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'फर्जी अकाउंट्स, दूतावासों के जरिए दुष्प्रचार': चीन कैसे कर रहा राफेल को बदनाम? फ्रांस की एजेंसी का खुलासा
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 07 Jul 2025 08:34 PM IST
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सार

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राफेल फाइटर जेट के दुष्प्रचार में जुटा रहा चीन, फ्रांसीसी खुफिया एजेंसी की जांच में दावा।
- फोटो :
अमर उजाला
विस्तार
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने आज से ठीक दो महीने पहले ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। अपने इस ऑपरेशन के जरिए भारत ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इतना ही नहीं, जब पाकिस्तान ने इस हमले के जवाब में भारत को प्रतिक्रिया देने की कोशिश की तो भारत ने उसके एयरबेस पर सटीक निशाने लगाकर उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया। इस पूरे संघर्ष के तीन दिन में भारत ने साबित कर दिया कि वह पाकिस्तान की किसी भी हरकत का माकूल जवाब देने के लिए हर वक्त तैयार है।इस पूरे घटनाक्रम में 7 मई की तारीख ऐसी थी, जब भारत की तरफ से आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने की शुरुआत की गई थी। उस दौरान पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों को बचाने के लिए भारत के खिलाफ हमले कर दिए और भारत के लड़ाकू विमानों को निशान बनाने की कोशिश की। इनमें कुछ विमानों को नुकसान भी हुआ। हालांकि, न तो भारत का कोई पायलट हताहत हुआ और न ही किसी लड़ाकू विमान के तबाह होने की खबर है। इसके बावजूद चीन और पाकिस्तान की मीडिया ने बिना सबूत दिए दावा किया कि उसने राफेल समेत भारत के छह फाइटर जेट मार गिराए। इसके जवाब में भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान के एयरबेसों को निशाना बनाने से जुड़ी सैटेलाइट तस्वीरें जारी कीं, बल्कि उसके कई विमानों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं का भी जिक्र किया।
हालांकि, इसके बावजूद चीन-पाकिस्तान ने तब चीनी फाइटर जेट द्वारा भारत के राफेल को मार गिराने का दावा जारी रखा। अब सामने आया है कि कोई सबूत न होने के बावजूद चीन ने अपने लड़ाकू विमानों को प्रचारित करने के लिए राफेल के खिलाफ जबरदस्त झूठा प्रचार किया। फ्रांस की खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, चीन ने इस काम के लिए अपने दूतावासों को भी काम पर लगा दिया।
चीन ने कैसे किया राफेल के खिलाफ दुष्प्रचार?
फ्रांसीसी खुफिया सेवा की तरफ से राफेल लड़ाकू विमानों के खिलाफ चलाए जा रहे प्रचार अभियान को लेकर गहन जांच की गई। इसमें सामने आया है कि....
चीन ने कैसे किया राफेल के खिलाफ दुष्प्रचार?
फ्रांसीसी खुफिया सेवा की तरफ से राफेल लड़ाकू विमानों के खिलाफ चलाए जा रहे प्रचार अभियान को लेकर गहन जांच की गई। इसमें सामने आया है कि....

