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5जी मानक पर दुनिया के बंटने का अब खतरा नहीं
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, हांगकांग
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 27 Feb 2021 06:00 PM IST
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सार
मेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ने के बाद ये अंदेशा पैदा हुआ था कि ये दोनों देश 5जी के अपने-अपने मानक तय करेंगे। तब दुनिया के अलग-अलग देशों को उनमें से किसी एक मानक को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ता...

5जी सुविधा
- फोटो : pixabay
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विस्तार
ऐसा लगता है कि 5जी टेक्नोलॉजी के मामले में दुनिया के बंटने का खतरा फिलहाल कम हो गया है। ये अनुमान दूरसंचार कारोबारियों की वैश्विक संस्था जीएसएम एसोसिएशन (जीएसएमए) का है। अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ने के बाद ये अंदेशा पैदा हुआ था कि ये दोनों देश 5जी के अपने-अपने मानक तय करेंगे। तब दुनिया के अलग-अलग देशों को उनमें से किसी एक मानक को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ता।

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लेकिन जीएसएम एसोसिएशन का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव के बावजूद वैश्विक दूरसंचार मानक तय करने में चीनी कंपनियों की भूमिका बढ़ती चली गई है। जीएसएमए की चीन शाखा के प्रमुख सिहान बो चेन ने यहां के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से इसे उल्लेखनीय बताया कि मानक तय करने के जारी प्रयासों से अब तक चीन को बाहर नहीं किया गया है।
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एशिया, यूरोप और उत्तर अमेरिका के दूरसंचार संघों ने 3-जीपीपी नाम से एक एजेंसी बनाई है। इस एजेंसी के तहत मानक तय करने का काम चल रहा है। वैसे दूरसंचार के मामले में अंतरराष्ट्रीय मानक तय करने की प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन्स यूनियन (आईटीयू) की देखरेख में चलती है। इस तरह 3-जीपीपी की भूमिका एक सलाहकार संस्था की है।
चेन के मुताबिक 5जी के वैश्विक मानक को लेकर सकारात्मक राय पिछले जून में ही बनने लगी थी, जब अमेरिका ने हुवावे और जेडटीई कॉर्प जैसी चीनी कंपनियों के साथ कारोबार करने से संबंधित नियमों में बदलाव किया। इस बदलाव के तहत कंपनियों को 5जी का मानक तय करने के मामले में चीनी कंपनियों से सहयोग करने की इजाजत दे दी गई। लेकिन अमेरिका और चीन के बीच टेक वॉर जारी रहने के कारण आशंकाएं कायम रहीं।
हुवावे कंपनी को 2019 में अमेरिका ने ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था। जबकि ये कंपनी दुनिया में दूरसंचार उपकरणों की सबसे बड़ी सप्लायर और चीन में मोबाइल फोन की सबसे बड़ी विक्रेता है। पूर्व डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने दुनिया के बाकी देशों पर भी दबाव डाला कि हुवावे के उपकरणों का इस्तेमाल ना करें। चीन दूसरे नंबर की टेलीकॉम उपकरण निर्माता कंपनी जेडटीई पर भी प्रतिबंध लगाए गए, जिसके कारण बताया जाता है कि 2018 के बाद 3.1 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
चीन के शंघाई में चल रहे उद्योग व्यापार समारोह में इसी हफ्ते जेडटीई के अध्यक्ष शू जियांग ने कहा कि 5-जी नेटवर्क और सेवाएं अभी भी आरंभिक दौर में हैं। इसलिए अभी इन्हें तकनीक चुनौतियों और कारोबारी अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ेगा। इस बीच चीन सरकार ने सारे देश में 5जी टेक्नोलॉजी लागू करन की योजना बनाई है। उसने प्रांतीय सरकारों, चीनी उद्यमों और अनुसंधान संस्थानों से नया डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने का आह्वान किया है। लेकिन माना जा रहा है कि इस राह अभी कई चुनौतियां हैं।
जीएसएसए की चीन शाखा के अध्यक्ष चेन ने कहा कि अभी परंपरागत उद्योग घराने यह नहीं समझ पाए हैं कि 5जी से उन्हें क्या फायदा होगा। चेन के मुताबिक 5जी टेक्नोलॉजी से डेटा के डाउनलोड या अपलोड की रफ्तार दस गुना बढ़ जाएगी। चेन ने कहा- ‘5जी एक नवजात शिशु है। इसलिए इसके बारे में समझने के लिए हमें सब्र दिखाना होगा।’
विशेषज्ञों का कहना है कि 5जी टेक्नोलॉजी से दूरसंचार की पूरी तस्वीर बदल जाएगी। लेकिन दुनिया को इसका पूरा फायदा तभी मिल पाएगा, जब इसका सारी दुनिया में एक मानक हो। इसीलिए अमेरिका मानक के मामले में चीन को बाहर ना करने के फैसले से दूरसंचार उद्योग जगत ने राहत महसूस की थी। अब राष्ट्रपति जो बाइडन के दौर में जब अमेरिकी विदेश नीति में विवेकपूर्ण फैसलों का दौर लौटा है, तब ये उम्मीद पुख्ता हुई है कि इस मामले में दुनिया में बंटवारा नहीं होगा। इससे दूरसंचार उद्योग ने राहत महसूस की है।