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Attack on Hindu Temples: ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों को क्यों बनाया जा रहा निशाना, इसके पीछे किसका हाथ?
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Sun, 29 Jan 2023 11:00 AM IST
सार
सवाल ये है कि आखिर क्यों हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है? इसके पीछे मकसद क्या है? हमला करने वाले लोग कौन हैं और वो क्या चाहते हैं? आइए समझते हैं...
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हिंदू मंदिरों पर हमला क्यों?
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में 15 दिन के अंदर तीन हिंदू मंदिरों पर हमला हुआ है। तोड़फोड़ हुई और भारत विरोधी नारे लिखे गए। कैनबरा स्थित भारतीय उच्चायोग ने इन हमलों पर कड़ी आपत्ति जताई है। उच्चायोग ने कहा है कि 'हम मेलबर्न में तीन हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की कड़ी आलोचना करते हैं। यह साफ तौर पर शांतिपूर्ण और बहुधर्मी भारतीय ऑस्ट्रेलियाई समाज में नफरत और बंटवारा करने की कोशिश है।'
वहीं, दूसरी ओर वहां के हिंदू संगठनों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर क्यों हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है? इसके पीछे मकसद क्या है? हमला करने वाले लोग कौन हैं और वो क्या चाहते हैं? आइए समझते हैं...
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वहीं, दूसरी ओर वहां के हिंदू संगठनों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर क्यों हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है? इसके पीछे मकसद क्या है? हमला करने वाले लोग कौन हैं और वो क्या चाहते हैं? आइए समझते हैं...
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ऑस्ट्रेलिया में अब तक क्या-क्या हुआ?
12 जनवरी को हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की घटना सामने आई। तब मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे भी लिखे गए थे। इसके बाद 17 जनवरी को भी इसी तरह की घटना एक हिंदू मंदिर में हुई। 15 दिन के अंदर तीसरी बार ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में एक मंदिर को निशाना बनाया गया। दीवारों पर भारत-विरोधी नारे लिखे हैं।
इस घटना के बाद ऑस्ट्रेलिया हाई कमिश्नर बैरी ओफैरल ने ट्वीट करके कहा, ‘भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया भी कई संस्कृतियों वाला देश है। हम मेलबर्न में हिंदू मंदिरों के साथ तोड़फोड़ की घटना देखकर दंग हैं। इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई एजेंसियां जांच कर रही हैं। हम अभिव्यक्ति की आजादी को पुरजोर समर्थन देते हैं। लेकिन इसमें नफरती भाषणों और हिंसा की जगह नहीं है।’
12 जनवरी को हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की घटना सामने आई। तब मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे भी लिखे गए थे। इसके बाद 17 जनवरी को भी इसी तरह की घटना एक हिंदू मंदिर में हुई। 15 दिन के अंदर तीसरी बार ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में एक मंदिर को निशाना बनाया गया। दीवारों पर भारत-विरोधी नारे लिखे हैं।
इस घटना के बाद ऑस्ट्रेलिया हाई कमिश्नर बैरी ओफैरल ने ट्वीट करके कहा, ‘भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया भी कई संस्कृतियों वाला देश है। हम मेलबर्न में हिंदू मंदिरों के साथ तोड़फोड़ की घटना देखकर दंग हैं। इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई एजेंसियां जांच कर रही हैं। हम अभिव्यक्ति की आजादी को पुरजोर समर्थन देते हैं। लेकिन इसमें नफरती भाषणों और हिंसा की जगह नहीं है।’
ऑस्ट्रेलिया में अब तक क्या-क्या हुआ?
