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‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रंप’ के बावजूद बिडेन के पक्ष में दिख रहे हैं अमेरिकी भारतीय
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 15 Oct 2020 04:15 PM IST
सार
कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस, जॉन हॉपकिन्स एसएआईएस और पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी की तरफ से किए एक ताजा सर्वे के मुताबिक अभी भी ज्यादातर भारतीय समुदाय के लोग विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन कर रहे हैं...
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Trump and Modi at Howdy Modi
- फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
पिछले साल अमेरिकी शहर ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सम्मान में हुए समारोह में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को लाने में कामयाब हुए थे। वहां उन्होंने सांकेतिक भाषा में ट्रंप को दूसरे कार्यकाल के लिए समर्थन देने की अपील की थी। उसके बाद इस साल फरवरी में अहमदाबाद में ट्रंप के स्वागत में ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम हुआ, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। डोनल्ड ट्रंप ने 3 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान में अहमदाबाद के समारोह के दृश्यों वाले एक वीडियो को भी शामिल किया है। लेकिन लगता नहीं कि इसका ज्यादा असर अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों पर हुआ है।
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कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस, जॉन हॉपकिन्स एसएआईएस और पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी की तरफ से किए एक ताजा सर्वे के मुताबिक अभी भी ज्यादातर भारतीय समुदाय के लोग विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन कर रहे हैं। तमाम अल्पसंख्यकों की तरह भारतीय मूल के लोग भी परंपरागत रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक रहे हैं।
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ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी पारंपरिक रूप से विदेशी मूल के लोगों और अल्पसंख्यकों के प्रति असंवेदनशील मानी जाती है। ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सार्वजनिक मंचों पर आकर विशेष दोस्ती का प्रदर्शन किया, तो आम समझ यही बनी थी कि वो भारतीय मूल के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
इंडियन-अमेरिकन एटीट्यूड सर्वे नाम से जारी इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 72 फीसदी भारतीय मूल के मतदाताओं का मूड राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन को वोट देने का है। 22 फीसदी ऐसे मतदाताओं का रूझान ट्रंप के पक्ष में है। तीन फीसदी मतदाता वोट नहीं देना चाहते, जबकि बाकी तीन फीसदी वोटरों ने किसी तीसरे प्रत्याशी को वोट देने का इरादा जताया। इस सर्वे से यह संकेत जरूर मिला है कि 2016 की तुलना में भारतीय मूल के मतदाताओं के बीच डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए समर्थन घटा है। यानी ‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रंप’ बिल्कुल बेअसर नहीं रहे हैं।
दरअसल, जो बिडेन ने भारतीय मूल की कमला हैरिस को उप-राष्ट्रपति पद के लिए अपना साथी उम्मीदवार बना कर अपनी पार्टी के लिए भारतीय मूल के मतदाताओं का समर्थन ज्यादा नहीं घटने दिया। ताजा सर्वे के मुताबिक 45 फीसदी भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं ने कहा कि हैरिस के उम्मीदवार बनने के बाद उनके डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट देने की संभावना बढ़ गई। लेकिन 10 फीसदी ऐसे मतदान भी हैं, जिन्होंने कहा कि जो बिडेन के इस फैसले से डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के प्रति उनका उत्साह घट गया। बाकी मतदाताओं ने कहा कि हैरिस के प्रत्याशी बनने से उनके राजनीतिक रूझान पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।
अमेरिका में तकरीबन साढ़े 41 लाख भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं। उनमें से लगभग 19 लाख मतदाता के रूप में दर्ज हैं। ये संख्या कुल मतदाताओं (लगभग 16 करोड़) के बीच बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन कड़े मुकाबले वाले कई राज्यों में भारतीय मूल के मतदाता नतीजे को प्रभावित करने में सक्षम माने जाते हैं। इसीलिए इस बार के चुनाव में उनके रूझान की खास चर्चा रही है और उसको लेकर कयास लगाए जाते रहे हैं।
सर्वे से ये सामने आया कि आधे से ज्यादा भारतीय मूल के मतदाताओं की निगाह में अर्थव्यवस्था, हेल्थ केयर और रंगभेद इस चुनाव में सबसे बड़े मुद्दे हैं। ये वो मुद्दे हैं जिन पर ट्रंप सवालों से घिरे हुए हैं। आम धारणा है कि उनके लापरवाह रुख से अमेरिका में कोरोना महामारी अप्रत्याशित रूप से फैली, उसकी वजह से अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई और इसी दौरान अफ्रीकी-अमेरिकियों पर पुलिस ज्यादती से रंगभेद एक बड़ा मुद्दा बन गया। जाहिर है कि अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोग मतदान के मामले में भारतीय राजनीति की प्राथमिकताओं के बजाय अपने हितों को ज्यादा तरजीह देते दिख रहे हैं।