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Canada: ट्रूडो के इस्तीफे के बाद अगले पीएम की दौड़ में दो भारतवंशी भी, जानें कौन हैं अनीता आनंद और जॉर्ज चहल

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ओटावा Published by: बशु जैन Updated Tue, 07 Jan 2025 09:49 AM IST
सार

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद उनकी जगह अगले पूर्णकालिक प्रधानमंत्री पद के लिए कौन दावेदार होगा। इस रेस में कनाडा मूल के नेताओं के साथ ही दो भारतवंशी भी शामिल हैं। इन भारतवंशी सांसदों में पहला नाम ट्रूडो मंत्रिमंडल में शामिल पूर्व रक्षा मंत्री और मौजूदा परिवहन और आतंरिक व्यापार मंत्री अनीता आनंद का है। जबकि दूसरा नाम भारतवंशी लिबरल पार्टी के सांसद जॉर्ज चहल का है। 

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Justin Trudeau resigns as Canada PM  Anita Anand & George Chahal Among Know impact on India
कनाडा के पीएम पद के दावेदार - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद नए दावेदारों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। पीएम पद की रेस में कनाडा मूल के नेताओं के साथ ही दो भारतवंशी भी शामिल हैं। इन भारतवंशी सांसदों में पहला नाम ट्रूडो मंत्रिमंडल में शामिल पूर्व रक्षा मंत्री और मौजूदा परिवहन और आतंरिक व्यापार मंत्री अनीता आनंद का है। जबकि दूसरा नाम भारतवंशी लिबरल पार्टी के सांसद जॉर्ज चहल का है। आइए जानते हैं कौन हैं भारतवंशी सांसद। 

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भारतवंशी अनीता आनंद का नाम चर्चा में
कनाडा में पीएम पद की रेस में भारतवंशी सांसद अनीता आनंद का भी चर्चा में है। अनीता आनंद ट्रूडो मंत्रिमंडल में शामिल हैं। वह कनाडा की रक्षा मंत्री रह चुकी हैं। साथ ही मौजूदा समय में परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्री हैं। अनीता का जन्म 1967 में नोवा स्कोटिया में भारतीय माता-पिता के घर हुआ था, जो दोनों चिकित्सा पेशेवर थे। उनकी मां सरोज पंजाब से और पिता एस.वी. आनंद तमिलनाडु से थे।
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अनीता टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर रह चुकी हैं। उन्होंने टोरंटो के पास ओकविले से 2019 में सांसद का चुनाव लड़ा और जीत गईं। इसके बाद उनको सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री के रूप में चुना गया था। कोविड महामारी के दौरान उन्होंने टीके खरीदने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने यूक्रेन की भी मदद की। साथ ही अनीता ने व्यापक शोध के साथ एयर इंडिया जांच आयोग की सहायता की। आयोग ने 23 जून 1985 को एयर इंडिया कनिष्क उड़ान 182 की बमबारी की जांच की, जिसमें सभी 329 लोग मारे गए थे। ये मामला खालिस्तानियों से जुड़ा था। 

जॉर्ज चहल भी पीएम पद की रेस में
कनाडा पीएम पद की रेस में दूसरे भारतवंशी के तौर पर लिबरल सांसद जॉर्ज चहल का नाम भी शामिल है। हालांकि कई सांसदों ने उनको अंतरिम नेता नियुक्त करने की सिफारिश की है। अगर चहल को अंतरिम नेता चुना जाता है, तो वे पीएम की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। क्योंकि कनाडा के नियमों के मुताबिक अंतरिम नेता प्रधानमंत्री पद का चुनाव नहीं लड़ सकते।

जॉर्ज चहल ने पिछले सप्ताह कॉकस सहयोगियों को पीएम पद के लिए अनुरोध के साथ एक पत्र लिखा था। चहल ने ट्रूडो से पीएम पद छोड़ने और पार्टी से चुनाव कराने की मांग की थी। पेशे से वकील चहल ने कैलगरी सिटी काउंसलर के रूप में विभिन्न समितियों में काम किया है। चहल प्राकृतिक संसाधनों पर स्थायी समिति के अध्यक्ष और सिख कॉकस के अध्यक्ष भी हैं।

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क्रिस्टिया फ्रीलैंड - फोटो : एएनआई

इन नेताओं के नाम भी पीएम पद की दौड़ में

क्रिस्टिया फ्रीलैंड
कनाडा की पूर्व वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री रहीं क्रिस्टिया फ्रीलैंड को लंबे समय तक जस्टिन ट्रूडो के समर्थक के तौर पर देखा गया है। हालांकि, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार के आने के बाद वित्तीय मामलों और कई योजनाओं को लेकर उनकी जस्टिस ट्रूडो से अनबन की खबरें सामने आईं। इसी के चलते उन्होंने अपने पद छोड़ दिए। माना जा रहा है कि ट्रूडो के इस्तीफा देने की स्थिति में लिबरल पार्टी उन्हें पीएम पद के लिए आगे कर सकती है। भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्रा आर्या ने भी फ्रीलैंड को ट्रूडो का उत्तराधिकारी करार दिया है।





डॉमिनिक लीब्लांक
लिबरल सरकार में ही कैबिनेट मंत्री डॉमिनिक लीब्लांक उन चुनिंदा नेताओं में से हैं, जो कि मुश्किलों के बावजूद डटकर उनके साथ खड़े हैं। ऐसे में ट्रूडो के समर्थन में खड़े लिबरल पार्टी के नेता अगले प्रधानमंत्री के लिए लीब्लांक का समर्थन कर सकते हैं। एक वकील और नेता लीब्लांक फिलहाल मौजूदा सरकार में वित्त और अंतरविभागीय मंत्रालय की कमान संभाल रहे हैं। फ्रीलैंड के इस्तीफा देने के बाद उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। उन्हें पिछले एक दशक में ट्रूडो सरकार में कई मंत्रीपद सौंपे जा चुके हैं। 

मार्क कार्नी
कनाडा के पीएम पद के लिए नेताओं से इतर एक नाम ऐसा भी है, जिसका राजनीति से अब तक नाता नहीं रहा है। यह नाम है मार्क कार्नी का, जो कि पहले बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर रह चुके हैं। मार्क कार्नी ने बीते दिनों में राजनीति में आने की इच्छा जताई है और इसके लिए वह लिबरल पार्टी के नेताओं के संपर्क में भी हैं। ट्रूडो के पीएम पद छोड़ने पर लिबरल नेता उनका नाम आगे बढ़ा सकते हैं। 

क्रिस्टी क्लार्क
राष्ट्रीय स्तर पर लिबरल पार्टी की नेता और कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत की पूर्व प्रीमियर (मुख्यमंत्री के बराबर का पद) क्रिस्टी क्लार्क का नाम भी पीएम पद के उम्मीदवारों में शामिल है। वे 2011 से 2017 तक ब्रिटिश कोलंबिया की प्रीमियर रहीं। 58 वर्षीय क्लार्क प्रांतीय स्तर पर बीसी यूनाइटेड पार्टी का नेतृत्व भी करती हैं। 

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जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा के प्रधानमंंत्री पद से दिया इस्तीफा - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
ट्रूडो ने दिया इस्तीफा
जस्टिस ट्रूडो 2015 में प्रधानमंत्री बने थे। उससे पहले दस साल तक कनाडा में कंजर्वेटिव पार्टी का शासन था। शुरुआत में उनकी नीतियों को सराहा गया था। लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ती खाद्य और आवास की कीमतों और बढ़ते आप्रवासन के कारण उनका समर्थन घट गया। ट्रूडो की सहयोगी पार्टी और जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली एनडीपी ने बीते दिनों ट्रूडो सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। एक हालिया सर्वे में दावा किया गया कि 73 प्रतिशत कनाडा के नागरिक चाहते हैं कि ट्रूडो प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा दें। इनमें 43 प्रतिशत लिबरल मतदाता भी शामिल हैं। इसके बाद ट्रूडो ने सोमवार रात को प्रधानमंत्री पद से अपने इस्तीफे का एलान कर दिया। अभी यह साफ नहीं है कि ट्रूडो प्रधानमंत्री पद कब तक छोड़ देंगे, हालांकि, उन्होंने खुद साफ किया है कि वे अगला पूर्णकालिक पीएम चुने जाने तक इस पद पर रहेंगे। 

अब क्या होगा?
जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद लिबरल पार्टी या तो राष्ट्रपति से अपील कर देश में समय पूर्व आम चुनाव करा सकती है या ट्रूडो की जगह लेने के लिए एक अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकती है। 

अगर लिबरल पार्टी दूसरा रास्ता अपनाती है तो उसे अंतरिम प्रधानमंत्री की नियुक्ति के बाद एक नया पूर्णकालिक प्रधानमंत्री चुनने की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी। हालांकि, यह काम इतना भी आसान नहीं होगा। दरअसल, कनाडा में राजनीतिक दलों के नेताओं को चुनने की प्रक्रिया ब्रिटेन-अमेरिका समेत बाकी लोकतांत्रिक देशों की तरह ही काफी जटिल है। ट्रूडो के इस्तीफा देने के बाद लिबरल पार्टी अगले पूर्णकालिक पीएम को चुनने के लिए एक विशेष सम्मेलन का आयोजन करेगी, जिसमें अलग-अलग नेता पीएम पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे। 

इसके बाद इन दावेदारों में से लिबरल पार्टी के अगले मुखिया को चुनने के लिए पार्टी कार्यकर्ता ही वोटिंग में हिस्सा लेंगे। यह प्रक्रिया कितनी लंबी होगी, यह उम्मीदवारों की संख्या के आधार पर तय होता है। मसलन जितने ज्यादा उम्मीदवार, उतनी लंबी चुनाव प्रक्रिया। मजेदार बात यह है कि कनाडा में इसी साल 20 अक्तूबर से पहले चुनाव कराए जाने हैं। ऐसे में अगर लिबरल पार्टी पूर्णकालिक प्रधानमंत्री चुनने में देरी करती है तो देश का नेतृत्व  फिर से ट्रूडो के हाथ में रह जाएगा। यानी इस्तीफा देने के बाद भी वे उसी पद पर बने रहेंगे, जिसे छोड़ने का वो एलान कर चुके हैं।

माना जा रहा है कि इस स्थिति से निपटने के लिए लिबरल पार्टी सम्मेलन की अवधि को छोटा कर सकती है। हालांकि, इससे पार्टी को प्रधानमंत्री पद के उन दावेदारों का विरोध झेलना पड़ सकता है, जिन्हें तैयारी के लिए और प्रभाव बनाने में कम समय मिलेगा। इससे पार्टी में अंदरूनी टूट और बगावत की स्थिति भी पैदा हो सकती है। 
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