Bangladesh: आवामी लीग के 'ढाका लॉकडाउन' कार्यक्रम से पहले सुरक्षा कड़ी, राजधानी में 7,000 जवानों की बड़ी ड्रिल
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में पुलिस ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की भंग पार्टी आवामी लीग के ‘ढाका लॉकडाउन’ कार्यक्रम से पहले 7,000 जवानों के साथ 142 जगहों पर सुरक्षा ड्रिल की। डीएमपी ने इसे नियमित अभ्यास बताया, लेकिन अधिकारियों के मुताबिक यह संभावित हिंसा रोकने की तैयारी और चेतावनी दोनों है।
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बांग्लादेश में अगले साल 5 फरवरी को आम चुनाव होने है। राजनीतक पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी है। बांग्लादेश पुलिस ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अब भंग की जा चुकी पार्टी आवामी लीग द्वारा घोषित 'ढाका लॉकडाउन' कार्यक्रम से पहले राजधानी में बड़े पैमाने पर सुरक्षा अभ्यास (ड्रिल) किया। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) के करीब 7,000 जवानों ने 142 स्थानों पर यह ड्रिल की, जिनमें अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के निवास के आस-पास के इलाके भी शामिल थे। इसका उद्देश्य संभावित हिंसक विरोध प्रदर्शनों से निपटने की तैयारी करना था।
वहां मौजूद लोगों ने बताया कि पूरे ढाका में पुलिस की मौजूदगी बढ़ गई है, जिससे 13 नवंबर को कानून-व्यवस्था को लेकर आम लोगों में चिंता बढ़ गई है। वहीं पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह नियमित सुरक्षा अभ्यास है। शनिवार को दंगारोधी वर्दी, स्टील हेलमेट और बॉडी आर्मर पहने सैकड़ों पुलिसकर्मी मुख्य चौराहों पर तैनात थे। वे राहगीरों के बैग की जांच, पूछताछ, और संदिग्ध वाहनों की तलाशी लेते दिखे।
डीएमपी प्रवक्ता ने ड्रिल को बताया नियमित अभ्यास
वहीं डीएमपी प्रवक्ता मोहम्मद तालेबुर रहमान ने कहा कि हमारे नियमित ऑपरेशन में किसी भी आपात स्थिति के लिए त्वरित प्रतिक्रिया अभ्यास शामिल होता है। हालांकि, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह 'मेगा ड्रिल' न केवल पुलिस की समन्वय और तत्परता की जांच के लिए थी, बल्कि संभावित हिंसा को रोकने के लिए एक चेतावनी संदेश भी थी।
बता दें कि यह ड्रिल उस समय हुई जब सेना ने हाल ही में अपनी 60,000 में से आधी टुकड़ियां वापस बुला लीं, जो पिछले 15 महीनों से पुलिसिंग ड्यूटी पर थीं। सेना ने कहा कि सैनिकों को आराम और प्रशिक्षण की जरूरत है, लेकिन उन्होंने आगामी फरवरी चुनावों में पूरा सहयोग देने का वादा किया है।
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और आवामी लीग की बगावत
देखा जाए तो फिलहाल बांग्लादेश की राजनीति अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी जैसी पार्टियों के बीच भी मतभेद बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद, आवामी लीग के कार्यकर्ता गुप्त रूप से सड़क विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस ने अब तक 3,000 से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जहांगीर कबीर नानक ने 13 नवंबर को 'ढाका लॉकडाउन' आंदोलन की घोषणा की है। हालांकि, पुलिस ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि शनिवार की सुरक्षा तैनाती का इससे कोई संबंध है या नहीं।
बांग्लादेश में हिंसा, जिसने पलट दिया तख्त
गौरतलब है कि बांग्लादेश की धरती पर ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब बीते साल 5 अगस्त 2024 को छात्र आंदोलन ने हसीना सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इसके बाद हसीना भारत में शरण ले चुकी हैं, जबकि उनके कई नेता गिरफ्तार या फरार हैं। छात्र आंदोलनकारियों के नाम पर मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार की बागडोर संभाली और आवामी लीग को निलंबित कर दिया, जब तक कि उसके नेताओं, जिनमें हसीना भी शामिल हैं, पर लगे आरोपों पर न्याय नहीं हो जाता।