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चीन की अगली चाल क्या होगी, इसके संकेत अगले हफ्ते मिलने की आशा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 22 Feb 2021 05:17 PM IST
सार

चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च के आरंभ में होने शुरू होने वाले इस अधिवेशन के जरिए चीन सरकार अपनी ताकत और सफलताओं का बखान दुनिया के सामने करेगी। इस वर्ष चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के सौ साल पूरे हो रहे हैं...

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China is preparing for the next session of the National Peoples Congress in March, will reveal its strengths and successes to the world
Central Committee of the Communist Party of China (CPC) - फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
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चीन में इन दिनों नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के अगले अधिवेशन की तैयारी जोरों पर है। वैसे चीन की संसद का अधिवेशन हर साल होता है, लेकिन इस बार इस पर दुनिया की खास निगाहें हैं। इस बार इसमें चीन की अगली पंचवर्षीय योजना के साथ-साथ अमेरिका से जारी प्रतिद्वंद्विता के मामले में चीन की रणनीति को भी अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।

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चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च के आरंभ में होने शुरू होने वाले इस अधिवेशन के जरिए चीन सरकार अपनी ताकत और सफलताओं का बखान दुनिया के सामने करेगी। इस वर्ष चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के सौ साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर चीनी नेतृत्व अपनी जनता की खास गोलबंदी करना चाहता है। संसद के सत्र को इसके लिए भी एक मौका बनाया जाएगा।
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अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों की खास नजर दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल, भारत के साथ उसके तनाव और अमेरिका के साथ आर्थिक और सैनिक प्रतिद्वंद्विता को लेकर पीपुल्स कांग्रेस में होने वाली चर्चाओं पर होगी। अमेरिका में नए प्रशासन के सत्ता में आने के बाद चीन अपने अंतरराष्ट्रीय रुख को उसके मुताबिक ढालने की कोशिश में है। उसने अमेरिका से अपील की है कि वह डोनाल्ड ट्रंप के समय उसके अधिकारियों और कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटा ले।

उसने यह भी कहा है कि अमेरिका को चीन के प्रति आदर के भाव के साथ पेश आना चाहिए। लेकिन जो बाइडन प्रशासन ने अब तक यही संकेत दिया है कि वह चीन पर दबाव बनाए रखेगा। ताइवान, हांगकांग और शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के कथित दमन के सवाल पर नए अमेरिकी प्रशासन का रुख सख्त रहने की संभावना जताई गई है। इन सबके मद्देनजर चीन क्या रणनीति अपनाता है, इसकी तस्वीर नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के अधिवेशन में साफ होने की उम्मीद है।

चीन अगली जुलाई में कम्युनिस्ट पार्टी के शताब्दी वर्ष को मनाने की जोरदार तैयारियां कर रहा है। इस मौके पर चीनी नेतृत्व की कोशिश यह संदेश देने की होगी कि वह देश में राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए कृत-संकल्प है। चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री झाओ केझी ने पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिया है कि जुलाई में होने वाले उत्सवों को लेकर वे खास सावधानी बरतें।

चीनी नेतृत्व की राय में 2020 उसकी खास कामयाबी का साल रहा। उसके मुताबिक उसने कोरोना महामारी पर जल्द काबू पाकर दुनिया को अपने सिस्टम की कुशलता का संदेश दिया। साथ ही आर्थिक विकास की गति फिर हासिल कर आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरने के रास्ते पर वह आगे बढ़ा है। अब अगली पंचवर्षीय योजना में चीन का जोर देश को मध्यम समृद्ध देश के रूप में उभरने का है।

रेनमिन यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ शी यिनहोंग ने हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा- चीन ने कई कड़े सबक सीखे हैं। अब जो योजना बनाई जा रही है, उसको लेकर कई पक्ष बहुत संवेदनशील हैं। शी चीन सरकार के सलाहकार भी हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने अतीत में मेड इन चाइना 2025 और टेन थाउजेंड्स टैलेंट योजनाएं लागू की थीं। इनके परिणामस्वरूप ही उसकी अमेरिका से प्रतिद्वंद्विता शुरू हुई।

मेड इन चाइना का मकसद हाई-टेक मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को आगे बढ़ाना था, जिसमें 5जी से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का देश में उत्पादन शामिल है। टेन थाउजेंड टैलेंट योजना का मकसद दुनिया भर की प्रतिभाओं को आकर्षित करना था, ताकि वे चीन की प्रयोगशालाओं में आकर काम करें। इन योजनाओं की सफलता ने चीन को बड़ी ताकत बनाया। शी ने कहा- अब चीन के सामने मुश्किल यह है कि उसकी जरूरत और ऊंची तकनीक तक पहुंच हो चुकी है, लेकिन विकसित देशों और चीन के बीच इस मामले में निवेश सिकुड़ चुका है। उन्होंने कहा कि अतीत से सबक सीखते हुए मुमकिन है कि आगे अपनी योजनाएं घोषित करते वक्त चीन अस्पष्ट रुख रखे, हालांकि अपने मकसद को हासिल करने के लिए वह दृढ़ रुख अपनाए रखेगा।

चीन इस और दूसरे मामलों में ऐसी क्या रणनीति अपनाता है, इसके लिहाज से पीपुल्स कांग्रेस का अगला अधिवेशन अहम होगा। चूंकि उसका असर सिर्फ चीन के लोगों पर नहीं, बल्कि पास-पड़ोस के देशों और बाकी दुनिया तक होगा, इसलिए इस अधिवेशन की चर्चा अभी विश्व मीडिया में हो रही है।

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