फ्रांस के खुफिया विभाग की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ड्रैगन की कोशिश थी कि इंडोनेशिया जो कि राफेल को खरीदने का समझौता कर चुका है, वह फ्रांस से और विमान न खरीदे। साथ ही वह देश जो राफेल खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, वह भी राफेल की जगह चीन के लड़ाकू विमानों को खरीदें।
फ्रांस की खुफिया एजेंसियों की जांच में सामने आया कि चीन और पाकिस्तान की तरफ ऑनलाइन जो झूठे दावे चलाए गए, उन्हें ही चीन के दुनियाभर में मौजूद दूतावासों में तैनात रक्षा अताशे की तरफ फैलाया गया। इन रक्षा अताशे ने इसके लिए तैनाती वाले देशों में सुरक्षा और रक्षा बल से जुड़े अधिकारियों से मुलाकात की और दावा किया कि भारतीय वायुसेना के पास मौजूद राफेल लड़ाकू विमानों ने खराब प्रदर्शन किया। इस दौरान चीन ने इन देशों को अपने हथियारों की पेशकश की। फ्रांस की खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, उसे चीनी अधिकारियों की इन बैठकों और चर्चाओं की सूचना उन देशों से मिली, जहां चीनी अधिकारी लॉबिंग करने में जुटे थे।
फ्रांस की खुफिया एजेंसियों की जांच में सामने आया कि चीन और पाकिस्तान की तरफ ऑनलाइन जो झूठे दावे चलाए गए, उन्हें ही चीन के दुनियाभर में मौजूद दूतावासों में तैनात रक्षा अताशे की तरफ फैलाया गया। इन रक्षा अताशे ने इसके लिए तैनाती वाले देशों में सुरक्षा और रक्षा बल से जुड़े अधिकारियों से मुलाकात की और दावा किया कि भारतीय वायुसेना के पास मौजूद राफेल लड़ाकू विमानों ने खराब प्रदर्शन किया। इस दौरान चीन ने इन देशों को अपने हथियारों की पेशकश की। फ्रांस की खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, उसे चीनी अधिकारियों की इन बैठकों और चर्चाओं की सूचना उन देशों से मिली, जहां चीनी अधिकारी लॉबिंग करने में जुटे थे।

गौरतलब है कि भारत ने यह कबूल किया है कि उसके कुछ एयरक्राफ्ट को नुकसान पहुंचा है, लेकिन इनकी संख्या नहीं बताई गई। फ्रांस के वायुसेना प्रमुख जनरल जेरोम बेलैंगर के मुताबिक, उन्होंने जो सबूत देखे हैं, उसके मुताबिक भारत को सिर्फ तीन लड़ाकू विमानों का नुकसान हुआ है। एक फ्रांस का बना राफेल, एक रूस निर्मित सुखोई और एक फ्रांस का पुराना जेट- मिराज 2000। फ्रांस के रक्षा मंत्रालय ने भी कहा है कि राफेल को एक झूठ फैलाने वाले अभियान के तहत निशाना बनाया गया, जो कि चीनी बनावट के हथियारों को विकल्प के तौर पर दर्शाने की बड़ी कोशिश था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान और चीन की तरफ से चलाए जा रहे आधारहीन ऑनलाइन अभियान से निपटने के लिए फ्रांस ने भी कोशिशें शुरू कर दी हैं। हालांकि, चीन ने झूठ फैलाने वाले अभियानों को वैश्विक स्तर तक शुरू कर दिया है। वह सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, वेबसाइट्स के जरिए अपने प्रोपगैंडा को एक्स, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर खुलकर फैलाता है। इसके लिए फर्जी मीडिया प्लेटफॉर्म्स का भी इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है। इसके अलावा बीजिंग के झूठे परिप्रेक्ष्य को फेक सोशल मीडिया अकाउंट्स से भी चलाया जाा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान और चीन की तरफ से चलाए जा रहे आधारहीन ऑनलाइन अभियान से निपटने के लिए फ्रांस ने भी कोशिशें शुरू कर दी हैं। हालांकि, चीन ने झूठ फैलाने वाले अभियानों को वैश्विक स्तर तक शुरू कर दिया है। वह सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, वेबसाइट्स के जरिए अपने प्रोपगैंडा को एक्स, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर खुलकर फैलाता है। इसके लिए फर्जी मीडिया प्लेटफॉर्म्स का भी इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है। इसके अलावा बीजिंग के झूठे परिप्रेक्ष्य को फेक सोशल मीडिया अकाउंट्स से भी चलाया जाा है।
राफेल के जरिए फ्रांस के रक्षा उद्योग को नुकसान पहुंचाने की कोशिश
