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Bangladesh Violence: 'भीड़ हिंसा के खिलाफ सभी एकजुट हों', बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने नागरिकों से की अपील
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 19 Dec 2025 05:31 PM IST
सार
अंतरिम सरकार की तरफ से बांग्लादेश में जारी हिंसा को लेकर कहा गया है कि देश इस समय एक अहम मोड़ पर खड़ा है और एक ऐतिहासिक लोकतांत्रिक परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजर रहा है। ऐसे में कुछ अराजक तत्वों को इस प्रक्रिया को पटरी से उतारने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
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मोहम्मद युनूस, बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख
- फोटो : ANI
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विस्तार
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश के नागरिकों से अपील की है कि वे हर तरह की भीड़ हिंसा (मॉब वायलेंस) का विरोध करें। यह अपील राजधानी ढाका में जुलाई आंदोलन के एक प्रमुख नेता हादी की गोली लगने के बाद मौत के कुछ दिनों बाद की गई है। सरकार ने कहा है कि ऐसी हिंसा कुछ गिने-चुने अराजक तत्वों की करतूत है और नए बांग्लादेश में इसके लिए कोई जगह नहीं है।
यह भी पढ़ें - Bangladesh Unrest: बांग्लादेश में बिगड़े हालात, हिंदू शख्स की मॉब लिंचिंग पर यूनुस सरकार बोली- बख्शेंगे नहीं
हिंदू व्यक्ति की मॉब लिंचिंग की सरकार ने की निंदा
अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने एक बयान जारी कर हाल ही में एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या की कड़ी निंदा की। मृतक की पहचान दीपू चंद्र दास के रूप में हुई है, जिन्हें मयमनसिंह शहर में कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने मार डाला और बाद में शव को आग लगा दी। सरकार ने साफ कहा कि इस जघन्य अपराध के दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
शांति का रास्ता अपनाएं - मुख्य सलाहकार
सरकार के मुख्य सलाहकार के प्रेस विंग की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'हम हिंसा, डराने-धमकाने, आगजनी और संपत्ति के नुकसान की हर घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।' सरकार ने लोगों से अपील की कि वे नफरत, उकसावे और हिंसा को पूरी तरह नकारें और शांति का रास्ता अपनाएं।
शुक्रवार के दिन नई हिंसा की कोई सूचना नहीं
हालांकि शुक्रवार को दिन में किसी नई हिंसा की सूचना नहीं मिली, लेकिन गुरुवार रात प्रदर्शनकारियों ने ढाका के धनमंडी इलाके में स्थित 32 नंबर मकान के पहले से ढहाए गए ढांचे में तोड़फोड़ की। यह मकान बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का पूर्व आवास था। इसके अलावा राजधानी में दो प्रमुख मीडिया संस्थानों के दफ्तरों पर भी हमला किया गया। चटगांव में सहायक भारतीय उच्चायोग के आवास पर भी पत्थर फेंके गए, हालांकि वहां कोई नुकसान नहीं हुआ। पुलिस ने हालात को काबू में करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया, लाठीचार्ज किया और 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
हमलों की अंतरिम सरकार ने की निंदा
अंतरिम सरकार ने मीडिया संस्थानों पर हुए हमलों की भी कड़ी निंदा की। बयान में कहा गया कि मीडिया पर हमला दरअसल स्वतंत्र प्रेस और सच पर हमला है, जो देश के लोकतांत्रिक भविष्य के लिए गंभीर खतरा है। सरकार ने मीडिया संस्थानों और पत्रकारों के प्रति समर्थन जताते हुए कहा कि उन्हें पूरा न्याय दिया जाएगा। बयान में यह भी कहा गया कि आने वाले चुनाव और जनमत संग्रह सिर्फ राजनीतिक प्रक्रिया नहीं हैं, बल्कि यह देश की एक गंभीर राष्ट्रीय प्रतिबद्धता हैं।