12 जनवरी को हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की घटना सामने आई। तब मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे भी लिखे गए थे। इसके बाद 17 जनवरी को भी इसी तरह की घटना एक हिंदू मंदिर में हुई। 15 दिन के अंदर तीसरी बार ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में एक मंदिर को निशाना बनाया गया। दीवारों पर भारत-विरोधी नारे लिखे हैं।
इस घटना के बाद ऑस्ट्रेलिया हाई कमिश्नर बैरी ओफैरल ने ट्वीट करके कहा, ‘भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया भी कई संस्कृतियों वाला देश है। हम मेलबर्न में हिंदू मंदिरों के साथ तोड़फोड़ की घटना देखकर दंग हैं। इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई एजेंसियां जांच कर रही हैं। हम अभिव्यक्ति की आजादी को पुरजोर समर्थन देते हैं। लेकिन इसमें नफरती भाषणों और हिंसा की जगह नहीं है।’
प्रभात कहते हैं, 'ऑस्ट्रेलिया के स्थानीय अखबारों में इस घटना के लिए खालिस्तानी समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। क्योंकि अभी 29 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया में एक खालिस्तानी जनमत का आयोजन होना है। इससे पहले इस तरह के जनमत कनाडाई और अमेरिकी शहरों में हो चुके हैं। ये जनमत भारत में आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ करवा रहा है।
12 जनवरी को हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की घटना सामने आई। तब मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे भी लिखे गए थे। इसके बाद 17 जनवरी को भी इसी तरह की घटना एक हिंदू मंदिर में हुई। 15 दिन के अंदर तीसरी बार ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में एक मंदिर को निशाना बनाया गया। दीवारों पर भारत-विरोधी नारे लिखे हैं।
इस घटना के बाद ऑस्ट्रेलिया हाई कमिश्नर बैरी ओफैरल ने ट्वीट करके कहा, ‘भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया भी कई संस्कृतियों वाला देश है। हम मेलबर्न में हिंदू मंदिरों के साथ तोड़फोड़ की घटना देखकर दंग हैं। इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई एजेंसियां जांच कर रही हैं। हम अभिव्यक्ति की आजादी को पुरजोर समर्थन देते हैं। लेकिन इसमें नफरती भाषणों और हिंसा की जगह नहीं है।’
प्रभात कहते हैं, 'ऑस्ट्रेलिया के स्थानीय अखबारों में इस घटना के लिए खालिस्तानी समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। क्योंकि अभी 29 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया में एक खालिस्तानी जनमत का आयोजन होना है। इससे पहले इस तरह के जनमत कनाडाई और अमेरिकी शहरों में हो चुके हैं। ये जनमत भारत में आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ करवा रहा है।
मंदिरों को क्यों बनाया जा रहा निशाना?
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, 'ये काम खालिस्तानी समर्थक कर रहे हैं। ये स्पष्ट हो चुका है। दरअसल वह इसके जरिए पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहते हैं। वह अपनी नाजायज मांगों के समर्थन में बाकी देशों में भी समर्थन चाहते हैं। इसके लिए इस तरह का अभियान शुरू किया गया है।'
डॉ. आदित्य के अनुसार, हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ करके और भारत विरोधी नारे लिखकर वह चर्चा में आना चाहते हैं। इसके पीछे पाकिस्तान जैसे देशों की शह भी शामिल है। ये भारत में अस्थिरता लाने के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं। जब कश्मीर में आतंकी घटनाओं पर सरकार ने सख्त कदम उठाना शुरू किया तो इन लोगों ने दूसरे तरह से अपनी मुहिम को तेज करना शुरू कर दिया है। अब ये खालिस्तानी समर्थकों का सहारा ले रहे हैं।
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, 'ये काम खालिस्तानी समर्थक कर रहे हैं। ये स्पष्ट हो चुका है। दरअसल वह इसके जरिए पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहते हैं। वह अपनी नाजायज मांगों के समर्थन में बाकी देशों में भी समर्थन चाहते हैं। इसके लिए इस तरह का अभियान शुरू किया गया है।'
डॉ. आदित्य के अनुसार, हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ करके और भारत विरोधी नारे लिखकर वह चर्चा में आना चाहते हैं। इसके पीछे पाकिस्तान जैसे देशों की शह भी शामिल है। ये भारत में अस्थिरता लाने के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं। जब कश्मीर में आतंकी घटनाओं पर सरकार ने सख्त कदम उठाना शुरू किया तो इन लोगों ने दूसरे तरह से अपनी मुहिम को तेज करना शुरू कर दिया है। अब ये खालिस्तानी समर्थकों का सहारा ले रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले हिंदू क्या कहते हैं?
ऑस्ट्रेलिया में जॉब करने वाली उषा सेंथिलनाथन कहती हैं कि ये स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि खालिस्तानी समर्थक इतनी निडरता के साथ उनके पूजास्थलों पर नफरती नारे लिख दें। मेलबर्न हिंदू समुदाय के सदस्य सचिन महाते कहते हैं 'अगर इन खालिस्तानी समर्थकों में इतनी हिम्मत है तो वे विक्टोरिया के अमन पसंद हिंदू समुदाय को निशाना बनाने की जगह विक्टोरिया की संसद पर जाकर ये नारे लिखें।'
ऑस्ट्रेलिया एसोसिएशन ऑफ आयुर्वेद के अध्यक्ष डॉ. नवीन शुक्ला कहते हैं, 'मेलबर्न में हुई घटनाएं दिखाती हैं कि हिंदू समुदाय को थोड़ा सतर्क होना पड़ेगा। मेलबर्न में जो हो रहा है, उसके कारण कनाडा और अमेरिका जैसे हालात यहां भी हो सकते हैं। इसलिए सरकार को भी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
भारतीय मूल के बलजिंदर सिंह कहते हैं, 'ऐसी घटनाओं का भारत से यहां आकर बसने और पढ़ने वालों पर असर होगा। इस तरह की गतिविधियां करने वाले लोग असल में यहां रहने वाले और भविष्य में आने वाले भारतीयों के लिए ही समस्याएं पैदा करते हैं।'
ऑस्ट्रेलिया में जॉब करने वाली उषा सेंथिलनाथन कहती हैं कि ये स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि खालिस्तानी समर्थक इतनी निडरता के साथ उनके पूजास्थलों पर नफरती नारे लिख दें। मेलबर्न हिंदू समुदाय के सदस्य सचिन महाते कहते हैं 'अगर इन खालिस्तानी समर्थकों में इतनी हिम्मत है तो वे विक्टोरिया के अमन पसंद हिंदू समुदाय को निशाना बनाने की जगह विक्टोरिया की संसद पर जाकर ये नारे लिखें।'
ऑस्ट्रेलिया एसोसिएशन ऑफ आयुर्वेद के अध्यक्ष डॉ. नवीन शुक्ला कहते हैं, 'मेलबर्न में हुई घटनाएं दिखाती हैं कि हिंदू समुदाय को थोड़ा सतर्क होना पड़ेगा। मेलबर्न में जो हो रहा है, उसके कारण कनाडा और अमेरिका जैसे हालात यहां भी हो सकते हैं। इसलिए सरकार को भी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
भारतीय मूल के बलजिंदर सिंह कहते हैं, 'ऐसी घटनाओं का भारत से यहां आकर बसने और पढ़ने वालों पर असर होगा। इस तरह की गतिविधियां करने वाले लोग असल में यहां रहने वाले और भविष्य में आने वाले भारतीयों के लिए ही समस्याएं पैदा करते हैं।'
ऑस्ट्रेलिया में कितनी है हिंदुओं की ताकत?
ऑस्ट्रेलिया में 2021 में जनगणना हुई है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार, यहां हिंदू तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। ऑस्ट्रेलिया में हिंदुओं की कुल आबादी 6.84 लाख है। ये ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी का 2.7% हिस्सा है। वहीं, सिखों की संख्या करीब दो लाख है, जो कुल आबादी के 0.8% हैं। आंकड़े बताते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले 34% हिंदुओं की उम्र 14 साल और 66% हिंदुओं की उम्र 34 साल है। जुलाई 2022 के आंकड़े बताते हैं कि यहां 96 हजार भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। चीन के बाद विदेशी छात्रों की यह दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।
ऑस्ट्रेलिया में 2021 में जनगणना हुई है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार, यहां हिंदू तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। ऑस्ट्रेलिया में हिंदुओं की कुल आबादी 6.84 लाख है। ये ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी का 2.7% हिस्सा है। वहीं, सिखों की संख्या करीब दो लाख है, जो कुल आबादी के 0.8% हैं। आंकड़े बताते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले 34% हिंदुओं की उम्र 14 साल और 66% हिंदुओं की उम्र 34 साल है। जुलाई 2022 के आंकड़े बताते हैं कि यहां 96 हजार भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। चीन के बाद विदेशी छात्रों की यह दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।