फ्रांस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान की तरफ से राफेल को चुनकर निशाने पर लिया गया है। दरअसल, यह एक जबरदस्त क्षमता वाला लड़ाकू विमान है, जिसे जंग के क्षेत्र में काफी कारगर माना जाता है। इसे निशाना बनाने की एक वजह यह रही कि यह फ्रांस की कूटनीतिक काबिलियत का भी प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में सीधे राफेल को निशाना बनाकर कुछ जगहों से फ्रांस, उसके रक्षा उद्योग औ उसके तकनीकी आधार को ही चोट पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। गलत जानकारी वाला पूरा अभियान सिर्फ एक लड़ाकू विमान को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि फ्रांस की कूटनीतिक स्वायत्तता, औद्योगिक विश्वसनीयता और ठोस साझेदारी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए चलाया गया।
Rafale: राफेल लड़ाकू विमान को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार कर रहा चीन, फ्रांसीसी खुफिया रिपोर्ट में दावा
फ्रांस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान की तरफ से राफेल को चुनकर निशाने पर लिया गया है। दरअसल, यह एक जबरदस्त क्षमता वाला लड़ाकू विमान है, जिसे जंग के क्षेत्र में काफी कारगर माना जाता है। इसे निशाना बनाने की एक वजह यह रही कि यह फ्रांस की कूटनीतिक काबिलियत का भी प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में सीधे राफेल को निशाना बनाकर कुछ जगहों से फ्रांस, उसके रक्षा उद्योग औ उसके तकनीकी आधार को ही चोट पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। गलत जानकारी वाला पूरा अभियान सिर्फ एक लड़ाकू विमान को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि फ्रांस की कूटनीतिक स्वायत्तता, औद्योगिक विश्वसनीयता और ठोस साझेदारी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए चलाया गया।
Rafale: राफेल लड़ाकू विमान को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार कर रहा चीन, फ्रांसीसी खुफिया रिपोर्ट में दावा
अब तक दुनिया को कितने राफेल बेच चुका है दसौ एविएशन?
राफेल की निर्माता कंपनी दसौ अब तक 533 राफेल लड़ाकू विमान बेच चुकी है। इनमें 323 का निर्यात किया गया है। इन्हें लेने वाले देशों में मिस्र, भारत, कतर, ग्रीस, क्रोएशिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सर्बिया और इंडोनेशिया प्रमुख हैं। इंडोनेशिया राफेल का सबसे ताजा खरीदार है और उसने 42 जेट्स का ऑर्डर दिया है। वह इन लड़ाकू विमानों के और ऑर्डर देने पर विचार कर रहा है।
राफेल की निर्माता कंपनी दसौ अब तक 533 राफेल लड़ाकू विमान बेच चुकी है। इनमें 323 का निर्यात किया गया है। इन्हें लेने वाले देशों में मिस्र, भारत, कतर, ग्रीस, क्रोएशिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सर्बिया और इंडोनेशिया प्रमुख हैं। इंडोनेशिया राफेल का सबसे ताजा खरीदार है और उसने 42 जेट्स का ऑर्डर दिया है। वह इन लड़ाकू विमानों के और ऑर्डर देने पर विचार कर रहा है।
चीन की राफेल के खिलाफ प्रोपगैंडा फैलाने की कोशिशों पर क्या बोले विशेषज्ञ?
ब्रिटेन में रक्षा और सुरक्षा मामलों के थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट में एयरपावर एक्सपर्ट जस्टिन ब्रॉन्क ने कहा कि चीन उस सुरक्षा रिश्तों को तोड़ने की उम्मीद कर रहा है, जो कि फ्रांस ने एशियाई देशों के साथ बनाए हैं। वह फ्रांस के उपकरणों को लेकर चिंताएं पैदा करने और इन्हें फैलाने के प्रयास कर रहा है। दरअसल, चीन यह भी जताना चाहता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पश्चिमी देशों का प्रभाव सीमित है। खासकर चीनी हथियारों के सामने। इसलिए वह राफेल पर झूठे मुद्दे उठाकर क्षेत्र में फ्रांस की छवि और उसकी राफेल की बिक्री को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में है।
ब्रिटेन में रक्षा और सुरक्षा मामलों के थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट में एयरपावर एक्सपर्ट जस्टिन ब्रॉन्क ने कहा कि चीन उस सुरक्षा रिश्तों को तोड़ने की उम्मीद कर रहा है, जो कि फ्रांस ने एशियाई देशों के साथ बनाए हैं। वह फ्रांस के उपकरणों को लेकर चिंताएं पैदा करने और इन्हें फैलाने के प्रयास कर रहा है। दरअसल, चीन यह भी जताना चाहता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पश्चिमी देशों का प्रभाव सीमित है। खासकर चीनी हथियारों के सामने। इसलिए वह राफेल पर झूठे मुद्दे उठाकर क्षेत्र में फ्रांस की छवि और उसकी राफेल की बिक्री को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में है।