यह भी पढ़ें - Pakistan: उत्तरी वजीरिस्तान में सुरक्षा कैंप पर आतंकी हमला, जवाबी कार्रवाई में सभी पांच हमलावर ढेर
उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा
गौरतलब है कि उस्मान हादी, जो 12 फरवरी को होने वाले आम चुनावों के उम्मीदवार थे, को ढाका में नकाबपोश हमलावरों ने गोली मार दी थी। वे छह दिन तक सिंगापुर के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझते रहे, लेकिन अंततः उनकी मौत हो गई। हादी पिछले साल हुए 'जुलाई आंदोलन' के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिसके बाद शेख हसीना सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी। शेख हसीना, जो अगस्त में सत्ता से हटने के बाद देश छोड़कर चली गई थीं, फिलहाल भारत में हैं।
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हिंदू व्यक्ति की मॉब लिंचिंग की सरकार ने की निंदा
अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने एक बयान जारी कर हाल ही में एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या की कड़ी निंदा की। मृतक की पहचान दीपू चंद्र दास के रूप में हुई है, जिन्हें मयमनसिंह शहर में कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने मार डाला और बाद में शव को आग लगा दी। सरकार ने साफ कहा कि इस जघन्य अपराध के दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
शांति का रास्ता अपनाएं - मुख्य सलाहकार
सरकार के मुख्य सलाहकार के प्रेस विंग की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'हम हिंसा, डराने-धमकाने, आगजनी और संपत्ति के नुकसान की हर घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।' सरकार ने लोगों से अपील की कि वे नफरत, उकसावे और हिंसा को पूरी तरह नकारें और शांति का रास्ता अपनाएं।
शुक्रवार के दिन नई हिंसा की कोई सूचना नहीं
हालांकि शुक्रवार को दिन में किसी नई हिंसा की सूचना नहीं मिली, लेकिन गुरुवार रात प्रदर्शनकारियों ने ढाका के धनमंडी इलाके में स्थित 32 नंबर मकान के पहले से ढहाए गए ढांचे में तोड़फोड़ की। यह मकान बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का पूर्व आवास था। इसके अलावा राजधानी में दो प्रमुख मीडिया संस्थानों के दफ्तरों पर भी हमला किया गया। चटगांव में सहायक भारतीय उच्चायोग के आवास पर भी पत्थर फेंके गए, हालांकि वहां कोई नुकसान नहीं हुआ। पुलिस ने हालात को काबू में करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया, लाठीचार्ज किया और 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
हमलों की अंतरिम सरकार ने की निंदा
अंतरिम सरकार ने मीडिया संस्थानों पर हुए हमलों की भी कड़ी निंदा की। बयान में कहा गया कि मीडिया पर हमला दरअसल स्वतंत्र प्रेस और सच पर हमला है, जो देश के लोकतांत्रिक भविष्य के लिए गंभीर खतरा है। सरकार ने मीडिया संस्थानों और पत्रकारों के प्रति समर्थन जताते हुए कहा कि उन्हें पूरा न्याय दिया जाएगा। बयान में यह भी कहा गया कि आने वाले चुनाव और जनमत संग्रह सिर्फ राजनीतिक प्रक्रिया नहीं हैं, बल्कि यह देश की एक गंभीर राष्ट्रीय प्रतिबद्धता हैं।
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उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा
गौरतलब है कि उस्मान हादी, जो 12 फरवरी को होने वाले आम चुनावों के उम्मीदवार थे, को ढाका में नकाबपोश हमलावरों ने गोली मार दी थी। वे छह दिन तक सिंगापुर के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझते रहे, लेकिन अंततः उनकी मौत हो गई। हादी पिछले साल हुए 'जुलाई आंदोलन' के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिसके बाद शेख हसीना सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी। शेख हसीना, जो अगस्त में सत्ता से हटने के बाद देश छोड़कर चली गई थीं, फिलहाल भारत में हैं।
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