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India-US Ties: 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-अमेरिका के लिए चीन से सबसे बड़ा खतरा', अमेरिकी विशेषज्ञ का दावा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 13 Feb 2025 07:56 AM IST
सार
India-US Ties: पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर दुनिया भर की नजरें हैं, क्योंकि अपने तीसरे कार्यकाल और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से दूसरे कार्यकाल में दोनों नेताओं की पहली मुलाकात है। वहीं ट्रंप की तरफ से दुनिया के तमाम देशों पर लगाए टैरिफ से सभी की हालत खस्ता है। फिलहाल अमेरिकी राष्ट्रपति के कड़े फैसलों से अभी तक भारत में कोई भी असर नहीं पड़ा है।
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रिचर्ड रोसो, भारत और उभरते एशिया अर्थशास्त्र के अध्यक्ष
- फोटो : ANI
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विस्तार
अमेरिका के सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में भारत और उभरते एशिया अर्थशास्त्र के अध्यक्ष रिचर्ड रोसो ने कहा है कि भारत और अमेरिका दोनों इस बात को समझते हैं कि चीन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सबसे बड़ा खतरा है। इसके साथ ही, दोनों देश इस बात को लेकर चिंतित हैं कि नई और महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी के लिए चीन पर ज्यादा निर्भरता खतरनाक हो सकती है।
'दोनों देशों की चिंताओं का केंद्र अलग-अलग'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बैठक से पहले रिचर्ड रोसो ने कहा कि दोनों देशों की चिंताओं का मुख्य केंद्र थोड़ा अलग है - भारत के लिए मुख्य चिंता उसकी सीमा और हिंद महासागर क्षेत्र है, जबकि अमेरिका के लिए ताइवान स्ट्रेट, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर ज्यादा अहम हैं।
व्यापार को लेकर अमेरिका का रुख क्या रहेगा?
रिचर्ड रोसो ने यह भी कहा कि यह देखना अहम होगा कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत में उत्पादन निवेश को बढ़ाने में मदद करेंगे या अमेरिका में ही निवेश लाने पर जोर देंगे। अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों को लेकर उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के अच्छे संबंध हैं, लेकिन ट्रंप के पिछले कार्यकाल में व्यापार को लेकर कुछ तनाव भी थे। उन्होंने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने कई देशों पर टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ाने की धमकी दी थी, लेकिन भारत को अब तक कुछ हद तक इससे राहत मिली है।
पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की बैठक से क्या उम्मीद?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निमंत्रण पर अमेरिका दौरे पर जा रहे हैं। इससे पहले उन्होंने फ्रांस की तीन दिवसीय यात्रा पूरी की। यह पीएम मोदी की डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में पहली अमेरिका यात्रा होगी। बता दें कि, अपने अमेरिकी दौरे पर रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा, 'डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में हमने भारत-अमेरिका संबंधों को एक 'व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी' के स्तर तक पहुंचाया। अब इस यात्रा के दौरान हम इस सहयोग को और आगे बढ़ाने पर काम करेंगे।' इस दौरे में तकनीक, व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और सप्लाई चेन मजबूत करने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
इससे पहले, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था और अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की थी। जिसके बाद उन्होंने क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में भी भाग लिया था।
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'दोनों देशों की चिंताओं का केंद्र अलग-अलग'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बैठक से पहले रिचर्ड रोसो ने कहा कि दोनों देशों की चिंताओं का मुख्य केंद्र थोड़ा अलग है - भारत के लिए मुख्य चिंता उसकी सीमा और हिंद महासागर क्षेत्र है, जबकि अमेरिका के लिए ताइवान स्ट्रेट, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर ज्यादा अहम हैं।
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व्यापार को लेकर अमेरिका का रुख क्या रहेगा?
रिचर्ड रोसो ने यह भी कहा कि यह देखना अहम होगा कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत में उत्पादन निवेश को बढ़ाने में मदद करेंगे या अमेरिका में ही निवेश लाने पर जोर देंगे। अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों को लेकर उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के अच्छे संबंध हैं, लेकिन ट्रंप के पिछले कार्यकाल में व्यापार को लेकर कुछ तनाव भी थे। उन्होंने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने कई देशों पर टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ाने की धमकी दी थी, लेकिन भारत को अब तक कुछ हद तक इससे राहत मिली है।
पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की बैठक से क्या उम्मीद?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निमंत्रण पर अमेरिका दौरे पर जा रहे हैं। इससे पहले उन्होंने फ्रांस की तीन दिवसीय यात्रा पूरी की। यह पीएम मोदी की डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में पहली अमेरिका यात्रा होगी। बता दें कि, अपने अमेरिकी दौरे पर रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा, 'डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में हमने भारत-अमेरिका संबंधों को एक 'व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी' के स्तर तक पहुंचाया। अब इस यात्रा के दौरान हम इस सहयोग को और आगे बढ़ाने पर काम करेंगे।' इस दौरे में तकनीक, व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और सप्लाई चेन मजबूत करने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
इससे पहले, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था और अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की थी। जिसके बाद उन्होंने क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में भी भाग लिया था।
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