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सीरिया संघर्ष से अमेरिका को क्या होगा हासिल?

ब्रजेश उपाध्याय बीबीसी संवाददाता, वॉशिंगटन Updated Sat, 08 Apr 2017 11:43 AM IST
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What will the US achieve from Syria conflict?
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सीरियाई सैन्य अड्डे पर हवाई हमलों के बाद अमेरिकी ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो वो और हमलों के लिए तैयार है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि मंगलवार को रासायनिक हमला लॉन्च करने के लिए जिस सैनय अड्डे का इस्तेमाल किया गया था, अमेरिकी ने इसी अड्डे पर बम बरसाए हैं। उधर, संयुक्त राष्ट्र ने मौजूदा स्थिति बिगड़ने की चेतावनी दी है। लेकिन इस कार्रवाई से ट्रंप प्रशासन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध का सामना भी करना पड़ा है।
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रूस और सीरिया ने इस हमले की निंदा की है। लेकिन इस हमले से आखिर अमेरिकी को क्या हासिल हुआ? इस हमले से सीरिया के जमीनी हालात में कोई बदलाव नहीं आया है बल्कि एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, जिस हवाई पट्टी पर बमबारी हुई है, उससे आज ही लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी है। इससे रूस के साथ अमेरिकी के तनाव में खासा इजाफा हो गया है।
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संयुक्त राष्ट्र में रूस और अमेरिकी ने खुलकर एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की है। चरमपंथी गुटों पर कार्रवाई के लिए रूस और अमेरिकी के बीच हवाई हमलों के दौरान किसी दुर्घटना से बचने के लिए जानकारी साझा करने के समझौते को रूस ने रद्द कर दिया है। दोनों देशों के बीच रिश्तों की दिशा क्या होगी, इसका अंदाजा अगले हफ्ते लग पाएगा जब अमेरिकी विदेश मंत्री रूस पहुंचेंगे।

ट्रंप को फायदा

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इस कार्रवाई से अमेरिकी राष्ट्रपति को फायदा पहुंचा है। अमेरिकी कांग्रेस में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों पार्टियों के सदस्यों ने इस कार्रवाई का समर्थन किया है। हालांकि कुछ सदस्यों ने इसका विरोध भी किया। लेकिन ट्रंप की टीम इसे एक ठोस कारगर विदेश नीति के रूप में पेश किया है, जिसमें कमांडर इन चीफ मुश्किल फैसलों से पीछे नहीं हटते।

इस हमले से चीन के राष्ट्रपति के अमेरिकी दौरे को एक तरह से फीका कर दिया है, जोकि माना जा रहा है कि ये कार्रवाई चीन को काफी नागवार गुजरी होगी। इसे एक दूसरे को जानने समझने के दौरे की तरह पेश किया जा रहा है। हालांकि सार्वजनिक रूप से दोनों के देशों के राष्ट्रपतियों ने जितना संभव था, गर्मजोशी दिखाई।
 

अहम मुद्दों पर नहीं बनी बात

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ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में चीन पर काफी निशाना साधा था, इसलिए भी चीनी राष्ट्रपति का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा था। व्यापार, उत्तर कोरिया, साउथ चाइना सी जैसे मुद्दों पर कोई प्रगति नहीं हुई और इसे ट्रंप के चीन के दौरे के लिए टाला दिया गया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ट्रंप को चीन आने का न्यौता दिया था जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।

दोनों देशों के बीच 'हंड्रेड डेज' कार्यक्रम पर सहमति बनी है, जिसका मकसद है आपसी व्यापार के मसलों को सुलझाना, अमेरिकी निर्यात को बढ़ावा देना ताकि चीन के साथ अमेरिकी का व्यापार घाटा कम हो सके।

हालांकि इसी दौरान एक बार फिर अमेरिकी ने दुहराया है कि अगर चीन नहीं तैयार होता है तो वो अकेले ही उत्तर कोरिया पर कार्रवाई करेगा। शी जिनपिंग का ये दौरा इसलिए भी याद रखा जाएगा क्योंकि उनकी यात्रा के दौरान अमेरिकी ने सीरिया पर बमबारी की है।

कट्टर ट्रंप समर्थक भी नाराज

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सीरिया की बमबारी को लेकर एक बड़ी बात ये आई है कि ट्रंप के कट्टर समर्थकों में से कुछ ने इस कार्रवाई की आलोचना की है। उनका कहना है कि हमने उनको इसके लिए वोट नहीं दिया था, हमने उन्हें अमेरिकी फर्स्ट के वादे की वजह से वोट दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वो अमेरिकी लोगों की जिंदगियां बेहतर करेंगे, उनके लिए नौकरियों के अवसर पैदा करेंगे।

उनके अनुसार, मध्यपूर्व में फौजी दखलंदाजडी की ट्रंप तो आलोचना किया करते थे, इसके लिए उन्होंने ओबामा की भी काफी आलोचना की थी कि वो उन देशों में क्यों घुसने की कोशिश कर रहे हैं, जिनसे हमारा कोई सीधा लेना देना नहीं है। ये लोग इसे ट्रंप की नीति में एक बड़े बदलाव की तरह देख रहे हैं और इससे ट्रंप के कट्टर समर्थकों में एक नाराजगी नजर आई है।
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