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Bangladesh: जमानत के तुरंत बाद ही चिन्मय कृष्ण दास की बढ़ी मुश्किलें, हत्या के मामले में किए गए गिरफ्तार
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: पवन पांडेय
Updated Mon, 05 May 2025 08:49 PM IST
सार
बांग्लादेश में हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को हत्या के चार मामलों में गिरफ्तार कर लिया गया है। सात महीने बाद 30 अप्रैल को ही हाईकोर्ट ने चिन्मय दास को जमानत दी थी। इस मामले में आरोप लग रहा है कि सरकार ने कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के लिए दास को गिरफ्तार किया है।
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चिन्मय कृष्ण दास
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
बांग्लादेश के हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को चटगांव की अदालत से जमानत मिलने के तुरंत बाद हत्या के चार मामलों में गिरफ्तार कर लिया गया है। बता दें कि, बांग्लादेश हाई कोर्ट ने देशद्रोह के आरोप में दास को जमानत दे दी थी। मामले में चटगांव बार एसोसिएशन के महासचिव अशरफ हुसैन रज्जाक ने बताया कि न्यायाधीश ने दास को वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या के संबंध में दर्ज चार मामलों में गिरफ्तार किया है। पिछले साल 26 नवंबर को चटगांव कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील सैफुल पर अज्ञात हमलावरों ने धारदार हथियारों से जानलेवा हमला किया था। यह हमला चिन्मय दास की रिहाई की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुआ। इससे ठीक एक दिन पहले 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में उन्हें ढाका एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था।
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30 अप्रैल को मिली थी जमानत
30 अप्रैल को बांग्लादेश हाईकोर्ट ने चिन्मय दास को देशद्रोह के एक मामले में जमानत दे दी थी। जस्टिस अताउर रहमान और जस्टिस एमडी अली रजा की पीठ ने यह आदेश दिया था। जमानत के तुरंत बाद ही सरकार ने आदेश पर रोक लगाने के लिए चैंबर कोर्ट में अंक आवेदन दायर किया। चैंबर कोर्ट ने जमानत पर रोक नहीं लगाई, लेकिन सुनवाई की तारीख तय कर दी थी।
एकतरफा सुनवाई का आरोप
वहीं चिन्मय कृष्ण दास के वकील अपूर्बा कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि चिन्मय की रिहाई को रोकने के लिए हाई कोर्ट की जमानत के आदेश के बाद भी उन्हें चटगांव कोर्ट में गिरफ्तार दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि चिन्मय के कोई भी वकील चटगांव कोर्ट में पेश नहीं हो पाए। अभियोजन पक्ष ने एकतरफा सुनवाई की। वकील भट्टाचार्य ने बताया कि दास के खिलाफ लगाए गए सारे आरोप झूठे हैं। सात महीने पहले उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
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सरकार कर रही दास की जमानत रोकने की कोशिश
चिन्मय दास बांग्लादेश सनातनी जागरण जोते के प्रवक्ता और इस्कॉन के पूर्व नेता हैं। उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया है और वे देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि उनके खिलाफ ध्वज के अपमान का कोई विशेष आरोप नहीं है। हमने दास के पक्ष में सभी दस्तावेजों के साथ बहस की, कोर्ट ने संतुष्ट होकर ही उन्हें जमानत दी थी। हम इस फैसले से खुश हैं। हमें उम्मीद है कि मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में आदेश पहुंचने के बाद उन्हें एक हफ्ते के अंदर चटगांव की जेल से रिहा कर दिया जाएगा। सरकार आदेश पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन दास के भाषण में देशद्रोह का कोई संकेत नहीं है और सात महीने के बाद भी पुलिस जांच रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई है।
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30 अप्रैल को मिली थी जमानत
30 अप्रैल को बांग्लादेश हाईकोर्ट ने चिन्मय दास को देशद्रोह के एक मामले में जमानत दे दी थी। जस्टिस अताउर रहमान और जस्टिस एमडी अली रजा की पीठ ने यह आदेश दिया था। जमानत के तुरंत बाद ही सरकार ने आदेश पर रोक लगाने के लिए चैंबर कोर्ट में अंक आवेदन दायर किया। चैंबर कोर्ट ने जमानत पर रोक नहीं लगाई, लेकिन सुनवाई की तारीख तय कर दी थी।
एकतरफा सुनवाई का आरोप
वहीं चिन्मय कृष्ण दास के वकील अपूर्बा कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि चिन्मय की रिहाई को रोकने के लिए हाई कोर्ट की जमानत के आदेश के बाद भी उन्हें चटगांव कोर्ट में गिरफ्तार दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि चिन्मय के कोई भी वकील चटगांव कोर्ट में पेश नहीं हो पाए। अभियोजन पक्ष ने एकतरफा सुनवाई की। वकील भट्टाचार्य ने बताया कि दास के खिलाफ लगाए गए सारे आरोप झूठे हैं। सात महीने पहले उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
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सरकार कर रही दास की जमानत रोकने की कोशिश
चिन्मय दास बांग्लादेश सनातनी जागरण जोते के प्रवक्ता और इस्कॉन के पूर्व नेता हैं। उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया है और वे देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि उनके खिलाफ ध्वज के अपमान का कोई विशेष आरोप नहीं है। हमने दास के पक्ष में सभी दस्तावेजों के साथ बहस की, कोर्ट ने संतुष्ट होकर ही उन्हें जमानत दी थी। हम इस फैसले से खुश हैं। हमें उम्मीद है कि मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में आदेश पहुंचने के बाद उन्हें एक हफ्ते के अंदर चटगांव की जेल से रिहा कर दिया जाएगा। सरकार आदेश पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन दास के भाषण में देशद्रोह का कोई संकेत नहीं है और सात महीने के बाद भी पुलिस जांच रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई है।
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