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Bangladesh Violence: बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा, अलग-अलग जगहों पर उपद्रव; राजनीतिक कार्यालयों में आगजनी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sat, 06 Sep 2025 04:16 AM IST
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सार

बांग्लादेश में शुक्रवार को फिर हिंसा भड़क गई। एक ओर उग्र इस्लामी भीड़ ने सूफी दरवेश नूरा पगला की कब्र से शव निकालकर उसे जला दिया। वहीं दूसरी ओर गोनो अधिकार परिषद के कार्यकर्ताओं ने राजधानी ढाका के पुराना पलटन इलाके में जातीय पार्टी (जेपी) के कार्यालय में आग लगा दी गई।
 

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बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा। (फाइल) - फोटो : एएनआई
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बांग्लादेश में शुक्रवार को हिंसा की दो भयावह घटनाओं ने लोगों को हिलाकर रख दिया। एक ओर उग्र इस्लामी भीड़ ने एक आध्यात्मिक व्यक्ति के शव को जलाकर उनकी कब्र को अपवित्र कर दिया। वहीं दूसरी ओर एक अन्य समूह ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के सहयोगी जातीय पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आग लगा दी। 

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पुलिस और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, खुद को 'एकेश्वरवादी जनसमूह बताने वाले लोगों ने पश्चिमी राजबाड़ी जिले में जुमे की नमाज के बाद सूफी दरवेश नूरा पगला की कब्र से शव निकालकर उसे जला दिया और उनकी दरगाह में भी तोड़फोड़ की। यह सब पगला के निधन के लगभग दो सप्ताह बाद हुआ। 
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पगला के अनुयायियों-इस्लामी कट्टरपंथियों के बीच झड़प में एक व्यक्ति की मौत
इसके बाद नूरा पगला के अनुयायियों और इस्लामी कट्टरपंथियों के बीच झड़प हो गई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। झड़प के दौरान पुलिस की गाड़ियां और स्थानीय प्रशासनिक प्रमुख की गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि कम से कम 22 घायलों का इलाज स्थानीय सरकारी अस्पताल में किया गया, जबकि चार लोगों को गंभीर चोटों के कारण फरीदपुर के बड़े अस्पताल भेजा गया।

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हमले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन
घटना के बाद, अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने बयान जारी कर हमले के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। साथ ही कहा कि यह हमला 'अमानवीय और निंदनीय' है।

जेपी के कार्यालय को किया आग के हवाले 
दूसरी घटना में, शुक्रवार शाम राजधानी ढाका के पुराना पलटन इलाके में जातीय पार्टी (जेपी) के कार्यालय में आग लगा दी गई। यह घटना उस समय हुई, जब एक हफ्ता पहले गोनो अधिकार परिषद के नेता नूरुल हक नूर सेना और पुलिस की कार्रवाई में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। गोनो अधिकार परिषद उस आंदोलन से जुड़ा हुआ है जिसे 'जुलाई विद्रोह' कहा गया था और जिसने 5 अगस्त 2024 को हसीना सरकार को गिरा दिया था।

सेना-पुलिस ने गोनो अधिकार परिषद के कार्यकर्ताओं को खदेड़ा था
पिछले हफ्ते सेना और पुलिस ने परिषद के कार्यकर्ताओं को लाठी और बांस से खदेड़ा था। अगले दिन अंतरिम सरकार की ओर से जारी बयान में इसे 'निर्दयी कार्रवाई' कहा गया। सरकार ने कहा था, 'ऐसे हिंसक कृत्य केवल नूर पर हमला नहीं हैं, बल्कि यह उस लोकतांत्रिक आंदोलन की भावना पर हमला है, जिसने न्याय और जवाबदेही के लिए देश को एकजुट किया।'

ढाका पुलिस ने परिषद के कार्यकर्ताओं को ठहराया जिम्मेदार
ढाका पुलिस का कहना है कि शुक्रवार शाम जेपी कार्यालय में आगजनी गोनो अधिकार परिषद के कार्यकर्ताओं ने की। लेकिन संगठन के महासचिव राशेद खान ने इन आरोपों को खारिज कर कहा कि उन्हें नहीं पता कि हमला किसने किया। हालांकि, खान ने साथ ही यह भी कहा कि जेपी, अवामी लीग की सहयोगी पार्टी है और 'नरसंहार में शामिल' रही है। उनका कहना था कि हालात टल सकते थे, अगर सरकार ने इस पार्टी पर प्रतिबंध लगाया होता और इसके अध्यक्ष जीएम कादर को गिरफ्तार किया होता।

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कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का किया इस्तेमाल
ढाका के उप पुलिस आयुक्त मसूद आलम ने बताया कि गोनो अधिकार परिषद के कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने तीन साउंड ग्रेनेड फेंके और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आगजनी से ठीक पहले पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जमात-ए-इस्लामी और उसके सहयोगी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने पास में रैली की थी। हालांकि, इस घटना पर न तो अंतरिम सरकार और न ही यूनुस के कार्यालय ने कोई प्रतिक्रिया दी। पिछले शुक्रवार की तुलना में इस बार सेना ने हिंसा की जगह से दूरी बनाए रखी।

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