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बेनजीर मानती थीं: पूर्वी पाकिस्तान में हुई जनादेश की अनदेखी, यहीं से फूटा था 'अलगाव' का बीज
न्यूज डेस्क, नई दिल्ली
Published by: अनिल पांडेय
Updated Tue, 15 Jun 2021 10:34 PM IST
सार
1947 में अंग्रेजों ने भारत के तीन हिस्से किए थे। पूर्व में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिम में पश्चिमी पाकिस्तान। शेष हिस्सा आज का भारत है।
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बेनजीर भुट्टो
- फोटो : File
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विस्तार
बांग्लादेश के गठन के बारे में हमने कई खबरें पढ़ीं हैं, जिसमें पाकिस्तान द्वारा बंगालियों के दमन, अराजकता और हिंसा के किस्से हैं। हालांकि पाकिस्तान ने कभी यह नहीं स्वीकारा कि उसने पूर्वी पाकिस्तान में किसी भी प्रकार का अत्याचार किया था। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के विचार इससे अलग थे। अपनी आत्मकथा 'डॉटर ऑफ द ईस्ट' (पूर्व की बेटी) में उन्होंने इस बारे में विस्तार से लिखा था।
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अपनी आत्मकथा में बेनजीर ने लिखा है कि पूर्वी पाकिस्तान में लोकतंत्र और जनादेश की लगातार अनदेखी की जा रही थी। बहुसंख्यक बंगालियों को पाकिस्तान द्वारा एक उपनिवेश की तरह रखा जा रहा था।
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पूर्वी पाकिस्तान की कमाई से पश्चिमी पाकिस्तान में सड़कें, स्कूल, यूनिवर्सिटी और अस्पताल बनाए जा रहे थे। और तो और पूर्वी पाकिस्तान में विकास की कोई गति नहीं दिख रही थी। सेना जो कि पाकिस्तान की सबसे अधिक रोजगार देने वाली संस्था रही, उसमें नब्बे प्रतिशत भर्तियां पश्चिमी पाकिस्तान से की जाती थीं। सरकारी कार्यालयों की 80 प्रतिशत नौकरियां पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों को मिलती थीं।
पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार ने उर्दू को राष्ट्रीय भाषा घोषित कर दिया था, जबकि पूर्वी पाकिस्तान में कुछ ही लोग यह भाषा जानते थे। इस वजह से भी बांग्लाभाषी सरकारी नौकरियों में नहीं जा पाते थे। इससे वो खुद को शोषित और वंचित महसूस करने लगे थे। इसी बीच चुनाव जीत चुके नेता मुजीबुर्रहमान ने पूर्वी पाकिस्तान के लिए स्वायत्तता की मांग की।
लेकिन इस पर विचार करने या फिर बातचीत के जरिये कोई हल निकालने के बजाय पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्य शासक याहया खान ने दमन का रास्ता अपनाया। बकौल बेनजीर उनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो ने सैन्य कार्रवाई को एक नासमझ जनरल की फौजी सोच कहा था। उस समय बेनजीर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थीं।
उन्होंने लिखा है कि कराची से उन्हें परिवार और दोस्तों की जो चिट्ठियां मिलती थीं, उनमें पाकिस्तानी मीडिया की खामोशी का उल्लेख भी रहता था। पाकिस्तानी लोगों को अखबार, रेडियो और टीवी से यही जानकारी मिल रही थी कि वो पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध जीत चुके हैं, जबकि बीबीसी पर यह खबर आती थी कि पाकिस्तान मुंह की खा चुका है।
इसके बाद के घटनाक्रम से पूरी दुनिया वाकिफ है। दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नाम से एक नए देश का उदय हुआ। 20 दिसंबर 1971 को याहया खान को अपना पद छोड़ना पड़ा और जुल्फिकार अली भुट्टो को पाकिस्तान का नया राष्ट्रपति बनाया गया। वो अगस्त 1973 तक इस पद पर रहे।
बेनजीर और सियासत का संक्षिप्त परिचय
बेनजीर भुट्टो का जन्म 21 जून 1953 को पाकिस्तान के बहावलपुर में एक जमींदार परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने पिता जुल्फिकार अली भुट्टो की सियासी विरासत संभालते हुए पाकिस्तान की उथलपुथल भरी राजनीति में प्रवेश किया था तथा वर्ष 1988 में पहली बार देश की प्रधानमंत्री बनी थीं।
उनका कार्यकाल पूरा नहीं हो सका और 20 महीने बाद ही उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में इस पद से हटा दिया गया। 1993 में वह दूसरी बार देश की प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन वर्ष 1996 में उन्हें इस पद से फिर हटना पड़ा। इसके बाद कुछ वर्षों तक वो स्वनिर्वासन में रहीं। 27 दिसंबर 2007 को पाकिस्तान में एक चुनाव रैली के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी।