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Bangladesh: हिंसा के बीच क्यों चर्चा में 'रजाकार', क्या है इसका मतलब?; जानें कैसे हैं पड़ोसी मुल्क के हालात

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: पवन पांडेय Updated Sat, 20 Jul 2024 10:30 PM IST
सार

Bangladesh: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर भड़की हिंसा ने अब अलग रूप ले लिया है, प्रधानमंत्री शेख हसीना की प्रदर्शनकारी छात्रों पर की गई टिप्पणी के बाद हालात और बेकाबू हो गए, जिसकी वजह से देश में कर्फ्यू लगाया गया और स्कूल, इंटरनेट के साथ रेल सेवाएं ठप हैं। देश के सेना सड़कों पर उतर गई है, इतना ही नहीं किसी भी प्रदर्शनकारी को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी किए गए हैं।

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Bangladesh student protest, amid anti-government protests who is razakar, know the meaning of razakar
हिंसा के बीच क्यों चर्चा में 'रजाकार', क्या है इस शब्द का मतलब? - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बांग्लादेश में आरक्षण में बदलाव की मांग कर रहे छात्रों की तरफ से बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है। लेकिन ये विरोध-प्रदर्शन तब और हिंसक हो गया, जब प्रधानमंत्री शेख हसीना की तरफ से की गई टिप्पणी से छात्रों में गुस्सा भड़क गया। दरअसल एक सवाल के जवाब में पीएम शेख हसीना ने कहा कि नौकरियों की बात आती है तो क्या रजाकार के पोते-पोतियों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। पीएम शेख हसीना की इस टिप्पणी के बाद से नाराज छात्रों का प्रदर्शन और उग्र हो गया और वे 'मैं कौन, तुम कौन, रजाकार, रजाकार' के नारे लगाने शुरू कर दिए। जिसके बाद से उग्र हुए प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी संस्थानों में आग लगा दी गई। वहीं देश में बढ़ती हिंसा के कारण रेल सेवाएं रोक दी गई और इंटरनेट सेवाएं भी बंद की गई। देश में हिंसा का स्तर इतना बढ़ गया कि स्कूलों को बिना किसी सूचना के बंद कर दिया गया है। 
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बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर भड़की हिंसा - फोटो : PTI
बांग्लादेश में क्यों है आरक्षण पर विवाद?
दरअसल बांग्लादेश में 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिक और नायकों के पोते-पोतियों को सरकारी पद पर आरक्षण मिलता है। इनमें से कुछ पद महिलाओं (10 फीसदी आरक्षण) और दिव्यांगों के लिए भी आरक्षित है। 1971 के बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले सेनानियों के परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण का प्रावधान है। इस आरक्षण को लेकर छात्रों का मानना है कि ये भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इससे ज्यादा वेतन वाली सरकारी नौकरियों में भर्ती सिर्फ बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के सगे-संबंधियों को लाभ होता है। 
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हिंसा के बीच क्यों चर्चा में 'रजाकार' - फोटो : PTI
कौन है रजाकार?
अब ये जानना जरूरी है कि आखिरकार रजाकार कौन थे और उनका बांग्लादेश से क्या संबंध था। तो बता दें कि बांग्लादेश-पाकिस्तान विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान में रजाकार नाम की एक क्रूर सेना पाकिस्तान की तरफ से गठित की गई थी। दरअसल रजाकार शब्द का अर्थ हिंदी में सहायक होता है, और पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बंटवारे के खिलाफ कई पाकिस्तानी समर्थकों ने इस तरह की सेना बनाई थी। जिन्होंने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान बांग्लादेशियों के खिलाफ जमकर अत्याचार किया था। इस वजह से बांग्लादेश में रजाकार शब्द एक बेहद ही अपमानजनक शब्द है, जो देशद्रोही और हिंसक प्रवृत्ति के लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान रजाकारों ने ही पाकिस्तानी सेना के लिए जासूस का काम किया और बांग्लादेश के लोगों के मन में भय का माहौल पैदा किया था।

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बांग्लादेश हिंसा - फोटो : एएनआई
बांग्लादेश में फिलहाल कैसी है स्थिति?
रजाकार शब्द की एंट्री के बाद से बिगड़े हालात की वजह देश में राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगाया गया है। वहीं इस हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत और करीब तीन हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हिंसा की वजह से शिक्षण संस्थान, रेलवे, इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई है। प्रधानमंत्री शेख हसीना की तरफ से छात्रों के इस विरोध-प्रदर्शन और हिंसा पर लगाम लगाने के लिए सेना को भी तैनात किया गया है। इतना ही नहीं किसी भी प्रदर्शनकारी को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी किए गए हैं।
 

Bangladesh student protest, amid anti-government protests who is razakar, know the meaning of razakar
बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन और हिंसा - फोटो : एएनआई / रॉयटर्स
पहले कब हुआ विरोध, तब क्या हुआ था फैसला?
यह पहली बार नहीं है, जब बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है, इससे पहले साल 2018 में भी आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन के साथ हिंसा हुई थी। जिसके बाद सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए उच्च श्रेणी की नौकरियों में आरक्षण को रद्द कर दिया। जिसके बाद स्थिति सामान्य हुई। लेकिन इस साल पिछले महीने यानी जून की पांच तारीख को बांग्लादेश की हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया और सरकार के आरक्षण रद्द करने के फैसले को रद्द बताया। कोर्ट के इस फैसल के बाद फिर सरकारी नौकरियों में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के सगे-संबंधियों को आरक्षण मिलना फिर से लागू हुआ था।
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