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Bangladesh General Election: 'इतिहास का सबसे कठिन चुनाव होगा', बांग्लादेश के चुनाव आयोग को हिंसा की आशंका
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 29 Aug 2025 09:34 PM IST
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सार
मुख्य चुनाव आयुक्त ए.एम.एम. नसीरुद्दीन ने अधिकारियों से पूरी पेशेवर निष्पक्षता बरतने की अपील की। उन्होंने सोशल मीडिया पर भ्रामक और झूठी सूचनाओं के प्रसार व संभावित कानून-व्यवस्था संकट से निपटने की तैयारी करने को कहा है। वहीं विश्लेषकों का कहना है कि आवामी लीग की गैर-मौजूदगी में चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।

बांग्लादेश का झंडा
- फोटो : ANI
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विस्तार
बांग्लादेश चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कहा कि अगले साल फरवरी में होने वाला आम चुनाव देश के इतिहास का सबसे जोखिम भरा चुनाव होगा। आयोग ने चुनाव अधिकारियों से अपील की है कि वे राजनीतिक अनिश्चितता और सामाजिक अशांति के बीच आने वाली अनजान चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें। यह बयान चुनाव आयोग ने उस रोडमैप जारी करने के एक दिन बाद दिया है, जिसमें कहा गया था कि मतदान की तारीख से कम से कम 60 दिन पहले चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा।
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चुनाव आयुक्तों की चेतावनी
चुनाव आयुक्त एम. अनवारुल इस्लाम सरकार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में कहा, 'आगामी आम चुनाव निस्संदेह बांग्लादेश के इतिहास का सबसे जोखिमभरा चुनाव होगा। हमें ऐसे हालात से भी जूझना पड़ सकता है, जिनकी अभी कल्पना भी नहीं की गई है।' एक अन्य आयुक्त अब्दुर रहमानेल मसूद ने कहा कि यह चुनाव जोखिमभरा होगा और अधिकारियों को सिर्फ कानून का पालन करना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि 'एक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को भीड़ ने जूतों की माला पहनाई थी, जबकि दूसरा जेल में है।'
चुनाव का राजनीतिक परिदृश्य
यह चुनाव विशेष रूप से अहम है क्योंकि अगस्त 2024 में शेख हसीना की आवामी लीग सरकार को हिंसक छात्र आंदोलन के कारण सत्ता से हटना पड़ा था। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बने। आवामी लीग पर गंभीर आरोपों के चलते उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है और पूर्व प्रधानमंत्री हसीना समेत पार्टी नेताओं पर अपराधों के मुकदमे चल रहे हैं।
अन्य राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
बीएनपी और कुछ वामपंथी दलों ने चुनाव आयोग का रोडमैप स्वागत योग्य बताया है। वहीं जमात-ए-इस्लामी ने इसे 'नकली खाका' बताया और चुनाव प्रक्रिया को असली लोकतांत्रिक नहीं माना। पार्टी नेता सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहेर ने यूनुस पर वादा तोड़ने का आरोप लगाया और आनुपातिक प्रतिनिधित्व लागू करने की मांग दोहराई। नेशनल सिटिजन पार्टी, जो एसएडी से जुड़ा नया दल है और यूनुस समर्थक माना जाता है, ने भी आपत्ति जताई। उसका कहना है कि मौजूदा संविधान के तहत चुनाव कराने से संकट गहरा सकता है। पार्टी नए संविधान के लिए संविधान सभा बनाने की मांग कर रही है और जुलाई चार्टर को लागू करने पर जोर दे रही है।
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बीएनपी का आत्मविश्वास, यूनुस का दावा
दूसरी ओर, बीएनपी ने उम्मीद जताई है कि जनता की इच्छाओं के अनुसार सब कुछ हो रहा है। बीएनपी नेता सलाहुद्दीन अहमद ने कहा, 'अब चुनाव पर किसी तरह के बेमानी सवाल उठने की गुंजाइश नहीं बची है।' प्रो. यूनुस ने पहले ही दावा किया था कि उनकी देखरेख में होने वाला चुनाव बांग्लादेश के इतिहास का सबसे बेहतरीन चुनाव साबित होगा।

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चुनाव आयुक्तों की चेतावनी
चुनाव आयुक्त एम. अनवारुल इस्लाम सरकार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में कहा, 'आगामी आम चुनाव निस्संदेह बांग्लादेश के इतिहास का सबसे जोखिमभरा चुनाव होगा। हमें ऐसे हालात से भी जूझना पड़ सकता है, जिनकी अभी कल्पना भी नहीं की गई है।' एक अन्य आयुक्त अब्दुर रहमानेल मसूद ने कहा कि यह चुनाव जोखिमभरा होगा और अधिकारियों को सिर्फ कानून का पालन करना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि 'एक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को भीड़ ने जूतों की माला पहनाई थी, जबकि दूसरा जेल में है।'
चुनाव का राजनीतिक परिदृश्य
यह चुनाव विशेष रूप से अहम है क्योंकि अगस्त 2024 में शेख हसीना की आवामी लीग सरकार को हिंसक छात्र आंदोलन के कारण सत्ता से हटना पड़ा था। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बने। आवामी लीग पर गंभीर आरोपों के चलते उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है और पूर्व प्रधानमंत्री हसीना समेत पार्टी नेताओं पर अपराधों के मुकदमे चल रहे हैं।
अन्य राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
बीएनपी और कुछ वामपंथी दलों ने चुनाव आयोग का रोडमैप स्वागत योग्य बताया है। वहीं जमात-ए-इस्लामी ने इसे 'नकली खाका' बताया और चुनाव प्रक्रिया को असली लोकतांत्रिक नहीं माना। पार्टी नेता सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहेर ने यूनुस पर वादा तोड़ने का आरोप लगाया और आनुपातिक प्रतिनिधित्व लागू करने की मांग दोहराई। नेशनल सिटिजन पार्टी, जो एसएडी से जुड़ा नया दल है और यूनुस समर्थक माना जाता है, ने भी आपत्ति जताई। उसका कहना है कि मौजूदा संविधान के तहत चुनाव कराने से संकट गहरा सकता है। पार्टी नए संविधान के लिए संविधान सभा बनाने की मांग कर रही है और जुलाई चार्टर को लागू करने पर जोर दे रही है।
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बीएनपी का आत्मविश्वास, यूनुस का दावा
दूसरी ओर, बीएनपी ने उम्मीद जताई है कि जनता की इच्छाओं के अनुसार सब कुछ हो रहा है। बीएनपी नेता सलाहुद्दीन अहमद ने कहा, 'अब चुनाव पर किसी तरह के बेमानी सवाल उठने की गुंजाइश नहीं बची है।' प्रो. यूनुस ने पहले ही दावा किया था कि उनकी देखरेख में होने वाला चुनाव बांग्लादेश के इतिहास का सबसे बेहतरीन चुनाव साबित होगा।