{"_id":"686fcfdcc7298526910674af","slug":"bangladesh-witnessed-2-442-communal-violence-incidents-in-330-days-minority-body-2025-07-10","type":"story","status":"publish","title_hn":"Bangladesh: बांग्लादेश में एक साल में करीब ढाई हजार सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं, अल्पसंख्यक निकाय का दावा","category":{"title":"World","title_hn":"दुनिया","slug":"world"}}
Bangladesh: बांग्लादेश में एक साल में करीब ढाई हजार सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं, अल्पसंख्यक निकाय का दावा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 10 Jul 2025 08:06 PM IST
सार
Violence In Bangladesh: बांग्लादेश में 4 अगस्त 2024 से लेकर अब तक करीब ढाई हजार सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं हैं। बता दें कि, 5 अगस्त को ही देश में शेख हसीना सरकार के 21 साल के शासन का पतन हुआ था।
विज्ञापन
सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : ANI
विज्ञापन
विस्तार
बांग्लादेश में पिछले एक साल के दौरान अल्पसंख्यकों के खिलाफ भारी संख्या में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। एक प्रमुख अल्पसंख्यक संगठन 'हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद' ने गुरुवार को बताया कि 4 अगस्त 2024 से शुरू होकर अगले 330 दिनों के भीतर कुल 2,442 हिंसक घटनाएं हुईं। यह समय वही था जब देश में राजनीतिक अस्थिरता चरम पर थी और इस उथल-पुथल के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा।
यह भी पढ़ें - Ukraine Peace Talks: संघर्ष विराम की कोशिश या रणनीतिक खेल..., US-रूस की बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
सबसे ज्यादा हिंसा अगस्त 2024 में हुई
परिषद के मुताबिक, इनमें से अधिकतर घटनाएं 4 अगस्त से 20 अगस्त 2024 के बीच घटीं, जब देश में भारी राजनीतिक तनाव था। इन घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को निशाना बनाया गया। परिषद के बयान में कहा गया कि हिंसा की प्रकृति बेहद गंभीर थी, जिसमें हत्या और सामूहिक दुष्कर्म, मंदिरों, चर्चों और अन्य पूजा स्थलों पर हमले, घरों और दुकानों पर कब्जे के साथ-साथ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना व संगठनों से अल्पसंख्यकों को जबरन बाहर करना शामिल है।
अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप
परिषद का कहना है कि अंतरिम सरकार इन घटनाओं को स्वीकार करने से इनकार कर रही है और उन्हें राजनीतिक साजिश बताकर नजरअंदाज कर रही है। इसी कारण, ज्यादातर मामलों में आरोपियों के खिलाफ कोई सजा नहीं हुई। वहीं परिषद के वरिष्ठ नेता नरमल रोसारियो ने कहा कि वर्तमान सरकार की तरफ से चलाए जा रहे सुधार कार्यक्रमों में अल्पसंख्यकों को शामिल नहीं किया गया, जो सबसे दुखद बात है। उन्होंने कहा, 'हम सबके साथ मिलकर चलना चाहते हैं।'
यह भी पढ़ें - UK Intelligence Committee: ब्रिटेन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ईरान, संसदीय खुफिया रिपोर्ट में दी चेतावनी
परिषद के एक अन्य नेता निमचंद्र भौमिक ने कहा, 'समाज में इस तरह का विभाजन किसी के लिए भी अच्छा नहीं है।' कार्यकारी महासचिव मनींद्र कुमार नाथ ने साफ शब्दों में कहा, 'सरकार अल्पसंख्यकों के दमन की घटनाओं को नजरअंदाज कर रही है। हम न्याय की मांग करते हैं।'
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति
2022 की जनगणना के अनुसार बांग्लादेश में हिंदू- 7.95%, बौद्ध- 0.61%, ईसाई- 0.30%, अन्य- 0.12 फीसदी है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय बड़ी संख्या में हैं, लेकिन उन्हें बराबरी का दर्जा और सुरक्षा नहीं मिल रही है। परिषद ने अंत में सरकार से मांग की कि इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।
Trending Videos
यह भी पढ़ें - Ukraine Peace Talks: संघर्ष विराम की कोशिश या रणनीतिक खेल..., US-रूस की बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
विज्ञापन
विज्ञापन
सबसे ज्यादा हिंसा अगस्त 2024 में हुई
परिषद के मुताबिक, इनमें से अधिकतर घटनाएं 4 अगस्त से 20 अगस्त 2024 के बीच घटीं, जब देश में भारी राजनीतिक तनाव था। इन घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को निशाना बनाया गया। परिषद के बयान में कहा गया कि हिंसा की प्रकृति बेहद गंभीर थी, जिसमें हत्या और सामूहिक दुष्कर्म, मंदिरों, चर्चों और अन्य पूजा स्थलों पर हमले, घरों और दुकानों पर कब्जे के साथ-साथ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना व संगठनों से अल्पसंख्यकों को जबरन बाहर करना शामिल है।
अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप
परिषद का कहना है कि अंतरिम सरकार इन घटनाओं को स्वीकार करने से इनकार कर रही है और उन्हें राजनीतिक साजिश बताकर नजरअंदाज कर रही है। इसी कारण, ज्यादातर मामलों में आरोपियों के खिलाफ कोई सजा नहीं हुई। वहीं परिषद के वरिष्ठ नेता नरमल रोसारियो ने कहा कि वर्तमान सरकार की तरफ से चलाए जा रहे सुधार कार्यक्रमों में अल्पसंख्यकों को शामिल नहीं किया गया, जो सबसे दुखद बात है। उन्होंने कहा, 'हम सबके साथ मिलकर चलना चाहते हैं।'
यह भी पढ़ें - UK Intelligence Committee: ब्रिटेन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ईरान, संसदीय खुफिया रिपोर्ट में दी चेतावनी
परिषद के एक अन्य नेता निमचंद्र भौमिक ने कहा, 'समाज में इस तरह का विभाजन किसी के लिए भी अच्छा नहीं है।' कार्यकारी महासचिव मनींद्र कुमार नाथ ने साफ शब्दों में कहा, 'सरकार अल्पसंख्यकों के दमन की घटनाओं को नजरअंदाज कर रही है। हम न्याय की मांग करते हैं।'
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति
2022 की जनगणना के अनुसार बांग्लादेश में हिंदू- 7.95%, बौद्ध- 0.61%, ईसाई- 0.30%, अन्य- 0.12 फीसदी है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय बड़ी संख्या में हैं, लेकिन उन्हें बराबरी का दर्जा और सुरक्षा नहीं मिल रही है। परिषद ने अंत में सरकार से मांग की कि इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get latest World News headlines in Hindi related political news, sports news, Business news all breaking news and live updates. Stay updated with us for all latest Hindi news.
विज्ञापन
विज्ञापन