी को यहां तैनात किया गया। इस बटालियन में अधितर सैनिक हरियाणा से थे, जिन्होंने जिदंगी में पहले कभी बर्फ नहीं देखी थी। इन सैनिकों पर भीषण सर्दी में युद्ध करने का कोई प्रशिक्षण नहीं था। न ही इस सर्दी से निपटने के लिए कोई खास कपड़े थे। इतना ही नहीं इन सैनिकों पर जो हथियार थे वो भी अत्याधुनिक नहीं थे। रात करीब तीन साढ़े तीन बजे का वक्त था। तभी पूरा पहाड़ी इलाका शोर से गूंज गया, ये आवाज थी चीनी टैंकों की। सामने से चीनी सैनिंक रेजांग ला पर चढ़ते चले आ रहे थे। भारतीय जवानों ने जवाबी फायर किया, एक-एक कर वहां तैनात हर प्लाटून से ये खबर आने लगी उनकी ओर सैकड़ों की संख्या में चीनी सैनिक आ रहे हैं। चीनीं सैनिकों की कुल संख्या 5000 से ज्यादा की थी। जबकि, दूसरी तरफ भारतीय सेना के महज 124 जवान मोर्चा ले रहे थे। मेजर शैतान सिंह ने आदेश दिया कि जैसे ही चीनी फायरिंग रेंज में आएं, उन पर फायरिंग शुरू कर दी जाए। भारतीय जवानों ने चीनियों पर एलएमली, एलएमजी और मोर्टार से हमला करना शुरू कर दिया।
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